इंसान (Insaan) मज़ेदार कहानियाँ- बच्चों के अच्छे-अच्छे कहानियां (Long hindi kid story):
बच्चों के अच्छे-अच्छे कहानियां– वैसे तो इस पृथ्वी पर अनगिनत जीव जन्तु हैं लेकिन, इंसान (Insaan) को प्रकृति की सर्वश्रेष्ठ रचना माना जाता है, इसीलिए आधुनिक विज्ञान, इंसानों की सुख सुविधाओं से जुड़े हुए कार्य में ज़्यादा सक्रिय रहता है| आज विज्ञान इतनी तरक़्क़ी पर हो चुका है कि, इंसानी ज़रूरतों के लिए एक सी एक नायाब वस्तुएँ, पृथ्वी पर मौजूद हैं| बस अब बाक़ी है तो, आर्टिफिशियल इंसान बनाना| इसी होड़ में एक भारतीय वैज्ञानिक प्रणव शास्त्री प्रोजेक्ट “ई-इंसान” पर अपनी निजी लैब में काम कर रहे थे, जिसके लिए उन्होंने कई अन्य वैज्ञानिकों की रिसर्च का भी सहारा लिया था| प्रणव शास्त्री एक ऐसा अद्भुत, ई इंसान बनाया था, जिसे पहचान पाना असंभव था| उसकी भाषा शैली से लेकर, सोचने समझने की क्षमता, अकल्पनीय थी लेकिन, अभी तक प्रणव शास्त्री ने यह बात सभी से छुपाकर रखी थी, क्योंकि इसे बनाने के लिए, उन्हें असली इंसानों के DNA से लेकर हार्मोनल लिक्विड की आवश्यकता पड़ी थी जो कि, ग़ैरक़ानूनी था, इसलिए इस प्रोजेक्ट के सबके सामने आते ही, प्रणव शास्त्री जेल भी जा सकते थे| उन्होंने कई सालों की मेहनत से, हुबहू इंसान की तरह दिखने वाला, एक अद्भुत नमूना तैयार किया था जो, चलने-फिरने, बात करने में, किसी समझदार इंसान से कम नहीं था| आज तक के इतिहास में, किसी ने भी ऐसा रोबोट नहीं बनाया था जो, भावनाओ पर आधारित, फ़ैसले कर सके| प्रणव शास्त्री ने एक आम इंसान के सारे गुण और दोष, अपने प्रोजेक्ट “ई इन्सान” के अंदर, DNA क्लोनिंग के ज़रिये, इनसर्ट कर दिए थे| वह अपने रोबोट को, आम जनता के सामने, साधारण व्यक्ति की तरह लाना चाहते थे ताकि, वह अपने ई इंसान का परीक्षण, बिना किसी क़ानूनी दबाव के कर सकें| एक दिन वह अपने लैबोरेटरी में चिंतित बैठे हुए, ई इन्सान को बाहर ले जाने का आइडिया सोच रहे थे, उसी वक़्त ई इंसान उनसे कहता है कि, “प्रणव चिंता क्यों कर रहे हो|
मैं इतना सक्षम हूँ कि, अकेले बाहर जा सकूँ और आप मुझ पर भरोसा कर सकते हो, मुझे कोई पहचान नहीं पाएगा|” अचानक इतने स्पष्टता से, ई इंसान का जवाब, प्रणव शास्त्री को, अचंभित कर देता है क्योंकि, प्रणव के बॉडी में किसी तरह का कोई गैजट नहीं लगा था और न ही, प्रणव ने अपने मुँह से अपनी परेशानी ज़ाहिर की थी, तो फिर इस रोबोट को कैसे पता चला कि, प्रणव क्या सोच रहा है| यह बात अपने आप में आश्चर्यजनक थी, लेकिन प्रणव इस बात से बहुत ख़ुश था और वह ई इंसान से, और भी गहराई में बातें करने लगता है जिससे, उसे एहसास होता है कि, “अब उसका बनाया हुआ रोबोट, दुनिया के सामने जाने के लिए, एकदम तैयार है” प्रणव उसे अपनी गाड़ी में बैठाकर, एक भीड़ वाले इलाक़े में लाकर छोड़ देते हैं और ख़ुद गाड़ी में बैठे हुए, उसकी ट्रैकिंग करने लगते हैं| थोड़ी देर तक तो, ई इंसान GPS रडार में दिखाई दे रहा था लेकिन, अचानक वह ट्रैकिंग रेंज से बाहर हो गया| प्रणव शास्त्री यह देखकर पूरी तरह डर गए जबकि, उन्होंने ई इंसान को ख़ास इंस्ट्रक्शन दिए थे कि, वह पूरे नियम क़ानून का पालन करेगा| यहाँ तक कि, उन्होंने उसमें, भारतीय संविधान की पूरी धाराएँ, साथ ही साथ भारतीय परम्परायें भी, अपलोड की थीं| प्रणव अपनी कार से, ई इंसान को ढूंढने की बहुत कोशिश करता है लेकिन, वह असफल रहता है और काफ़ी देर तक, ढूंढने के बाद हताश होकर, वह अपनी लैब वापस आ जाता है| प्रणव चिंतित बैठा ही था कि, अचानक एक फ़ोन कॉल से, उसे पता चलता है कि, कोई इंसान पूरे शहर में तबाही मचा रहा है लेकिन, उसकी तबाही से लोगों को कोई परेशानी नहीं हो रही बल्कि, लोग उसके काम को देखकर तालियाँ बजा रहे हैं|
प्रणब ने तुरंत अपना TV ऑन करके देखा तो, उसे पता चला कि, यह तो उसका बनाया “ई इंसान” है जो, पूरे शहर में तहलका मचा रहा है| समाचार से पता चला कि ई इंसान ने, शहर में बहुत से लोगों को, ग़ैर क़ानूनी काम करते हुए, अपने अधिकारों के अनुसार सजा दी है लेकिन, उसे पुलिस ने गिरफ़्तार कर लिया है| प्रणव को जैसे ही पता चलता है कि, उसका बनाया हुआ प्रोजेक्ट, पुलिस के हाथ लग गया है, वह तुरंत अपने ऑफ़िस से निकलकर, पुलिस स्टेशन पहुँच जाता है| वहाँ पहुँचते ही, प्रणव पुलिस से बताता है कि, “यह उसका रिश्तेदार है, जो गाँव से आया है| उसे शहर के तौर तरीक़े पता नहीं है, इसलिए उससे गलती हो गई होगी” लेकिन, पुलिस का कहना तो कुछ और ही था, जिसे सुनकर प्रणव चौंक गया| दरअसल ई इंसान ने जिन लोगों को भी तक़लीफ पहुँचाई थी, वह क़ानूनन अपराधी थे, हालाँकि इसने ऑन द स्पॉट फ़ैसला करके ग़लत किया लेकिन, उसके सारे काम, क़ानून के अंतर्गत ही थे| ई इंसान ने अपनी घटनाओं की एक एक जानकारी दी थी, जिसमें उसने अपराधियों को, क़ानून की धाराओं के अंतर्गत, अपराध पंजीबद्ध करवाए| प्रणव, पुलिस स्टेशन में मामला सुलझाने के प्रयास में लगा ही था कि, तभी बाहर मीडिया की भीड़ इकट्ठा हो जाती है|
प्रणव को एहसास होता है कि, मीडिया ई इंसान का, इंटरव्यू लेने आयी होगी क्योंकि, इसने इतने सारे अपराधी, एक ही दिन में पकड़े हैं| प्रणव पुलिस वालों से कहता है कि, “मैं इसे घर ले जाना चाहता हूँ क्योंकि, मैं इसे कुछ ही दिनों के लिए शहर लाया था| अब यह वापस, अपने घर चला जाएगा लेकिन, पुलिस अधिकारी प्रणव को समझाते है कि, “शहर में इतना कुछ हुआ है जिसका, जवाब तो आपको मीडिया के सामने देना ही पड़ेगा| आप मीडिया से मुँह छुपा कर नहीं भाग सकते| वरना हमारी नौकरी पर सवाल उठेंगे| आपको मीडिया के सामने से ही गुज़र के जाना होगा| फिर चाहे, आप भागकर चले जाएँ, हमें कोई परेशानी नहीं लेकिन, हम थाने के, किसी गुप्त रास्ते से, आपको बाहर नहीं भेज सकते|” प्रणव अपना दिमाग़ लगाता है और अकेले ही जाकर, अपनी कार में बैठ जाता है और कार के अंदर से ही, ई इंसान को बहुत तेज़ी से आने का निर्देश देता है और अगले ही पल, बिना किसी को दिखे, बिजली की तेज़ी के साथ, ई इंसान गाड़ी में आकर बैठ जाता है और दोनों, मीडिया को चकमा देकर, लैब आ जाते हैं| प्रणव के पैर, डर के कारण कांप रहे थे| वह समझ चुका था कि, अब वह फँसने वाला हैं, इसलिए वह ई इंसान से अपनी पहचान हटा देते हैं और उसे एक बॉक्स में डाल कर, समुद्र में फेंक देते हैं और ई इन्सान की ज़िंदगी का पहला अध्याय ख़त्म हो जाता है| (Read second part)
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सौतेली माँ | sauteli maa | Best motivation story
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