Chalak khargosh (Kids animal stories):
बच्चों को जानवरों की कहानियां पढ़ने में बहुत मज़ा आता है| जानवरों को अक्सर ख़तरनाक माना जाता है, लेकिन कुछ जानवर बहुत ही सीधे साधे स्वभाव के सुंदर जीव हैं| उन्ही में से एक खरगोश भी है| खरगोश बहुत चंचल प्रजाति का जानवर है, जिसे पालतू पशु की श्रेणी में रखा जाता है| ऐसे ही एक चालाक खरगोश (Chalak khargosh) की कहानी, आपके सामने प्रस्तुत है जो, आपको हँसी से लोट पोट कर देगी| एक बहुत बड़ा खेत था, जहाँ दिनेश लाल नाम का किसान, खेती किया करता था| कई बार खरगोश की वजह से, दिनेश लाल की खेती का बहुत सा नुक़सान होता था| दिनेश लाल कोई भी फ़सल लगाता है तो, यह चालाक खरगोश (Chalak khargosh) उसकी फ़सल को कुतरना शुरू कर देता| एक बार दिनेश लाल गाजर की खेती करने के बारे में विचार करता है, लेकिन खरगोश की वजह से वह हिम्मत नहीं कर पा रहा था, क्योंकि खरगोश जब उसकी सभी तरह की फसलों बर्बाद कर देता था| तो गाजर तो उसका पसंदीदा भोजन है| दिनेश लाल के पास इसके अलावा कोई और रास्ता नहीं था| वह बहुत कर्ज़ में लद चुका था और गाजर की खेती ही, एकमात्र विकल्प था, जिससे वह अपने कर्ज़ चुका सकता था| दिनेश लाल अपने एक किसान मित्र के पास जाता है और उसे खरगोश से, अपनी फ़सल को बचाने के, उपचार पूछता है| दिनेश लाल का दोस्त उसे बताता है कि, एक खरगोश को पकड़ने से क्या होगा| तुम्हें अपने खेत को चारों तरफ़ से सुरक्षित कर लेना चाहिए| हमेशा के लिए सभी जानवरों से छुटकारा मिल जाएगा| दिनेश लाल ने उत्साहित होते हुए पूछा, “कैसे”? तभी उसका दोस्त खेत को चारों तरफ़ से, जाली के द्वारा बाँधने का, सुझाव देता है| दिनेश लाल को, अपने दोस्त की यह तरकीब, बहुत पसंद आती है| दोनों मिलकर खेत को सुरक्षित करने के लिए, चारों तरफ़ से तार का एक जाल लगाते हैं|
जाल को काफ़ी नुकीला कांटेदार बनाया गया था, ताकि खरगोश या कोई भी जानवर, खेत के अंदर प्रवेश न कर सके| खेत सुरक्षित होते ही, दिनेश लाल पूरे विश्वास के साथ, गाजर की खेती शुरू कर देता है| चालाक खरगोश (Chalak khargosh) खेत के अंदर घुसने का प्रयास करता है, लेकिन वह उछलने के बाद भी, तारों के जाल को पार नहीं कर पा रहा था| कुछ ही दिनों में गाजर की फ़सल हरियाली बिखेरने लगती है| दिनेश लाल गाजर की पैदावार देखकर ख़ुश हो जाता है, हो भी क्यों न, इस बार उसने खरगोश से, अपने खेतों को बचाने में कामयाबी जो हासिल कर ली थी| गाजर की फ़सल तैयार होने के बाद, दिनेश लाल बाज़ार की खुदाई करवाने का काम शुरू करता है, जिसके लिए वह अपने खेत में, दो मज़दूर भी लगाता है| मज़दूर जैसे ही गाजर की खुदाई करते हैं, वह दंग रह जाते हैं| खेतों में ऊपर से तो हरे हरे पत्ते नज़र आ रहे थे, लेकिन ज़मीन के अंदर से गाजर ग़ायब हो चुके थे| सारे खेत की खुदाई से, मज़दूरों को समझ में आता है कि, ज़मीन के अंदर से ही, किसी ने गाजरों को खा लिया है और जैसे ही यह बात, दिनेश लाल को पता चलती है, उसे खरगोश के ऊपर बहुत ग़ुस्सा आता है| खरगोश थोड़ा दूर बैठकर गाजर खाने में लगा हुआ था| दिनेश लाल अपने दोस्त के पास भागता है और कहता है, “यार जाली लगाने के बाद भी, मैं अपनी फ़सल नहीं बचा सका”| अब मुझे खरगोश को सबक़ सिखाना ही होगा| उसने मेरे खेत के सभी गाजर खा लिए हैं| दिनेश लाल अपने दोस्त से बात कर ही रहा होता है कि, गाँव के कुछ और किसान, वहाँ पहुँच जाते हैं और वह भी, अपने खेती का रोना रोने लगते हैं, क्योंकि ख़रगोश ने दिनेश लाल के साथ साथ, कई किसानों के खेतों को बर्बाद किया था| अब सभी लोग खरगोश को पकड़ने की योजना बनाते हैं, लेकिन खरगोश का कोई स्थायी ठिकाना नहीं था| वह तो ज़मीन के अंदर सुरंग बनाकर रखना सीख गया था, जिस वजह से उसे देख पाना असंभव था| सभी किसान पूरे गाँव में, खेतों का निरीक्षण करने लगते हैं और जहाँ भी गड्ढे बने होते हैं, वह उन्हें मिट्टी भरकर बंद करते जाते हैं और गांवों में मौजूद लगभग सभी गड्ढों को बंद करते ही, खरगोश ज़मीन के अंदर फँस जाता है और वह घबराने लगता है| ज़मीन के अंदर आक्सीजन की कमी होने की वजह से, उसे साँस लेने में परेशानी होने लगती है| वह अपने आप को बाहर निकालने के लिए, मिट्टी खोदने लगता है और कुछ घंटों की मेहनत के बाद, वह ज़मीन से बाहर आने में क़ामयाब हो जाता है, लेकिन खरगोश की क़िस्मत बुरी होती है| जिस जगह पर वह ज़मीन से बाहर निकला था| वहाँ गाँव के कई लोग मौजूद होते हैं जो, उसे देखते ही पकड़ लेते हैं| खरगोश के पकड़े जाने से, दिनेश लाल बहुत ख़ुश होता है, क्योंकि खरगोश ने, हर बार सबसे ज़्यादा नुक़सान, दिनेश लाल के खेत का ही किया था| वह भागते हुए खरगोश को देखने पहुँचता है| दिनेश लाल खरगोश के पास पहुँचते ही, खूब खरी खोटी सुनाता है, लेकिन बाद में खरगोश का उदास चेहरा देख, उसे दया आ जाती है और वह खरगोश के खाने पीने की व्यवस्था करता है|
खरगोश को एक पिंजड़े में बंद कर दिया जाता है| पिंजरा गाँव के बीचों-बीच, एक पेड़ के नीचे रखा गया था| जंगली खरगोश को किसानों ने, पिछड़े के अंदर क़ैद करके, पालतू बना दिया था और उसे खाने पीने की चीज़ें, पिंजरे में ही देने लगे थे| धीरे धीरे खरगोश को, गाँव वालों के साथ रहने की आदत हो जाती है और उसे अच्छा लगने लगता है| एक दिन दिनेश लाल खरगोश को पिंजरे से बाहर निकालने को कहता है| उसे यक़ीन था कि, खरगोश अब हमारी फसलों का नुक़सान नहीं करेगा| वह समझदार हो चुका है और अब वह हमारा पालतू भी है| गाँव के कुछ लोग, दिनेश लाल की बात से सहमत हो जाते हैं और खरगोश का पिंजरा खोल देते हैं, जैसे ही पिंजरे का दरवाज़ा खोला जाता है| खरगोश तुरंत वहाँ से रफूचक्कर हो जाता है| गाँव के लोग खरगोश को भागते देख, उसे पकड़ने के लिए, उस पर छलांग लगा देते हैं, लेकिन सभी एक एक करके ज़मीन पर गिर जाते हैं| खरगोश किसी के हाथ नहीं आता| खरगोश के भागते ही, गाँव वाले दिनेश लाल को डाँटते हुए कहते हैं, “देख लिया, अब फिर से उसे पकड़ने की मेहनत कौन करेगा? बड़ी मुश्किल से तो, वह हमारे हाथ आया था और जब से वह बंद था, हमारे खेत सुरक्षित थे, लेकिन तुम्हारी मूर्खता की वजह से, अब वह आज़ाद है”| सभी लोग दिनेश लाल को चिल्ला रहे होते हैं, अचानक पीछे से वहीं खरगोश, बॉल मुँह में गाजर दबाकर भागते हुए आ रहा था| जैसे ही दिनेश लाल खरगोश को देखता है, उसके चेहरा ख़ुशी से खिल उठता है| दरअसल कई दिनों से, दिनेश लाल उसे खाने पीने की चीज़ें, अपने हाथों से लाकर दे रहा था, जिससे उसका, खरगोश के साथ भावनात्मक रिश्ता बन चुका था| खरगोश आते ही, दिनेश लाल से के पैरों से खेलने लगता है| दिनेश लाल खरगोश को अपनी गोद में उठा कर प्यार से चूमता है| गाँव के सभी लोग यह नज़ारा देख रहे होते हैं| सभी को ताज्जुब होता है कि, दिनेश लाल और खरगोश के बीच में इतनी दुश्मनी थी, फिर वह कैसे प्यार में बदल गई| खरगोश गाँव के खेतो से चूहे पकडने में भी, किसानों की मदद करने लगा था, जिससे सभी के खेत, बर्बाद होने से बचे रहते थे| ख़रगोश गाँव का चहेता पालतू पशु बन चुका था| सभी खरगोश के साथ ख़ूब खेलते थे और खरगोश सभी की फसलों का रक्षक बन गया था| अब उसे गाँव वाले ही, खाने पीने की चीज़ें दे दिया करते थे| खरगोश और दिनेश लाल की दोस्ती की शुरुआत हो चुकी थी और इसी के साथ यह कहानी ख़त्म हो जाती है|