आवारा कुत्ता (awara kutta) – प्रेरक प्रसंग स्टोरी इन हिंदी (moral story for kids in hindi):
प्रेरक प्रसंग स्टोरी इन हिंदी– लोग घर में पालने वाले कुत्तों को तो, अपना समझते हैं लेकिन, बाहर घूम रहे आवारा कुत्तों से किसी का कोई ख़ास लगाव नहीं होता| हालांकि, आज भी कुछ लोग आवारा कुत्तों से अपनापन रखते हैं और उसका क्या अंजाम होता है| इसी संवाद को प्रदर्शित करने के लिए, आवारा कुत्ता कहानी लिखी गई है| इस कहानी से जानवरों के प्रति प्रेम की भावना उत्पन्न होगी| एक छोटा सा शहर था जहाँ, गलियों में बहुत से आवारा कुत्ते घूमा करते थे| कुत्ते सारा दिन खाने की तलाश में, छोटे छोटे समूह बनाकर रिहायशी इलाकों के चक्कर लगाया करते थे| कुत्तों को कहीं कहीं तो, खाना मिल जाता लेकिन, अक्सर उन्हें डंडों की मार से ही संतुष्ट होना पड़ता हालाँकि, इससे कुत्तों को कोई फ़र्क नहीं पड़ता था क्यों कि, आवारा कुत्तों की अपनी एक अलग ही ज़िंदगी थी| सभी कुत्ते घूमने मस्त रहा करते थे| इस शहर में एक बहुत बड़ा अंग्रेज़ी मीडियम स्कूल था जहाँ, ज़्यादातर अमीरों के ही बच्चे पढ़ते थे| इसी स्कूल में शहर के कलेक्टर का लड़का भी पड़ता था जिसका, नाम नयन था| नयन को जानवरों से बहुत लगाव था| उसने कई बार अपने पापा से एक कुत्ता लाने की फ़रमाइश की थी लेकिन, कलेक्टर साहब को कुत्ते बिलकुल पसंद नहीं थे इसलिए, वह अपने बेटे को हर बार मना कर देते थे| एक दिन नयन अपने स्कूल जा रहा था अचानक, रास्ते में उसे एक आवारा कुत्ता दिखाई दिया| नयन ने अपने टिफ़िन से एक रोटी का टुकड़ा निकालकर, कुत्ते को दिया|
कुत्ता बहुत भूखा था, वह तुरंत रोटी खाते ही नयन के सामने बैठ गया और अपनी पूँछ हिलाने लगा| नयन ने पहली बार किसी कुत्ते को खाना खिलाया था| वह खाना खिलाते वक़्त, यह भी भूल गया कि, उसे भी अपने लिए खाना बचाना है| उसने कुत्ते के सामने सारा टिफ़िन बॉक्स ख़ाली कर दिया और अपने स्कूल चला गया| स्कूल की छुट्टी होते ही, नयन जैसे ही अपने घर पहुँचा| उसने अपनी माँ से कुत्ते को खाना खिलाने वाली बात बता दी| नयन को इस बात के कारण, अपने माता पिता की बहुत सी बातें सुननी पड़ी लेकिन, नयन को इससे कोई फ़र्क नहीं पड़ा| वह रोज़ाना अपना सारा खाना उसी कुत्ते को ही खिलाने लगा| कुछ दिनों में, खाना खिलाने की वजह से, कुत्ता नयन का दोस्त बन चुका था| आवारा कुत्ता हमेशा नयन के आने का इंतज़ार करता रहता और जैसे ही नयन उसके पास पहुँचता, वह अपनी पूँछ हिलाकर, ज़मीन पर लोटने लगता| एक दिन कलेक्टर साहब अपने बेटे को स्कूल छोड़ने जाते हैं| उसी समय वह कुत्ता खाने की आस में, नयन के पास आ जाता है लेकिन, सड़क के आवारा कुत्ते को अपने बेटे के नज़दीक आता देख, कलेक्टर साहब पत्थर उठाकर, उसे मारने लगते हैं हालाँकि, नयन अपने पापा को रोकने का प्रयास करता है लेकिन, वह लगातार कुत्ते को दूर भगाने की कोशिश कर रहे थे| कुत्ता भूखा था और वह नयन के पास आना चाहता था लेकिन, बार बार रोके जाने पर वह थोड़ा आक्रामक हो जाता है और कलेक्टर साहब के हाथ में, काट लेता है| कलेक्टर साहब तुरंत अपने बेटे को स्कूल छोड़कर, अस्पताल भागते हैं| कुत्ते के काटने से, कलेक्टर साहब का ग़ुस्सा सातवें आसमान पर था| वह आदेश जारी करते हैं कि, सभी आवारा कुत्तों को पकड़ कर शहर के बाहर भेज दिया जाए| कलेक्टर का आदेश मिलते ही, शहर के कोने कोने से कुत्तों को निकालकर, एक गाड़ी में भरकर शहर के बाहर, एक वीराने इलाक़े में भेज दिया जाता है| अगले दिन नयन जैसे ही स्कूल पहुँचता है, उसे वह कुत्ता कहीं नज़र नहीं आता| काफ़ी देर तक, जब कुत्ता कहीं दिखाई नहीं देता तो, नयन उसे ढूंढने के लिए निकल जाता है| कुछ दूर पैदल चलते ही, नयन एक पतली सी सड़क में घुस जाता है| सड़क के किनारे एक गड्ढा बना हुआ था| नयन गटर के गड्ढे के अंदर झांकने की कोशिश करता है अचानक, उसका पैर फिसल जाता है और वह 12 फ़ीट गढ्ढे के अंदर ही, एक चैम्बर में पहुँच जाता है|
नयन को गड्ढे में गिरने की वजह से थोड़ा बहुत चोटें आती हैं लेकिन, वह अपने आप को संभालते हुए, मदद के लिए लोगों को पुकारने लगता है| सुबह का समय था| रास्ता सुनसान था इसलिए, काफ़ी देर तक आवाज़ लगाने पर भी, कोई मदद के लिए नहीं आता, तब नयन ऊपर आने की, कई नाकाम कोशिशें करता है| गटर की गहराई अधिक होने की वजह से, नयन गड्ढे के ऊपर नहीं आ पाता और कुछ घंटे प्रयास करने के बाद, वह थककर वहीं बैठ जाता है और रोने लगता है| नयन को गड्ढे के अंदर बैठे हुए रात हो जाती है| जब नयन अपने घर नहीं पहुँचता तो, उसके पिता स्कूल में पुलिस फ़ोर्स के साथ पहुँच जाते हैं| उन्हें स्कूल में जानकारी मिलती है कि, “नयन आज स्कूल ही नहीं आया|” कलेक्टर साहब सोच में पड़ जाते हैं क्योंकि, वह सुबह सुबह घर से तो निकला था लेकिन, फिर कहाँ गया होगा? कलेक्टर, शहर के सभी थानों में अपने बच्चे की गुमशुदगी की सूचना भेजते हैं| पुलिस चारों तरफ़ बच्चे को ढूँढने में लग जाती है लेकिन, 24 घंटे गुज़रने के बाद भी, नयन का कोई पता नहीं चलता| कलेक्टर साहब को अंदेशा हो रहा था कि, उनके बच्चे को किसी ने किडनैप किया होगा| पुलिस सभी दिशाओं में तहक़ीक़ात करने में जुटी थी लेकिन, इस केस में उन्हें कोई कामयाबी नहीं मिल रही थी| इसी बीच वही आवारा कुत्ता नयन की तलाश में शहर वापस आ जाता है जिसे, कलेक्टर ने शहर के बाहर भेजा था और क़िस्मत से, वह नयन की खोज में सूंघते हुए उसी गड्ढे तक पहुँच जाता है, जिस गड्ढे में नयन बेहोश पड़ा था| कुत्ता वहीं खड़े होकर ज़ोर ज़ोर से भौंकने लगता है| सुनसान सड़क पर अकेले कुत्ते को, लगातार भौंकने की वजह से, कुछ लोगों को श़क होता है| तभी वहाँ मौजूद लोग, गड्ढे में टॉर्च जलाकर देखते हैं तो, उन्हें एक बच्चा पड़ा हुआ दिखाई देता है| बच्चे की ऐसी हालत देखकर, लोग पुलिस को सूचित करते हैं| और जैसे ही लोगों को पता चलता है कि, “यह कलेक्टर का बेटा है|” देखते ही देखते वहाँ कई गाड़ियों की लाइन लग जाती है|
नयन को उसी हालत में अस्पताल लाया जाता है| कलेक्टर को जैसे ही यह बात बताई जाती है कि, “एक आवारा कुत्ते की वजह से उनका बेटा बच पाया है|” कुत्तों के प्रति, उनका दिल पिघल जाता है| कलेक्टर को अपने पिछले निर्णय पर बहुत पछतावा होता है| इस घटना ने कलेक्टर के दिल में, जानवरों के प्रति प्रेम और करुणा का भाव पैदा कर दिया था| कलेक्टर ने आदेश दिया कि, शहर में उपस्थित सभी तरह के आवारा जानवरों की ज़िम्मेदारी, प्रशासन की है और इसलिए, सभी जीवों के लिए केंद्र बनाए जाए ताकि, सभी की जीवन क्रिया निरंतर चलती रहे| नयन ने उस आवारा कुत्ते को गोद ले लिया था और अब, कलेक्टर भी उस कुत्ते के साथ खेलने लगे थे|