उल्लू की कहानी (किड्स स्टोरी इन हिंदी)- Animal Stories for Kids in hindi (short story):
किड्स स्टोरी इन हिंदी– उल्लू को हमारे बीच, मूर्ख पक्षी का ख़िताब दिया गया है लेकिन, यह सिर्फ़ हमारी भूल है क्योंकि, उल्लू बहुत चालाक पक्षी होता है जिसे, एक आक्रामक शिकारी भी माना जाता है| ऐसे ही एक उल्लू की कहानी बच्चों के मनोरंजन के लिए प्रस्तुत है| एक जंगल में बहुत पुरानी गुफा थी जिसमें, एक उल्लू राज करता था हालाँकि, उस गुफा में कई तरह के जीव जन्तु मौजूद थे लेकिन, उल्लू की अपनी एक अलग ही सत्ता थी| दरअसल, उल्लू गुफा के अंदर ज़्यादा ताक़तवर पक्षी था| उसकी अंधेरे में देखने की प्रतिभा ही, उसे बाक़ी जीवों से ज़्यादा ख़ूँख़ार बनाती थी और वह इसी का फ़ायदा उठाकर, गुफा के अंदर, अपना डर बनाकर रखता था क्योंकि, गुफा में, हमेशा प्रकाश की कमी होती थी जिससे, उल्लू का मुक़ाबला करने की हिम्मत, कोई नहीं जुटा पाता था| एक दिन, उल्लू गुफा के अंदर सो रहा था| उसी वक़्त गुफा के अंदर मौजूद छिपकली, मकड़ी से कहती है, “यह उल्लू तो रोज़ हमारे दोस्तों को खा जाता है जिससे, हमारी जनसंख्या कम होती जा रही है| हमें इसके लिए कुछ करना चाहिए|” मकड़ी ने कहा, “हम भला क्या कर सकते हैं| उल्लू बहुत मज़बूत पक्षी है| उससे लड़ पाना, हमारे बस की बात नहीं है|” तभी छिपकली, मकड़ी को सुझाव देते हुए कहती है, “क्यों न हम, बाहरी जीवों की मदद लें ताकि, इस उल्लू के जुर्म से, हम लोग आज़ाद हो सकें|” मकड़ी को छिपकली का सुझाव बेहुदा लगता है क्योंकि, मकड़ी गुफा को ही, अपना घर समझती थी और बाहरी जीवों पर, उसे भरोसा नहीं था| यहाँ तक कि, वह गुफा के बाहर, दूसरी मकड़ियों पर भी, विश्वास नहीं कर पाती थी|
उसने बचपन से ही केवल, अपनी गुफा के अंदर के जीवों को ही, अपने आस पास देखा था इसलिए, उसे केवल गुफा के जीव, भरोसेमंद लगते थे| मकड़ी और छिपकली की बातें चल ही रही होती हैं| अचानक, एक मक्खी बाहर से आकर मकड़ी के जाल में फँस जाती है| मक्खी के फँसते ही, मकड़ी उसका शिकार करने के लिए, उसकी तरफ़ बढ़ने लगती है| लेकिन, मक्खी उनसे कहती है, “तुम मुझे छोड़ दो, मैंने तुम्हारी और छिपकली की सारी बातें सुनी हैं और इसलिए, अंदर आयी हूँ क्योंकि, मैं तुम्हें उल्लू के आतंक से, छुटकारा दिलवा सकती हूँ|” मक्खी की बात सुनते ही, मकड़ी रुक जाती है और वह छिपकली से कहती है, “क्या हमें उसकी बात का भरोसा करना चाहिए?” तभी छिपकली, अपनी दोस्त मकड़ी से, मक्खी को एक मौक़ा देने के लिए कहती है और अगले ही पल, मकड़ी अपना जाल, मक्खी के ऊपर से, हटा लेती है| मक्खी जाल से छूटते ही, गुफा के बाहर भाग जाती है| उसे भागता हुआ देख, मकड़ी को बहुत ग़ुस्सा आता है और वह ग़ुस्से में, छिपकली से झगड़ते हुए कहती है, “इसलिए, मैं गुफा के बाहर के जीवों पर, विश्वास नहीं करती| इस घटना के कई दिनों बाद, मकड़ी को पता चलता है कि, आज रात उल्लू छिपकली का शिकार करने वाला है| वह तुरंत छिपकली के पास पहुंचकर, उसे उल्लू के ख़तरे से आगाह करती है| छिपकली, मकड़ी की बात सुनकर डर जाती है और वह बचने के लिए, मकड़ी के जाल में छुपने की कोशिश करती है लेकिन, मकड़ी का जाल उल्लू से, छिपकली को कैसे बचा सकता था? छिपकली ने, आज तक गुफा के बाहर क़दम नहीं रखा था इसलिए, वह बाहर भी नहीं जा सकती थी और अंदर, उसके पास केवल रात तक का वक़्त था| मकड़ी, छिपकली को दिलासा दे रही थी कि, “शायद उल्लू भूल जाए और वह तुम्हारे अलावा, किसी और का शिकार कर ले” लेकिन, उल्लू की याददाश्त बहुत तेज होती है| वह भला कहाँ भूलने वाला था| रात होते ही, उल्लू छिपकली की तलाश में, अपनी गर्दन चारों तरफ़ घुमाता है और उसकी नज़र, छिपकली पर पड़ जाती है|
वह तुरंत उड़कर, मकड़ी का जाल फाड़ते हुए, छिपकली के पास पहुँच जाता है और जैसे ही, छिपकली पर हमला करता है| उसी वक़्त, गुफा में हज़ारों की तादाद में, जुगनू उड़ने लगते हैं| इतने सारे जुगनुओं की लाइट देखकर, उल्लू की आँखें चकाचौंध हो जाती है जिससे, उसे कुछ दिखाई नहीं देता और छिपकली, उसके पंजों से बचकर, निकल लेती है| मकड़ी और छिपकली कुछ समझ ही नहीं पा रहे थे कि, उनकी गुफा में इतने सारे जुगनू, कहाँ से आ गए? अचानक मकड़ी को, जुगनुओं की भीड़ में, वही मक्खी दिखाई देती है जिसे, कुछ दिनों पहले ही, मकड़ी ने अपने जाल से छोड़ा था| मक्खी, मकड़ी और छिपकली के पास आकर उन्हें बताती है कि, “अब तुम लोगों को चिंता करने की कोई ज़रूरत नहीं| मैंने हमेशा हमेशा के लिए, तुम्हारी परेशानियों का हल निकाल लिया है क्योंकि, अब ये जुगनू हमेशा, इसी गुफा में रहेंगे|” मक्खी बात सुनते ही, छिपकली और मकड़ी ख़ुश हो जाते हैं और उल्लू को, मजबूरी में अधिक रोशनी की वजह से, गुफा से बाहर भागना पड़ता है जिससे, गुफा उल्लू के आतंक से आज़ाद हो जाती है और सभी जीव जन्तुओं के सर से, ख़तरा टल जाता है|
Animal Stories for Kids in hindi: (पालतू कुत्ता)
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