एकाग्रता (Ekagrata) – स्कूल की कहानी दिखाइए
(Students story):
स्कूल की कहानी दिखाइए– एकग्रता यानि फोकस, विद्यार्थी जीवन में, एकाग्रता का महत्व, किसी से छुपा नहीं है और शायद यह भी कहना उचित होगा कि, फोकस ही विद्यार्थी के लिए, सबसे बड़ी चुनौती है| एकाग्रता से संबंधित यह प्रेरणादायक कहानी, एक कॉलेज के लड़के की है, जिसका नाम अयांश था| वह अपने माँ बाप का इकलौता बेटा था, इसलिए वह उसे बहुत प्यार करते थे| अयांश ने रोबोटिक्स इंजीनियरिंग की पढ़ाई के लिए, शहर के एक बड़े कॉलेज में एडमिशन लिया था| अयांश पढ़ाई के साथ साथ, खेलने में भी योग्य था| वह जो भी काम करता, पूरे फोकस के साथ करता और उसके इसी गुण के कारण ही, उसके शिक्षक उसे बहुत पसंद करते थे| अयांश कुछ ही दिनों में, कॉलेज का स्टार बन चुका था लेकिन, उसका कोई ऐसा दोस्त नहीं था जिसे, वह सबसे ज़्यादा महत्व देता हो| वह सभी छात्र छात्राओं से, एक ही तरह का व्यवहार रखता था हालाँकि, उसे बहुत से विद्यार्थी, अपना सच्चा मित्र समझते थे लेकिन, अयांश के दिल में तो, कुछ और ही था| उसके रिश्ते सभी से अनछुए (untouchable) रहते थे| सबसे महत्वपूर्ण बात तो यह थी कि, वह कभी किसी की बात का बुरा नहीं मानता था और न ही, किसी ग़लत बात का समर्थन करता था| उसके आदर्श, अलग ही तरह के थे| वह कभी पार्टी भी करता तो, कभी चैरिटी भी| अयांश के दोस्त, उसका स्वभाव समझ नहीं पाते थे क्योंकि, उनमें छोटी छोटी बात को लेकर, चिंता बनी रहती है| वहीं अयांश, सारी चिंताओं से मुक्त, अपनी ज़िंदगी के पल पल का आनंद ले रहा था| उसके चेहरे में हमेशा, एक अलग ही तेज़ होता था|
अयांश की प्रतिभा भी, किसी मायने में कम नहीं थी| अयांश के स्वभाव में एक मनमोहक आकर्षण था, जिसकी वजह से सभी उसे ख़ास समझते थे| एक दिन सभी विद्यार्थी कक्षा में बैठे हुए थे, तभी एक अध्यापक सभी को जानकारी देते हैं कि, “कल सभी बच्चों को रोबोट्स दिखाने के लिए, साइंटिस्ट्स रिसर्च सेंटर ले जाया जाएगा, जहाँ आप लोगों को एक ऐसा रोबोट दिखाया जाएगा, जो भविष्य में अंतरिक्ष यात्रियों की जगह लेगा|” सभी यह बात सुनकर, ख़ुश हो जाते हैं क्योंकि, सभी के लिए इस तरह का, पहला अनुभव होगा, जब सारे विद्यार्थियों को, प्रैक्टिकल तौर पर, रोबोट की तकनीक समझायी जाएगी| अगली सुबह सभी को, कॉलेज बस में, रिसर्च सेंटर लाया जाता है| सभी को विज़िटर पास दिए जाते हैं और एक एक करके, पूरी जाँच पड़ताल के साथ, विद्यार्थियों को अंदर भेजा जाता है| अंदर पहुँचते ही, विद्यार्थियों की आंखें फटी रह जाती है क्योंकि, उन्होंने इतने अद्भुत रोबोट्स, कभी नहीं देखे थे| अयांश, पूरे ध्यान से, रोबोट्स का मुआयना कर रहा था| वह रोबोटिक तकनीक में डूब जाना चाहता था| सभी को एक कक्षा में बैठाया जाता है और उन्हें, एक एक करके, कई तरह के रोबोट्स दिखाए जाते हैं| उन सभी में से एक रोबोट जो सबसे ख़ास था जिसे, अंतरिक्ष जाने के लिए, तैयार किया जा रहा था| उसकी कुछ कमियों के बारे में, सभी बच्चों के सामने बताया जाता है जिसे, अयांश पूरे ध्यान से सुन रहा होता है| डेमो पूरा होते ही, सभी बच्चे तालियाँ बजाते हैं और अपनी अपनी नोटबुक में, जानकारियां लिख करके, अपने कॉलेज वापस आ जाते हैं| सभी के लिए, यह एक बेहतरीन अनुभव था| उन्हें कॉलेज वापस आते ही, नोटिस बोर्ड पर एक संदेश दिखाई देता है, जिसमें लिखा होता है कि, अगले हफ़्ते शहर के सभी इंजीनियरिंग कॉलेजों की, प्रतियोगिता होने वाली है जिसमें, हर कॉलेज को हिस्सा लेना है और इस प्रतियोगिता में बच्चों को, अलग अलग तरह के रोबोट बनाने होंगे| यह बच्चों के लिए, पहला ही सेमेस्टर था इसलिए, उन्हें रोबोट के बारे में कोई ख़ास जानकारी नहीं थी| सभी बच्चों के पाँच समूह बनाए गए थे, जहाँ हर समूह को अलग अलग रोबोट पर काम करना था| सभी बच्चे अपने अपने प्रोजेक्ट में लग जाते हैं और सात दिनों की कड़ी मेहनत के बाद, सभी अपने रोबोट्स तैयार कर देते हैं| प्रतियोगिता के दिन, सभी प्रतियोगियों के रोबोट्स, गुणवत्ता जाँच के लिए, रिसर्च सेंटर भेजे जाते हैं और दो दिनों के बाद, अख़बार के पहले पन्ने पर, सबसे बेहतरीन रोबोट बनाने वाले ग्रुप के लीडर का नाम लिखा होता है, “अयांश”| कॉलेज के सभी बच्चों को जैसे ही यह बात पता चलती है, सभी उसके पास भागते हुए आते हैं और अयांश से बताते हैं कि, “तुमने तो कमाल कर दिया| तुम्हारे बनाए हुए रोबोट को पहला स्थान मिला है|” अयांश अंदर ही अंदर इस बात से बहुत ख़ुश होता है क्योंकि, उसकी मेहनत सफल हो चुकी थी| उसने अपने ध्यान से, वही अंतरिक्ष में जाने वाला रोबोट तैयार कर दिया था जिसे, वैज्ञानिक कई सालों से बनाना चाह रहे थे|
दरअसल “साइंटिस्ट रिसर्च सेंटर” के डेमो के बाद, अयांश उसी प्रोजेक्ट पर काम करना चाहता था और इत्तफ़ाक से, उसे प्रतियोगिता में शामिल होने का मौक़ा मिल गया है जिससे, उसकी प्रतिभा को पूरी दुनिया में एक नाम मिला| अयांश को साइंटिस्ट रिसर्च सेंटर की तरफ़ से, भविष्य में वैज्ञानिक बनने का प्रस्ताव प्राप्त होता है जिसका, पता चलते ही, अयांश ख़ुशी से, उछल पड़ता है| अयांश से मीडिया में, उसकी सफलता का राज पूछा जाता है| अयांश जवाब देते हुए कहता है कि, “मुझे मेरे पिता ने सिखाया था कि, जब भी कोई काम करना, पूरी फोकस से करना| अगर विद्यार्थी बनना तो, पूरी तरह से, अपने आपको, विद्यार्थी जीवन में ही, समर्पित कर लेना इसलिए मैं, अपनी पढ़ाई में पूरी तरह एकाग्र रहता हूँ और यदि दोस्तों के साथ भी होता हूँ, तब भी, मैं अपने मन में, अपने आपको विद्यार्थी ही समझ रहा होता हूँ और जब तक, मेरा विद्यार्थी जीवन रहेगा, मैं न ही किसी का दोस्त और न किसी का भाई हूँ| मैं सिर्फ़ विद्यार्थी बने रहते हुए, अपने लक्ष्य की ओर बढ़ता रहूँगा और इसी वजह से मेरा मन, हमेशा एकाग्र रहता है और यही सीख मुझे, अपने लक्ष्य से भटकने नहीं देती जो कि, मेरी सफलता का एक मात्र रहस्य है|” अयांश की बात सुनते ही, सब तालियाँ बजाने लगते हैं| अयांश ने विद्यार्थियों को उनके जीवन का सही पाठ सिखा दिया था|