केंद्र (kendra)- लक्ष्य स्टोरी इन हिंदी (bedtime stories to read online in hindi):
दुनिया में पशु-पक्षी, इन्सान सभी अपने दिल के केंद्र (kendra) के अनुसार ही कार्य करते हैं और उसी के हिसाब से, हर किसी का जीवन रचित होता है| इस तथ्य को प्रमाणित करने हेतु, यह कहानी मील का पत्थर साबित होगी| राहुल पहली बार अपनी पढ़ाई के लिए इतने बड़े शहर आया था| वह शहर की चमक धमक में आते ही, कई चीज़ों पर आकर्षित होने लगा| शहर में मनोरंजन के हज़ारों साधन होते हैं| जिन्होंने, देखते ही देखते राहुल को अपनी चपेट में ले लिया| राहुल शहर पढ़ाई करने आया था लेकिन, ज़्यादातर समय वह, अपने दोस्तों के साथ घूमने फिरने में ही बिताने लगा| राहुल के पिता को, उससे बहुत उम्मीदें थी लेकिन, उन्हें क्या पता कि, उनका बेटा शहर जाकर अपने केंद्र से भटक चुका है| पहले साल की परीक्षा होते ही, राहुल ने अपने पिता की उम्मीदों पर पानी फेर दिया| वह अपने कई विषयों में फ़ेल हो चुका था लेकिन, उसने यह बात अपने पिता से छुपा ली और अपने दोस्तों के साथ, घूमने फिरने में मस्त हो गया| एक दिन राहुल के पिता, उसे बिना बताए, उसके हॉस्टल पहुँच जाते हैं और बाहर से, उसके कमरे का दरवाज़ा खटखटाते हैं| दरवाज़ा खुलते ही, अपने बेटे की हालत देखकर, उनके पैरों तले ज़मीन खिसक जाती है| राहुल अपने दोस्तों के साथ बैठा, ड्रिंक पार्टी कर रहा था|
वह कभी सोच भी नहीं सकते थे कि, उनका सीधा साधा बेटा, शहर पहुँचते ही इतना बदल जाएगा| वह अपने बेटे को देखते ही, दरवाज़ा बंद करके हॉस्टल से बाहर निकल आते हैं और वापस अपने गाँव आ जाते हैं| राहुल को अपने पिता के जाने का कोई दुख नहीं होता| वह तो दोस्तों के साथ, अपनी पार्टी में मस्त था लेकिन, अब राहुल के दिन बदलने वाले थे क्योंकि, उसके पिता ने गाँव पहुँचते ही, राहुल को पैसे भेजने में रोक लगा दी थी| जिस वजह से राहुल परेशान होने लगा क्योंकि, उसके ख़र्चे बढ़ चुके थे लेकिन, उसके पिता ने अब उसकी अय्याशी के लिए, पैसे देना बंद कर दिया| राहुल ने ग़ुस्से में अपने पिता से बात करना ही बंद कर दिया| जब उसने अपने दोस्तों के सामने पैसे के लिए हाथ फैलाए, तब राहुल को पहली बार, अपने दोस्तों की असलियत का पता चला और उसे, पैसे की कमी का एहसास होने लगा| कुछ ही दिनों में उसकी हालत ख़राब हो चुकी थी| राहुल पैसे कमाने के लिए, छोटे बच्चों को ट्यूशन पढ़ाने लगा लेकिन, ट्यूशन पढ़ाते पढ़ाते राहुल को, पार्टियों में घूमने का समय ही नहीं मिलता था| धीरे धीरे राहुल का, पढ़ाई के प्रति आकर्षण बढ़ने लगा| बच्चों को पढ़ाने के लिए, उसे ख़ुद भी पढ़ना पड़ता जिससे, उसका मन पढ़ाई में लगने लगा| कुछ ही महीनों के अंदर, राहुल इतना बदल चुका था कि, उसने अपने दोस्तों के साथ अपना समय बर्बाद करना बंद कर दिया| दरअसल, अब उसका केंद्र बदल चुका था| वह केवल पढ़ने और पढ़ाने में ही, रोमांचित महसूस करने लगा था| कई बार तो वह पढ़ते पढ़ते सारी रात गुज़ार देता लेकिन, उसकी किताब बंद होने का नाम नहीं लेती| अपने कॉलेज के आख़िरी साल, राहुल ने जी तोड़ मेहनत की ओर सबसे अच्छे अंकों से, उत्तीर्ण हुआ लेकिन, उसने अपने पिता को, इसके बारे में कोई जानकारी नहीं दी| एक दिन राहुल ने, अपनी मेहनत और लगन का ज़ोरदार नमूना प्रस्तुत करते हुए, अपने पिता को हैरान कर दिया| राहुल के पिता, खेत में काम कर रहे थे| उसी दौरान, एक व्यक्ति उनके पास भागते हुए पहुँचता है और उन्हें एक अख़बार देता है| अख़बार के पहले पन्ने पर, राहुल की बड़ी तस्वीर के साथ, उसके UPSC की परीक्षा पास करने की, ख़बर छपी होती है|
राहुल के सिविल सर्विस में चयन की ख़बर देखकर वह ख़ुशी से उछल पड़े| उन्होंने अपने बेटे की कामयाबी देखते ही, राहुल को फ़ोन लगाया| राहुल उस समय अपने दोस्तों के साथ बैठा, अपने कमरे में पढ़ाई कर रहा था| उसी समय राहुल के फ़ोन की घंटी बजती है और वह फ़ोन में, अपने पापा का नाम देखते ही, फ़ोन उठा लेता है| इतने महीनों बाद, अपने पिता की आवाज़ सुनकर, राहुल रोने लगता है| राहुल के पिता, उसे चुप करवाते हुए कहते हैं, “राहुल आज मुझे तुम पर गर्व है| तू अधिकारी बन गया, मेरे बेटे! राहुल अपनी कामयाबी का राज जानता था इसलिए, वह अपने पिता से कहता है, “पापा यदि उस दिन आप मुझे पैसे देना बंद नहीं करते तो, शायद मैं यहाँ तक कभी नहीं पहुँचता|” राहुल ने अपनी मेहनत से, भटकती हुई ज़िंदगी का एक केन्द्र यानी, एक मक़सद बनाया और उसका जीवन बदल गया|