नेहा (Neha)- सुंदर सुंदर कहानी (Bhai bahan ki kahani):
Bhai bahan ki सुंदर सुंदर कहानी– नेहा अपने माता पिता व भाई रोहित के साथ, एक शहर में के साथ रहती थी| नेहा(Neha) बचपन से ही पढ़ने में बहुत होशियार थी| उसे दिन भर किताबों में घुसे रहना ही पसंद था, लेकिन वही रोहित को खेलने में ज़्यादा रुचि थी| नेहा रोहित से तीन वर्ष बड़ी थी, इसलिए वह रोहित का छोटे बच्चे की तरह ख्याल रखती थी| रोहित भी अपनी बहन से बहुत प्यार करता था| एक दिन पूरा परिवार साथ बैठे थे, तभी नेहा की माँ ने अपने पति से, नेहा की शादी की चर्चा की। नेहा अभी सिर्फ़ 17 वर्ष की थी| उसे अभी बहुत पढ़ना था और वह अभी शादी नहीं करना चाहती थी| रोहित भी हमेशा अपनी बहन के दिल की बात समझता था, इसलिए वह अपने माता पिता से नेहा की आगे की पढ़ाई के लिए आग्रह करता है| रोहित की बात सुनकर नेहा रोहित को गले लगाकर रोने लगती है| रोहित अपनी बहन को दिलासा देते हुए कहता है कि, बहन तुम चिंता मत करो| मैं तुम्हें आगे पढ़ने में पूरा समर्थन दूँगा| तुम किसी बंधनों में मत रहना| आज़ादी से अपना फ़ैसला लेना| नेहा के माता पिता यह देखकर मुस्कराने लगते हैं| उन्हें लगता है, रोहित इतना छोटा होते हुए भी, कितनी बड़ी बात कह रहा है| अगली सुबह नेहा को पेपर में विज्ञापन के ज़रिए पता चलता है कि, उसके शहर में सामान्य ज्ञान की प्रतियोगिता होने जा रही है| इसमें विजेताओं को उपहार स्वरूप, उच्च शिक्षा के लिए छात्रवृत्ति दी जाएगी| नेहा रोहित से कहती है, “मुझे इस प्रतियोगिता में हिस्सा लेना है| तुम इसका फ़ॉर्म जाकर ले आओ| मैं भर दूंगी|” रोहित अपनी बहन की बात सुनते ही, फ़ार्म लेने चला जाता है|
नेहा (neha) का सामान्य ज्ञान पहले से ही बहुत अच्छा था, इसलिए उसे दोबारा उसी स्तर की तैयारी करने के लिए, संघर्ष नहीं करना पड़ा| परीक्षा का दिन आ चुका था| नेहा उत्साह से भरी हुई थी| परीक्षा केंद्र पहुँचते ही, सभी परीक्षार्थियों को एक एक करके, सामान्य ज्ञान प्रश्न पत्र दिया जाता है, जिसे कुछ समय अवधि के अंदर ही हल करना था| परीक्षा प्रारंभ होते ही, सभी विद्यार्थी अपने अपने प्रश्नों के उत्तर देने में मसरूफ़ हो जाते हैं और इसी बीच नेहा, अपनी कुर्सी से उठकर आ जाती है| उसने सारा प्रश्न पत्र हल कर दिया था और वह अब अपनी उत्तर पुस्तिका जमा करना चाहती है| नेहा ने आधे ही समय में पूरा प्रश्न पत्र हल कर दिया था| सभी के लिए यह बहुत ताज्जुब की बात थी| शिक्षक नेहा को शाबासी देते हुए, उत्तर पुस्तिका रख लेते हैं| परीक्षा देने के बाद नेहा अपने घर आ जाती है और अपने माता पिता से, अपनी परीक्षा के बारे में ख़ुशी ख़ुशी बताती है| नेहा के माता पिता कहते हैं, “बेटा तू क्या करेगी पढ़ाई करके, हमें तो तेरी शादी ही करनी हैं|” इसी बीच रोहित फिर से बोल पड़ता है, “आप दीदी के शादी के पीछे क्यों पड़े रहते हैं आप उसे पढ़ने दे, वह ख़ुद तय करेगी, जब उसे शादी करनी होगी|” रोहित की माँ रोहित को डांटते हुए कहती है, “तुम छोटे हो| तुम अभी अपनी बहन के भविष्य के बारे में क्या जानते हो| तुम्हें समाज का पता नहीं, लड़की के बड़ी होने के बाद माता पिता को ही सब कुछ सहना पड़ता है| समाज के लोग, हमें ही दोष देंगे कि, हमने ही अपनी जवान लड़की को घर में बैठा रखा हैं और हमारे पास इसे आगे पढ़ाने के लिए पैसे भी नहीं हैं| हम इसकी शादी करें या इसे पढ़ाए| रोहित अपनी माँ से कहता है, “माँ मुझे पढ़ाई में कोई रुचि नहीं है| आप मेरे बदले मेरी बहन को पढ़ा दो| मुझे खेलने में मज़ा आता है, लेकिन दीदी को केवल पढ़ने से ही प्यार है और आप उन्हें पढ़ने दें|” रोहित की माँ उसकी बात को नज़रअंदाज़ करके चली जाती है| कुछ दिन बीतने के बाद पत्रकारों का एक दल पहुँचता है और वह नेहा के पिता को बताता है कि, “नेहा ने पूरे शहर में, सामान्य ज्ञान प्रतियोगी परीक्षा में, प्रथम स्थान प्राप्त किया है, जिसके लिए उसे मुख्यमंत्री द्वारा सम्मान दिया जाएगा और साथ ही उसकी आगे की पढ़ाई का सारा ख़र्चा सरकार देगी|” यह बात सुनते ही, नेहा के पिता के चेहरे पर ख़ुशी की लहर दौड़ पड़ती है| वह ज़ोर से आवाज़ लगाकर, अपनी पत्नी को बुलाते हैं और कहते हैं, “जाओ नेहा और रोहित को बुलाओ| देखो हमारी बेटी ने हमारा नाम रोशन कर दिया है| मुख्यमंत्री उसे पुरस्कार देना चाहते हैं|” नेहा के परिवार में ख़ुशी की दिवाली मनाई जाने लगी थी| देखते ही देखते नेहा एक सेलिब्रिटी बन चुकी थी|
शहर के हर अख़बार में नेहा का फ़ोटो छपा हुआ था और जब नेहा को पुरस्कार दिया जा रहा था, तब उसके पिता ने रोहित से वादा किया कि, “तुम ठीक कहते थे| तुम्हारी बहन पढ़ाई में बहुत होशियार है और अब मैं उसे कभी विवाह के लिए मजबूर नहीं करूँगा| यह बात सुनकर, रोहित ख़ुशी से अपने बहन के सम्मान में तालियाँ बजाने लगता है| रोहित की तालियों की आवाज़ से, पूरा समारोह तालियों में बदल जाता है| नेहा पुरस्कार लेते हुए, अपने भाई की तरफ़ उसके सहयोग के लिए इशारा कर धन्यवाद देती है और अपने आत्मविश्वास से भर जाती है|
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