पापा की परी (Papa ki Pari)- रियल मोटिवेशनल स्टोरी इन हिंदी:
दुनिया की हर बेटी अपने पापा के लिए, परी ही कहलाती है लेकिन, आज के समय में पापा की परी (Papa ki Pari), लड़कियों पर कटाक्ष के रूप में, इस्तेमाल किया जाने वाला शब्द बन चुका है| यह कहानी एक बाप बेटी (baap beti) है| वह अपने मम्मी पापा के साथ, शहर के एक किराये के घर में रहती थी| बचपन से ही जाह्नवी के पिता ने, उसे परी की तरह पाला था| जाह्नवी अपने माँ बाप की इकलौती बेटी है| उसके पिता अपनी बेटी को क्रिकेटर बनना चाहते हैं इसलिए, उन्होंने जाह्नवी का एडमिशन, एक क्रिकेट एकेडमी में करवाया लेकिन, जब भी जाह्नवी क्रिकेट खेलने, अपने घर से जाती तो, उसके मोहल्ले के लड़के, उसे ताने मारते| ज़्यादातर लड़कों का कहना था कि, “क्रिकेट तो केवल लड़कों का खेल है| भला इसमें यह पापा की परी क्या करेगी” लेकिन जाह्नवी का उद्देश्य साफ़ था| वह अपने पापा का सपना पूरा करना चाहती थी| एक दिन जाह्नवी के पिता, उसे एकेडमी छोड़ने जा रहे थे अचानक, रास्ते में एक बच्चे को बचाने के चक्कर में, उनकी बाइक एक खंभे से जा टकराती है| खंभे से टकराते ही जाह्नवी, उछल कर दूर जा गिरती है लेकिन, उसके पिता के सिर में गहरी चोट आ जाती है जिससे, वह बेहोश हो जाते हैं| जाह्नवी सड़क पर, अपने पिता को अस्पताल ले जाने के लिए, ज़ोर ज़ोर से आवाज़ लगाती है| उसकी आवाज़ सुनते ही, आस पास मौजूद कुछ लोग, उसकी मदद करने पहुँच जाते हैं| जाह्नवी के पिता को, सरकारी अस्पताल लाया जाता है| कुछ घंटों के इलाज के दौरान, डॉक्टरों को पता चलता है कि, इनके दिमाग़ के अंदर खून का थक्का जम चुका है जिससे, यह कोमा में चले गए हैं और वह ट्यूमर, निकालना बहुत ज़रूरी है| नहीं तो, दो महीने के अंदर, ट्यूमर अपने आप फट जाएगा और उससे, इनकी जान को ख़तरा हो सकता है लेकिन, सबसे बड़ी समस्या की बात तो यह थी कि, ये ऑपरेशन सरकारी अस्पताल में कर पाना असंभव है| इसके लिए कई देशों के डॉक्टर्स, बुलाने होंगे जिनका ख़र्चा, लगभग एक करोड़ रुपया होगा| जिसका इंतज़ाम कर पाना, जाह्नवी के बस में नहीं था|
जाह्नवी की माँ, अस्पताल पहुँचते ही, अपने पति की हालत देखकर, सदमे में पहुँच जाती है| जाह्नवी अकेली पड़ चुकी थी| उसने अपने कई रिश्तेदारों को, पैसे के लिए फ़ोन किया लेकिन, एक सामान्य परिवार में, इतनी बड़ी राशि जुटा पाना मुश्किल होता है| बहुत कोशिश करने के बाद भी, एक महीने में जाह्नवी सिर्फ़ 5 लाख रुपया ही जोड़ पाई| जाह्नवी हताश हो चुकी थी| उसे समझ ही नहीं आ रहा था कि, कैसे वह बाक़ी के 95 लाख रुपये की व्यवस्था करे| जाह्नवी ने पैसों के लिए, अपने दोस्तों को फ़ोन किया तभी, उसे एक लड़की ने सोशल मीडिया से, मदद माँगने की सलाह दी| जाह्नवी को अपनी दोस्त की सलाह, अच्छी लगी इसलिए, उसने अपना एक सोशल मीडिया अकाउंट बनाया| जिसके माध्यम से उसने, अपने पिता की कई वीडियो बनाकर, अपलोड कर दिया लेकिन, कई वीडियो डालने के बावजूद भी, जाह्नवी के वीडियो बहुत कम लोगों तक पहुँच रहे थे| धीरे धीरे समय गुज़र रहा था| जाह्नवी को सोशल मीडिया से भी, निराशा हाथ लगने लगी तो, उसने अपने पापा का पोस्टर बनाकर, सड़क पर दिखाना शुरू कर दिया जिससे, कई लोग उसके पास आकर, कुछ पैसे देने लगे हैं लेकिन, वह पैसे इलाज के लिए काफ़ी नहीं थे| एक दिन जाह्नवी, ट्रैफ़िक सिग्नल के पास खड़े होकर, पोस्टर दिखा रही थी तभी, अस्पताल से डॉक्टर का फ़ोन आता है और वह बताते हैं कि,” उसके पिता की हालत बिगड़ती जा रही है| 5 दिनों के अंदर, यदि ऑपरेशन नहीं किया गया तो, ट्यूमर फट जाएगा|” जाह्नवी पोस्टर फेंककर, अस्पताल की ओर भागती है लेकिन, वह एक कार से टकराकर गिर जाती है|
जिस वजह से वह बेहोश हो जाती है| कार का मालिक, जाह्नवी को अपनी कार में बैठाकर, अस्पताल लाता है| अस्पताल में, जाह्नवी होश में आते ही, अपने पापा के पास जाने की ज़िद करती है| कार मालिक को जैसे ही पता चलता है कि, जाह्नवी के पिता कोमा में है| वह तुरंत उसे, अपने साथ लेकर, उसी हॉस्पिटल में पहुँच जाते हैं जहाँ, उसके पिता भर्ती है| जाह्नवी डॉक्टर के पास पहुंचकर, अपने पिता की जान बचाने की भीख माँगने लगती है| दरअसल उसे समझ में आ चुका था कि, वह पाँच दिनों के अंदर, इतने पैसों का इंतज़ाम नहीं कर पाएगी| कार मालिक को जैसे ही, जाह्नवी के हालात का पता चलता है| वह तुरंत उसका पोस्टर, अपने सोशल मीडिया अकाउंट से, शेयर करके वहाँ से चला जाता है| उनके जाते ही जाह्नवी के खाते में, रुपयों की बरसात होने लगती है| दरअसल कार मालिक, एक सोशल मीडिया स्टार था और उसके करोड़ों फॉलोअर्स की वजह से, जाह्नवी के पास एक करोड़ रुपया से ज़्यादा राशि इकट्ठी हो चुकी थी| जैसे ही जाह्नवी को पता चलता है कि, उसके खाते में उसके पिता के ऑपरेशन के पैसे आ चुके हैं|
वह ख़ुशी से उछल पड़ती है और डॉक्टर के पास जाकर, अपने पिता का ऑपरेशन शुरू करने को कहती है| डॉक्टर पैसे मिलते ही, जाह्नवी के पिता को ऑपरेशन वार्ड में ले जाकर, ऑपरेशन प्रक्रिया शुरू कर देते हैं| छह घंटे के बाद, डॉक्टर्स के सफल ऑपरेशन के द्वारा, ट्यूमर बाहर निकाल दिया जाता है| 24 घंटे बेहोश रहने के बाद, जैसे ही जाह्नवी के पिता को होश आता है| वह सबसे पहले, अपनी बेटी के बारे में पूछते हैं| जाह्नवी अपने पिता को होश में देखते ही, उनसे लिपट जाती है और रोने लगती है| जाह्नवी के पिता को, जैसे ही यह बात पता चलती है कि, उनकी प्यारी सी परी ने ही, उन्हें बचाने के लिए, असंभव को संभव कर दिखाया, उन्हें अपनी बेटी पर गर्व होता है| जाह्नवी ने साबित कर दिया था कि, वह सच में अपने पापा की परी ही है जिसने, अपने प्रयास से पिता को नया जीवनदान दे दिया|