प्रतिस्पर्धा (Pratispardha)- स्कूल की कहानी (Kahaniyan acchi acchi in hindi):
स्कूल की कहानी– प्रतिस्पर्धा (Pratispardha) के इस युग में, एक दूसरे को नीचा दिखाने की होड़ लगी रहती है| कुछ लोग इसके लिए, अपनी मेहनत पर भरोसा करके, कामयाबी हासिल करते हैं लेकिन, वहीं कुछ लोग दूसरों को गिराकर, बढ़ने में यक़ीन रखते हैं| ऐसी ही यह कहानी, एक लड़की की है, जिसका नाम सीमा था| वह एक छोटे शहर की लड़की थी| सीमा अपने शहर में सर्वश्रेष्ठ छात्रा कहलाती थी लेकिन, कॉलेज पहुँचते ही उसे, असली प्रतिस्पर्धा का एहसास हुआ| यहाँ के विद्यार्थी, पढ़ने के साथ साथ कई चीज़ों को महत्व देते थे| जिसमें, तरह तरह की मौज मस्ती शामिल थी| यहाँ के हॉस्टल से, भाग कर ज़्यादातर लड़के लड़कियाँ, रात रात को घूमने निकल जाया करते थे| यहाँ, सभी तरह के छात्र थे| इस कॉलेज की एक ख़ास बात थी, “आज तक सभी परीक्षा परिणामों में, सिर्फ़ लड़के टॉप १० पोज़ीशन पर पर रहते थे” हालाँकि, कॉलेज में लडकों की जनसंख्या अधिक थी, जिसका फ़ायदा लड़कों को ही मिलता था| सीमा की भेस भूसा, बहुत ही सामान्य थी इसलिए, उससे ज़्यादा लोग दोस्ती नहीं करते थे| सीमा ने कभी, अपने सजने संवरने पर ध्यान नहीं दिया था| उसे सिर्फ़, अपनी पढ़ाई में रुचि थी लेकिन, शहर के इस कॉलेज में उसकी प्रतिभा ही, उसकी खुशियों के आड़े आने लगी थी| कुछ दिनों में, सभी विद्यार्थी उससे दूरी बना चुके थे| दरअसल, सब उसे बोर लड़की समझते थे| सीमा को अंदर ही अंदर, दुख होने लगा क्योंकि, उसके अपने शहर में, उसे सभी पसंद करते थे लेकिन, यहाँ के लोग कुछ अलग ही थे| यहाँ पढ़ाई से ज़्यादा, दिखावा करने वाले लड़के लड़कियों की इज़्ज़त होती थी| मस्ती करने वालों को यहाँ, सभी अपना रोल मॉडल मानते थे| सीमा अकेली पड़ चुकी थी| कभी कभी उसका भी मन, दोस्तों के साथ घूमने का होता था लेकिन, उसके साधारण से कपड़ों की वजह से, कोई भी लड़की उसके साथ जाना पसंद नहीं करती थी| एक दिन, कॉलेज की तीन दिनों की छुट्टी मिलते ही, सीमा त्योहार मनाने अपने घर पहुँची|
वहाँ उसने अपनी माँ के सामने, अपने कॉलेज का हाल सुनाया| उसकी माँ ने, उसे समझाते हुए कहा, “बेटी मैं भी पढ़ना चाहती थी लेकिन, मुझे कभी ऐसा मौक़ा नहीं मिला और आज घर में, मज़दूरों की तरह सुबह से शाम तक, काम करना पड़ता है तो भी, कोई सम्मान नहीं मिलता लेकिन, यदि मैं अच्छी पढ़ी लिखी होती तो, शायद मेरी ज़िंदगी कुछ और होती| सीमा अपनी माँ की बात, ग़ौर से सुन रही थी| अपनी माँ की बात सुनकर, उसे एहसास हुआ कि, “कोई बात नहीं, अगर कोई उससे दोस्ती नहीं करता| उसे तो, अपनी पढ़ाई में ध्यान देना चाहिए” और उसके बाद से, कॉलेज लौटते ही सीमा सिर्फ़ अपनी पढ़ाई पर केंद्रित हो जाती है| सीमा ने अकेले रहना सीख लिया था| अब उसे किसी भी दोस्त की ज़रूरत नहीं थी| उसकी माँ की बातों से, उसे एक आत्मबल प्राप्त हो चुका था| परीक्षा तिथि की घोषणा होते ही, सभी छात्रों में उथल पुथल मच चुकी थी| जिन विद्यार्थियों ने साल भर मस्ती की थी, अब वह भी किताब खोल कर पढ़ाई में लग चुके थे| परीक्षाएं प्रारंभ हुई| सभी विद्यार्थी पूरी उत्सुकता के साथ, परीक्षा देने पहुँचे| जिन विद्यार्थियों ने पढ़ाई में पूरा ध्यान लगाया था, उन्हें अपने ऊपर पूरा विश्वास था लेकिन, मस्तीखोर छात्र डरे हुए थे| सभी विद्यार्थियों ने, शिक्षकों की निगरानी में, अपने सभी पेपर जोशीले अंदाज़ में दिए लेकिन, कुछ ही दिनों में, परीक्षा परिणाम ने सारे कॉलेज में उथल पुथल मचा दी क्योंकि, पहली बार इस कॉलेज में, किसी लड़की ने प्रथम स्थान प्राप्त किया था और वह, कोई और नहीं बल्कि, सीमा ही थी| सीमा के प्रथम वर्ष के परीक्षा परिणाम ने, लड़कों के बीच ग्लानि पैदा कर दी| उन्हें लग रहा था कि, सीमा ने टॉप मारकर, लड़कों का अपमान किया है और अब कुछ लड़कों ने, सीमा से अपनी बेइज़्ज़ती का बदला लेने की ठान ली| दूसरे वर्ष की कक्षाएं शुरू होते ही, ज़्यादातर लड़के सीमा को परेशान करने लगे है| सीमा ने कई बार, शिक्षकों से बदमाश छात्रों की शिकायत की लेकिन, इस कॉलेज में रैगिंग तो, आम बात थी| सीमा की रैगिंग, सभी लड़के करने लगे थे| एक दिन सीमा, अपने कैंटीन में खाना खा रही थी| लड़के वहाँ से गुज़रते वक़्त, उसका टिफ़िन गिरा देते हैं जिससे, उसका सारा खाना फैल जाता है लेकिन, इसी बीच विजय नाम का एक लड़का, फैला हुआ खाना, उठाने लगता है| सीमा को यह देखकर, अजीब लगता है क्योंकि, “आज पहली बार किसी लड़के ने उसकी मदद की थी|” वह मुस्कुराते हुए, विजय को थैंक्स कहती है| इस छोटी सी मुलाक़ात ने, सीमा को विजय के प्रति, आकर्षित कर दिया था| वह रोज़ाना, सीमा के आस पास बैठने लगा| सीमा को यह सब पसंद आने लगा| धीरे धीरे, दोनों की नजदीकियां बढ़ गई| पहले साल एन्जॉय न कर पाने के कारण, सीमा को कमी खली थी और अब उसे ऐसा लग रहा था कि, वह विजय के साथ घूमकर, सारी कमी पूरी करेगी| देखते ही देखते, दोनों में प्यार का असर गहरा होने लगा| विजय आए दिन, सीमा को हॉस्टल से निकाल कर, बाहर घुमाने ले जाता और देर रात तक, दोनों घूमते रहते|
सीमा विजय के प्यार में, इतना डूब चुकी थी कि, अब उसे अपनी पढ़ाई में, कोई रुचि नहीं थी| उसे ऐसा लग रहा था कि, “उसको जीवन साथी तो मिल चुका है| अब पढ़ाई से क्या करना| भविष्य तो बन ही चुका है” लेकिन यह सीमा की भूल थी जिसका, अंजाम बुरा होने वाला था| दूसरे वर्ष के परीक्षा में, सीमा ने पढ़ाई में बिलकुल ध्यान नहीं दिया जिसकी वजह से, वह बहुत से छात्रों से पीछे हो चुकी थी| दूसरे वर्ष का परीक्षा परिणाम घोषित होते ही, विजय ने अपना रंग दिखा दिया| उसने सीमा का रिज़ल्ट, सबके सामने दिखाकर, उसका ख़ूब मज़ाक उड़ाया| दरअसल, क्लास के कुछ लड़कों ने, पढ़ाई से सीमा का ध्यान भटकाने का प्लान बनाया था ताकि, कोई भी लड़की लड़कों से आगे ना निकल सकें और विजय, उसी प्लान के तहत, सीमा के क़रीब आया था| सीमा को यह पता चलते ही, बहुत दुख होता है हालाँकि, लड़कों की साज़िश से नाराज़ होकर, कुछ लड़कियाँ सीमा के लिए, सहानुभूति प्रकट करती है| आज सीमा को, अपनी माँ की बात ना मानकर पछतावा हो रहा था| सीमा ख़राब रिज़ल्ट से ज़्यादा, विजय के धोखे से दुखी थी और अब वह तैयार थी, लड़कों से अपने अपमान का बदला लेने के लिए| Read Part 2
बाज की दस्तक – Kahaniyan acchi acchi in hindi
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