सुनहरी मछली | मजेदार कहानियाँ | majedar kahani

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सुनहरी मछली (मजेदार कहानियाँ) majedar kahani:

बच्चों की ऐसी मजेदार कहानियां (Majedar kahani) जिनसे उन्हें प्रेरणा मिलेगी एक जंगल में छोटा सा तालाब था। उस तालाब में बहुत से जीव रहते थे। उन्हीं में से एक सुनहरी मछली सब के बीच रहती थी। लेकिन सुनहरी मछली अपने रंग की वजह से सबसे अलग थी, और वह उस तालाब में अकेली थी, जो इतनी सुंदर और अनोखी थी। उसकी सुंदरता ही कई बार उसे पसंद नहीं आती थी, क्योंकि उसके सुंदर रूप कारण सभी जीव जंतु उसे घमंडी समझते थे, और कोई भी उससे दोस्ती नहीं करता था। एक बार सुनहरी मछली सुबह सुबह तालाब के किनारे पानी में खेल रही थी। तभी एक सुनहरा मेंढक तालाब के किनारे आकर बैठ गया।

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मछली ने आज से पहले सुनहरे रंग का मेंढक कभी नहीं देखा था। मेंढक को देखकर मछली के मन में बहुत से सवाल उठने लगे, और उसने उत्साहित होते हुए पूछ ही लिया। क्या तुम मेंढक हो ? मछली की यह बात सुनकर मेंढक ज़ोर ज़ोर से हँसने लगा। मेंढक ने कहा तुम्हें दिखाई नहीं देता हमारी तरह कोई और भी होता है क्या ? तभी मछली मुस्कुराते हुए बोली मैंने आज से पहले इतना प्यारा मेंढक नहीं देखा। हमारे तालाब में बहुत से मेंढक हैं, और कई रंगों और प्रजातियों के हैं, लेकिन तुम्हारे जैसा कोई नहीं। तभी मेंढक, मछली से पूछता है। क्या तुम्हारी तरह और भी मछलियाँ इस तालाब में हैं ? सुनहरी मछली ने जवाब दिया। नहीं मैं अकेली ही हूँ, जो इस रंग में दिखाई देती हूँ। मेंढक मछली की यह बात सुनकर उससे दोस्ती करने का हाथ बढ़ाता है, और मछली भी पानी में उछल कर उसकी दोस्ती स्वीकार कर लेती है।
सुनहरी मछली | मजेदार कहानियाँ | majedar kahani
सुनहरी मछली

एक दिन मेंढक तालाब के किनारे सो रहा होता है। अचानक ऊपर से एक बाज़, मेंढक की तरफ बहुत तेज़ी से उड़ता हुआ आ रहा होता है, और मछली की नज़र बाज़ पर पड़ जाती है, और मछली अपने मुँह से पानी मेंढक के ऊपर फेकती है, और मेंढक की आँख खुल जाती है तभी वह अपने ऊपर आते हुए बाज़ को देख लेता है |

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तभी वह जल्दी से पानी के अंदर छलांग लगा देता है, और मछली की समझदारी से, मेंढक की जान बच जाती है। अगर मछली न होती तो आज मेंढक बाज़ का शिकार बन गया होता है। मेंढक, मछली का धन्यवाद करता है। और इस घटना के बाद दोनों में बहुत गहरी दोस्ती हो जाती है। एक दिन अचानक मछली की तबीयत बिगड़ने लगती है। उसका सारा शरीर काला पडने लगता है, तभी मेंढक को यह बात पता चलती है, और मेंढक अपनी दोस्त को ठीक करने के लिए जंगल में जाकर औषधियों की जानकारी के लिए गिलहरी से मिलता है।
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गिलहरी उसे कुछ ऐसी पत्तियाँ देती है, जो मछली के स्वास्थ्य को एकदम ठीक कर सकेंगी। मेंढक ख़ुशी ख़ुशी उन पत्तियों को अपने मुँह में दबाकर उछलते हुए तालाब के किनारे पहुँच जाता है, और मछली को वह पत्तियाँ दे देता है। मछली जैसे ही उन पत्तियों को खाती है, तो उसका सुनहरा रंग वापस आने लगता है, और वह दोबारा अपने वास्तविक रूप में आ जाती है |
सुनहरी मछली
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और मेंढक को पानी में उछाल का सैल्यूट देती है, और कहती है तुम मेरे सच्चे दोस्त हो। तुम हमेशा मेरे साथ रहना और दोनों साथ तालाब की गहराइयों में सैर के लिए निकल जाते हैं।

 

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