जंगली भेड़िया (प्रेरणादायक लघु कहानी)- bhediya ki kahani in hindi
प्रेरणादायक लघु कहानी– भेड़िया और बकरी की कहानियां तो, आपने सुनी ही होंगी| भेड़िया एक ख़ूँख़ार जानवर है जिसे, अक्सर बकरियों का शिकार करने के लिए, जाना जाता है लेकिन, यह एक ऐसे भेड़िया की कहानी (bhediya ki kahani) है जिसने, बकरी से कुछ अलग ही रिश्ता निभाया| एक जंगल में बहुत से भेड़िये रहते थे, जो जंगल के नज़दीक के गांवों से, बकरियों का शिकार किया करते थे| एक दिन एक जंगली भेड़िया, अपने दल से भटक कर, अकेले ही एक गाँव के अंदर, खेत के नज़दीक पहुँच जाता है| खेत में कई तरह के पालतू पशु, घास चर रहे होते हैं| उन्हीं पालतू पशुओं के बीच में, भेड़िये को एक बकरी का बच्चा, अकेले घास चरते हुए दिखाई देता है| बकरी के बच्चे को देख, जंगली भेड़िए के मुँह में, पानी आ जाता है| वह धीरे धीरे बकरी के बच्चे के, नज़दीक बढ़ने लगता है| अचानक, बकरी के बच्चे की नज़र, भेड़िए पर पड़ती है| भेड़िया चौकन्ना हो जाता है| उसे लगता है कि, अब बकरी का बच्चा, उसे देखकर भाग जाएगा लेकिन, भेड़िए की सोच से उलट, बकरी का बच्चा, उसके नज़दीक पहुँच जाता है| दरअसल बकरी के बच्चे ने, आज पहली बार भेड़िया देखा था| वह उसे साधारण जानवर ही समझ रहा था लेकिन, भेड़िये के मन में तो कुछ और ही चल रहा था| बकरी के बच्चे को, अपने क़रीब आते देख, भेड़िया वहीं रुक जाता है और उसके नज़दीक आने का इंतज़ार, करने लगता है लेकिन, इसी बीच किसान, खेत के अंदर, डंडा लेकर घुसा आता है| जिसे देखकर, भेड़िया जंगल में वापस लौट जाता है| इस बार तो बकरी का बच्चा, भेड़िए का शिकार बनने से बच गया था लेकिन, भेड़िया इतनी आसानी से, बकरी के बच्चे को छोड़ने वाला नहीं था| शाम होते ही, किसान खेत से, अपने घर की ओर, चला जाता है लेकिन, वह अपने पालतु पशुओं को, खेत में ही, घास चरने के लिए, अकेला छोड़ देता है|
जंगली भेड़िया, कुछ घंटों से ताक लगाए बैठा था| किसान के जाते ही, उसे शिकार करने का मौक़ा मिल चुका था| वह धीरे धीरे बढ़ते हुए, खेत के अंदर, प्रवेश कर जाता है हालाँकि, उसके सामने कई तरह के पशु दिखाई दे रहे थे लेकिन, उसे सबसे आसान शिकार, बकरी का बच्चा ही लग रहा था| इत्तफ़ाक से, इस बार भी, बकरी का बच्चा, भेड़िए की आहट पाकर, उसके पास पहुँच जाता है| भेड़िया बकरी के बच्चे को देखकर, शिकार करने की हिम्मत नहीं कर पा रहा था क्योंकि, आज तक उसके सामने कोई भी बकरी, खड़े होने का साहस नहीं दिखा पाई थीं| फिर, भला यह बकरी का बच्चा, इतना बहादुर कैसे था? भेड़िया उसके क़रीब पहुँच कर, उसे चाटने लगता है| बकरी के बच्चे को, गुदगुदी होने लगती है, इसलिए वह, ज़मीन में लेट जाता है और भेड़िये के साथ, खेलने लगता है| जंगली भेड़िया, बकरी के बच्चे के, ऐसे स्वभाव से, भ्रमित हो जाता है| वह भी उसके साथ, खेलने की कोशिश करता है| काफ़ी देर तक, बकरी के बच्चे के साथ खेलते खेलते, भेड़िये को उससे लगाव होने लगा था| भेड़िए और बकरे का यह सिलसिला, कई दिनों तक चलता है| कई बार तो, भेड़िया दिन के उजाले में भी, बकरी के बच्चे के साथ खेलने के लिए आ जाता| धीरे धीरे, बकरी का बच्चा भी बड़ा हो चुका था| भेड़िया और बकरे की दोस्ती बढ़ती जा रही थी लेकिन, एक दिन अचानक, किसान ने उस बकरे को कसाई के हाथों बेच दिया|
कसाई, उसे क्रूरता के साथ, अपनी गाड़ी में, पीछे बाँध लेता है लेकिन, इसी बीच भेड़िये को पता चल जाता है कि, उसके दोस्त को बाँध कर, गाँव से बाहर ले जाया जा रहा है| वह कसाई का पीछा करता है और कुछ दूर पहुँचते ही, उसे कसाई दिख जाता है| भेड़िया पूरे ग़ुस्से से, उस पर ज़ोरदार हमला करता है| कसाई अपनी गाड़ी से गिर जाता है और भेड़िये से डरकर, भागने लगता है| भेड़िया, उसका कुछ दूर तक पीछा करता है फिर, अपने दोस्त के पास वापस लौट आता है| भेड़िए ने अपने दोस्त को बचाने के लिए, पहली बार, हिंसात्मक रवैया अपनाया था जिससे, बकरा बहुत डर चुका था| भेड़िए का ख़ूँख़ार चेहरा देखकर, बकरा चिल्लाने लगता है| भेड़िया, कुछ समझ नहीं पा रहा था| वह अपने दोस्त को चिल्लाते देख, पीछे हट जाता है| तभी वहाँ से कुछ लोग गुज़रते हैं, भेड़िया उन्हें देख कर छुप जाता है| अचानक उनकी नज़र, बँधे हुए बकरे पर पड़ती है| वह उसके पास पहुँच कर, उसकी रस्सियाँ खोल देते हैं| रस्सियाँ खुलते ही, बकरा वहाँ से दौड़ लगा देता है| इसी बीच भेड़िया उसका पीछा करता है लेकिन, अब शायद वह भेड़िए से डर चुका था| भेड़िया अपने दोस्त का ऐसा बर्ताव देखकर, दुखी हो जाता है और वह हमेशा के लिए, उससे दूर चला जाता है|
आज का एकलव्य- Eklavya ki kahani
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