जादुई पेन (Jadui pen) छोटे बच्चों की स्टोरी- जादुई कहानियां (long story in hindi) for Vidyarthi:
छोटे बच्चों की स्टोरी– जादुई कहानियां, पढ़ने में रोमांचक होती है लेकिन, क्या इस विज्ञान की दुनिया में, जादू पर विश्वास किया जा सकता है| इस तथ्य को समझने के लिए, जादुई पेन कहानी, पाठकों की पथ प्रदर्शक सिद्ध होगी| विषु नाम का एक लड़का था| उसे बचपन से ही, जादुई फिल्में देखना बहुत पसंद था| कई बार वह TV देखते वक़्त, ऐसा खो जाता कि, जैसे उसके पास भी, कोई जादुई छड़ी है और वह, छड़ी के जादुई चमत्कार से, अपनी सारी इच्छाएँ पूरी कर रहा है लेकिन, सपना टूटते ही, वह अपनी वास्तविक स्थिति में आ जाता| विषु स्कूल में पढ़ाई कर रहा था लेकिन, उसे पढ़ाई में बिलकुल रुचि नहीं थी| वह सारा दिन, अपनी जादुई दुनिया में खोया रहता था| विषु के माता पिता ने, उसे पढ़ाने के लिए, कई शिक्षकों की मदद ले रहे थे लेकिन, सभी कोशिशें बेकार जा रही थी| विषु हमेशा ख्वाबों की दुनिया में ही जीता था| एक दिन, विषु अपने कमरे में जादुई फिल्म देख रहा था| उसी समय, उसके घर में कोई दरवाज़ा खटखटाता है| विषु की माँ दरवाज़ा खोलकर देखती है तो, उन्हें वहाँ कोई नज़र नहीं आता लेकिन, दरवाज़े के सामने ही, एक छोटा सा लकड़ी का बॉक्स रखा हुआ था| वह बॉक्स लेकर, घर के अंदर आ जातीं हैं| विषु और उसके पिता, बॉक्स देखते ही डर जाते हैं| उन्हें लगता है कि, “कही इसमें कोई भयानक वस्तु ना छिपी हो” इसलिए, वह अपने बेटे को, पीछे हटने को कहते हैं और अकेले ही, धीरे से हिम्मत करके, बॉक्स का हुक खोल देते हैं| बॉक्स खुलते ही, उसमें एक ख़ूबसूरत सा, स्याही वाला पेन रखा हुआ, दिखाई देता है| उसे देखते ही, विषु पेन उठा लेता है| पेन के नीचे, एक रहस्यमयी चिट्ठी भी रखी हुई थी| विषु के पिता, चिट्ठी उठाकर पढ़ते हैं| उसमें लिखा था कि, “यह जादुई पेन है और इससे, जो भी लिखा जाएगा, वह लिखने वाले को, हमेशा याद रहेगा|” इतना सुनते ही, विषु की ख़ुशी का ठिकाना ही नहीं रहा| उसे ऐसा लगा मानो, उसकी पढ़ाई की समस्या तो, सुलझ गई| विषु तुरंत, अपने पिता से पेन, अपने पास रखने की ज़िद, करने लगता है लेकिन, वह उसे समझाते हैं कि, “बेटा किसी ने हमारे साथ मज़ाक किया होगा| इस विज्ञान की दुनिया में, जादू जैसी कोई चीज़ नहीं होती” लेकिन विषु कहाँ मानने वाला था| विषु के पिता को यह पेन कुछ अजीब लग रहा था लेकिन, उन्होंने अपने बेटे की ख़ुशी के लिए, वह पेन उसे ही दे दिया|
विषु पेन मिलते ही, अपने दोस्तों के पास पहुँच गया और उसने जादुई पेन की बात, सभी से बता दी लेकिन, उसकी बात सुनकर सारे दोस्त, उसका मज़ाक उड़ाने लगते हैं| विषु को अपने दोस्तों का यह बर्ताव पसंद नहीं आता| वह नाराज़ होकर, अपने घर वापस आ जाता है और वह तय करता है कि, “अब वह इस पेन की जादुई ताक़त, अपने दोस्तों को दिखाकर ही रहेगा|” वह अपने सिलेबस की, सारी किताबों की नक़ल करना शुरू कर देता है| विषु देखते ही देखते, कुछ ही दिनों में, पेन के सम्मोहन में इतना खो चुका था कि, उसे अपने खाने पीने तक का होश नहीं था| वह सुबह नींद खुलते ही, अपनी कॉपी लेकर लिखना चालू कर देता था और रात तक लिखता रहता| कुछ ही महीनों में, उसने लिख लिख कर, अपने विषय से संबंधित किताबों की, प्रतिलिपि तैयार कर ली थी| ताज्जुब की बात तो यह थी कि, किताबों की नक़ल करते करते, वह अपनी पढ़ाई में इतना डूब चुका था कि उसे, कई प्रश्नों के उत्तर, मुँह ज़बानी याद हो चुके थे और अब, वह पूरी तरह से पढ़ने में ध्यान लगाने लगा था| परीक्षा की घड़ी भी आ चुकी थी| विषु के लिए, यह परीक्षा, उसकी नहीं बल्कि, उसके जादुई पेन की थी| सभी को पता था कि, विषु पिछले किसी भी कक्षा में, अच्छे अंक से उत्तीर्ण नहीं हुआ तो, भला अब क्या बदलने वाला था? लेकिन, विषु आत्मविश्वास के साथ, परीक्षा देने पहुँच चुका था| कई दिनों तक केवल, लिखने की वजह से, विषु के दिमाग़ में सारा दिन किताबें ही घूमती रहती थी इसलिए, उसके दोस्त भी, उससे दूर हो चुके थे लेकिन, विषु का ध्यान पूरी तरह, परीक्षा में केंद्रित हो चुका था| ताज्जुब की बात तो यह थी कि, विषु अपनी कक्षा में, सबसे पहले अपनी उत्तर पुस्तिका जमा करता है| यह देखकर, बाक़ी बच्चे सोच रहे थे कि, विषु परीक्षा में ज़रूर, प्रश्नों के अधूरे उत्तर ही, लिख रहा होगा इसलिए, वह जल्दी अपनी उत्तरपुस्तिका, जमा कर रहा है लेकिन, सभी बच्चों का यह भ्रम टूट गया| जब कुछ दिनों बाद, परीक्षा का परिणाम घोषित हुआ क्योंकि, विषु ने पहली बार इतिहास रच दिया था| उसने, सभी प्रश्नों के उत्तर, हुबहू किताब की भाषा में ही दिए थे और इस वजह से, वह पूरे प्रदेश में, सर्वश्रेष्ठ अंकों से उत्तीर्ण हुआ था| किसी को यक़ीन ही नहीं हो रहा था कि,” कुछ महीनों पहले जो बच्चा, ढंग से अपना नाम तक नहीं लिख पाता था, उसने पूरे प्रदेश में, प्रथम स्थान प्राप्त किया है|” विषु अपनी सफलता से बहुत ख़ुश था| उसने घर पहुँचते ही, सबसे पहले अपने पिता को, अपना परीक्षा परिणाम दिखाते हुए कहा, “पापा देखा आपने, मेरे जादुई पेन कमाल” लेकिन उसके पिता की प्रतिक्रिया, एक दम सामान्य थी इसलिए, विषु ने अपनी बात में, ज़ोर देते हुए दोबारा कहा, “क्या आपको, अभी भी इस पेन में कोई जादुई ताक़त नज़र नहीं आती, क्या अब भी आप, जादू पर विश्वास नहीं करते हैं?” तभी, विषु के पिता मुस्कराने लगते हैं| अपने पिता को मुस्कुराता देख, विषु सोचने लगता है कि, “उसके पिता उसके जादुई पेन को, अभी भी हल्के में ले रहे हैं|” वह अपने पिता की प्रतिक्रिया पर, थोड़ा नाराज़गी ज़ाहिर करते हुए, अपनी माँ के सामने, पेन का गुणगान करने लगता है लेकिन, उसकी माँ भी जादुई पेन की बात सुनकर, उसी अंदाज़ में, उसके सामने मुस्कुराती है जैसे, उसके पिता मुस्कुरा रहे थे| उसे समझ में ही नहीं आ रहा था कि, “आख़िर चल क्या रहा है? उसने, इतनी बड़ी सफलता हासिल की है फिर भी, इन्हें उस पेन की जादुई ताक़त, दिखाई नहीं दे रही|” विषु अपना सर खुजला ही रहा था कि, “उसके पिता कहते हैं, “बेटा तुम्हारा परीक्षा परिणाम, तुम्हारी मेहनत और लगन का ही नतीजा है| दरअसल वह पेन, मैंने ही अपने घर में कोरियर करवाया था|
मैं तुम्हारी पढ़ाई को लेकर, हमेशा परेशान रहता था लेकिन, एक दिन मुझे किसी महान ज्ञानी से, निरंतर अभ्यास की ताक़त पता चली| उन्होंने बताया कि, “अभ्यास करने से बड़े से बड़ा काम किया जा सकता है तो, तुम्हारे बेटे की पढ़ाई क्या चीज़ है?” बस तभी से मैंने, तुम्हारी माँ के साथ मिलकर, जादुई पेन का नाटक किया|” विषु को, अपने पिता की बात समझ में आ चुकी थी और उसे, सच्ची मेहनत का फल भी प्राप्त हो चुका था और इस घटना ने, विषु को मेहनत के जादू का एहसास करवा दिया था|