उलझन (purani kahaniyan)- स्टोरी हिंदी (Motivational stories for young boy):
स्टोरी हिंदी– हर इंसान हमेशा, अपने जीवन के उस पड़ाव पर आ खड़ा होता है जहाँ, उसे अपने निर्णय लेने में उलझन ज़रूर होती है| अपने निर्णय को सही दिशा देने के लिए, जीवन के कुछ तथ्यों को समझना ज़रूरी होता है| उन्हीं को समझाने हेतु, यह कहानी प्रस्तुत है| नरेंद्र की परवरिश, एक ऐसे परिवार में हुई थी जहाँ, उसकी शिक्षा का उद्देश्य अधिक पैसे कमाकर, सफलता प्राप्त करना था लेकिन, नरेंद्र के जीवन में पहले से ही, धन दौलत की अधिकता थी इसलिए, उसे पैसे कमाने में कोई चार्म नज़र नहीं आ रहा था| वह अपनी ज़िंदगी में, कुछ रोमांचक करना चाहता था| दरअसल, नरेंद्र ने इतनी दौलत होने के बावजूद, अपने परिवार के सभी लोगों को, असंतुष्ट देखा था| नरेंद्र को, पैसों में कभी वह ताक़त ही नज़र नहीं आयी जो, उसे खुशियाँ दे सके है लेकिन, वह करता भी तो क्या करता? आस पास के लोगों को, एक एक रुपया के लिए तरसते देखने के बाद, उसके मन में यही कल्पना, घर कर चुकी थी कि, पैसा ही सब कुछ है| नरेंद्र बड़ी उलझन में था| उसे समझ में ही नहीं आ रहा था कि, ज़िंदगी का ऐसा कौन सा उद्देश्य है जिसे, पूरा करते हुए वह, हमेशा ख़ुश रह सकें हालाँकि, उसे इस बात पर पूरा यक़ीन हो चुका था कि, पैसे केवल उसकी ज़रूरत पूरी कर सकते हैं लेकिन, उसकी खुशियाँ नहीं ख़रीद सकते| एक दिन उसने तय किया कि, वह अपने घर से भाग जाएगा और किसी दूसरे शहर जाकर, कुछ दिन अकेले रहेगा| नरेंद्र अपने कॉलेज की पढ़ाई पूरी कर चुका था और अब, उसके घर वालों की उससे, यही उम्मीद कि, वह अपने पिता का व्यापार संभालेगा है लेकिन, नरेंद्र एक रात अपना सामान लेकर, कुछ पैसों के साथ, दूसरे शहर चला जाता है|

नरेंद्र के पास ज़्यादा पैसे नहीं थे इसलिए, वह ज़्यादा दूर नहीं जा सकता था| नरेंद्र एक छोटे से शहर पहुँचा और सड़क के किनारे, एक पेड़ के नीचे ही, अपना सामान रखकर बैठ गया| कई घंटों के सफ़र के बाद, नरेंद्र को जोरों की भूख लगी थी| वह एक दुकान से बिस्किट ख़रीद कर खाने लगा| गर्मी का समय था इसलिए, नरेंद्र पेड़ के नीचे, खुली हवा में आँख बंद करके लेट गया| अचानक, उसकी नींद लग गई और जैसे ही, उसकी आंखें खुली तो, रात हो चुकी थी| नरेन्द्र ने अपने आस पास देखा तो, उसका सामान भी ग़ायब था| नरेंद्र पेड़ के चारों तरफ़, अपना सामान ढूंढने की कोशिश करता है| उसी समय, वहाँ से एक बुजुर्ग व्यक्ति गुज़र रहे थे| नरेंद्र ने उनसे, अपने सामान के बारे में पूछा| तभी, उन्होंने कहा “बेटा, यह तो सड़क का किनारा है और यहाँ, सामान चोरी होना आम बात है| तुम्हें इतनी लापरवाही से नहीं सोना चाहिए था|” नरेंद्र कपड़ों से अच्छे घर का लड़का लग रहा था इसलिए, बुजुर्ग ने उसकी परेशानी देखते हुए, अपने घर में रहने का निमंत्रण दिया लेकिन, नरेंद्र अपने घर से बाहर, सारी सुख सुविधाएँ छोड़कर, अपने जीवन की दिशा खोजने निकला था| उसने बुज़ुर्ग के साथ, जाने से मना कर दिया और वहीं पेड़ के नीचे, अपना बसेरा बनाकर सो गया| अगली सुबह उठते ही, नरेंद्र सड़क पर आने जाने वाले लोगों को रोक-रोक कर, एक ही प्रश्न पूछता कि, “ख़ुश रहने के लिए, सबसे ज़्यादा ज़रूरी क्या है?” नरेंद्र को सभी के जवाब सुनकर, ताज्जुब हो रहा था क्योंकि, हर व्यक्ति की ख़ुशी की वजह, वक़्त के साथ बदलती रहती| कई लोग एक दूसरे के पास, मौजूद चीज़ों में, अपनी ख़ुशी समझ रहे थे| जिसके पास पैसा था वह, अपनी ख़ुशी के लिए, दुनिया की विषय वस्तुओं पर आधारित था और जिसके पास, पैसे की कमी थी उसकी, सबसे बड़ी ख़ुशी, पैसा कमाना ही था लेकिन, दोनों पक्षों में एक समानता थी कि, “दोनों ख़ुश नहीं थे और अपनी ख़ुशी के लिए, अच्छे भविष्य की चाहत में, आगे बढ़ रहे थे|” लोगों की बातों से, नरेंद्र यह समझ चुका था कि, “वह अपनी ख़ुशी के लिए, इस दुनिया की कोई भी चीज़ हासिल करेगा तो, उसकी अहमियत कुछ ही समय में, कम हो जाएगी|” नरेंद्र अब एक ऐसे रास्ते की तलाश में था, जिस पर चलते हुए, सारी ज़िंदगी बीत जाए लेकिन, मंज़िल हासिल न हो क्योंकि, उसे एहसास होने लगा था कि, “इंसान जिस भी चीज़ को हासिल कर लेता है, उसी पल वह चीज़, दिल से हटने लगती है और अगले पल, फिर एक नई इच्छा का जन्म, हो जाता है और लोग उसके पीछे भागने लगते हैं| यही चक्र लोगों को, हमेशा ग़ुलाम बनाए रखता है|” नरेंद्र को अपने जीवन की सच्चाई समझ में आ चुकी थी| नरेंद्र ने, अपने जीवन का उद्देश्य निर्धारित कर लिया और अपने घर वापस लौटते ही, अपने पिता का व्यवसाय संभालने लगा लेकिन, अब उसकी सोच बदल चुकी थी| अब वह व्यापार, पैसे के लिए नहीं बल्कि, लोगों को रोज़गार देने के लिए कर रहा था|

उसने लोगों की आर्थिक स्थिति बदलने का, अनंत लक्ष्य चुन लिया था| कुछ ही सालों में, नरेंद्र ने अपनी मंज़िल पाने की राह में, कई लोगों का जीवन बदल दिया| आज नरेंद्र की कंपनी में, हज़ारों लोगों को रोज़गार के अवसर मिल रहे हैं और यही, नरेंद्र की ख़ुशी का राज है जो, हमेशा बनी रहेगी|