अंधेर नगरी (Andher Nagri)- अच्छी प्रेरणादायक कहानियां (Moral stories in hindi) गुड मोरल स्टोरी:
अंधेर नगरी (Andher Nagri) यानी अंधों का नगर, ऐसे इलाक़े को कहा जाता है जहाँ, ज़्यादातर लोग बिना सोचे समझे, फ़ालतू के कार्यों में संलग्न होते हैं जिससे, उनका जीवन असंतुलित बना रहता है| ऐसा ही एक प्राचीन शहर था| जहाँ रहने वाले लोग, कुरीतियों का शिकार हो चुके थे और इसी के चलते, उन्होंने अपनी सामाजिक संस्कृति के साथ साथ, एक दूसरे से पारस्परिक संबंधों का भी, सत्यानास कर लिया| आज सभी, इस शहर में चोरी लूट और धोखाधड़ी का सहारा लेते हुए, जीवन जीने के आदी हो चुके हैं| अंधेर नगरी में व्यापार करने वाले व्यापारी, कुछ ही महीनों में अपना धंधा बंद कर देते थे क्योंकि, उन्हें आए दिन ग्राहकों से झगड़े का सामना करना पड़ता था| अंधेर नगरी की जनता, भ्रष्टाचार में, अपने पड़ोसी शहरों को भी पीछे छोड़ चुकी थी| एक दिन अंधेरनगरी में, दूसरे देश से एक व्यापारी आया, जिसका नाम चतुर लाल था| वह बहुत चालाक व्यापारी था| उसने यहाँ के लोगों के बारे में, पहले से ही जानकारी जुटा रखी थी इसलिए, उसने आते ही सबसे पहले, शहर के बीचों-बीच खड़े होकर, ऐलान किया कि, “मैंने एक क़ीमती कपड़ों का गट्ठर, यहाँ की सबसे खूफिया जगह में छुपाया है| जो भी उसे ढूँढकर लाएगा, मैं उसे वह गट्ठर दे दूँगा और अपने व्यापार का हिस्सेदार भी, उसे ही बनाऊँगा|” बस फिर क्या था, उसकी बात सुनते ही, अंधेर नगरी (Andher Nagri) के नागरिकों के कान खड़े हो गए|
दरअसल वह बहुत लालची और धोखेबाज़ थे| उन्होंने आज तक एक भी व्यापारी को, इस शहर में ईमानदारी से, व्यापार करने का मौक़ा ही नहीं दिया| कोई भी व्यापारी यहाँ अगर अपनी दुकान खोलता तो, वह कुछ ही दिनों के अंदर, बंद कर देता या दुकान का सामान चोरी हो जाता जिससे, दुकान अपने आप बंद हो जातीं| सभी चतुर लाल की बात, बड़े ध्यान से सुन रहे थे और मन ही मन सोच रहे थे कि, चलो इस शहर में एक और बकरा आया, फँसने के लिए| इसी बीच चतुर लाल ने कहा, “आप सभी जिस जगह पर जाएँ, वहाँ निशानी के तौर पर, अपना रंगीन झंडा लगाते जाए ताकि, कोई दूसरा उस जगह पर बार बार न जाए|” ऐलान सुनते ही, अंधेर नगरी के सभी नागरिक, चतुर लाल से झंडे लेकर, गट्ठर ढूँढने निकल पड़े| चतुर लाल ने सभी को अलग अलग रंग के झंडे दिए थे ताकि, उसे पता चल सके कि, किस व्यक्ति ने कितनी जगह, अपने झंडे लगाए हैं| अंधेर नगरी के नागरिकों ने, देखते ही देखते इलाक़े का चप्पा चप्पा छान मारा| चतुर लाल एक ऊँची जगह पर बैठकर, सभी नागरिकों पर नज़र रख रहा था| अंधेर नगरी के लोगों को गट्ठर ढूंढते हुए, सुबह से शाम हो गई लेकिन, उन्हें कहीं कुछ नहीं मिला| सभी ग़ुस्से में चतुर लाल के पास पहुँचे और उसे चिल्लाते हुए कहने लगे, “तुमने हमारे साथ मज़ाक किया है| हमारा समय बर्बाद किया है| कपड़ों का गट्ठर हमें कही नहीं मिला|” चतुर लाल ने मुस्कुराते हुए कहा कि, “मैं तो आप लोगों की कुशलता जाँच रहा था| दरअसल इस जगह पर, मैं अपना व्यापार प्रारंभ करना चाहता हूँ और आप में से किसी एक को, अपने व्यापार का हिस्सेदार बनाना चाहता हूँ| मैं देखना चाहता था कि, अंधेर नगरी को सबसे अच्छी तरह से, कौन जानता है इसलिए, मैंने सभी को रंगबिरंगे झंडे दिए थे जिनसे, मुझे पता चल गया कि, यहाँ सबसे योग्य और क़ाबिल व्यक्ति कौन है?” चतुर लाल की बात सुनकर, सभी के चेहरे में चमक आ गई है क्योंकि, आज तक किसी ने भी इन पर भरोसा करके, उन्हें रोज़गार नहीं दिया था लेकिन, चतुर लाल तो अपने व्यापार में, हिस्सेदारी की बात कर रहा था जो, उनके सोच से परे थी| दरअसल चतुर लाल ने, कुछ ऐसी जगह देख ली थी जहाँ, ये लोग नहीं पहुँच पाए थे क्योंकि, वहाँ किसी का झंडा मौजूद नहीं था| उसने उसी जगह को, अपना कपड़ों का गोदाम बना लिया था और सभी को प्रोत्साहित करते हुए, अंधेर नगरी के सबसे शातिर चोर को, अपनी दुकान में हिस्सेदारी देने का, ऐलान कर दिया| उस चोर को अपना नाम सुनकर, यक़ीन ही नहीं हुआ क्योंकि, वह इस इलाक़े का सबसे शातिर लुटेरा था जिसे, चतुर लाल ने सबसे ज़्यादा झंडे लगाने की वजह से, पहचान लिया था|
कुछ ही महीनों में, चतुर लाल का तरीक़ा असर दिखाने लगा क्योंकि, शातिर चोर की वजह से, उसकी दुकान पूरी तरह सुरक्षित हो चुकी थी| चतुर लाल ने चोर को ही, तिजोरी का रखवाला बना दिया था जिससे, वह सभी नागरिकों की नज़र में था और अपनी छवि बनाने के लिए, वह धीरे धीरे ईमानदार होता जा रहा था| चतुर लाल ने अपनी बुद्धिमानी से, अंधेर नगरी में भी व्यापार करना सीख लिया था और इसी के साथ यह कहानी ख़त्म हो जाती है|
सुरक्षा (Suraksha)- Moral stories in hindi
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