अच्छी जिंदगी (Acchi Jindagi)- शिक्षाप्रद मजेदार कहानियां (prerak prasang in hindi):
शिक्षाप्रद मजेदार कहानियां– यहाँ हर किसी का सपना, एक अच्छी जिंदगी (achi zindagi) जीने का होता है और इसी आस में, हमारी पूरी उम्र बीत जाती है| मुझे पूरी आशा है कि, यह कहानी आपके जीवन के आनंद को खोजने में मददगार होगी| एक बहुत ही ख़ूबसूरत गाँव था| जहाँ नमी रहती थी| नमी के पिताजी, एक फूलों का बाग़ान संभालते थे| नमी सारा दिन फूलों के आस पास, तितलियों के साथ खेलती बड़ी हुई थी| नमी के पिता ज़्यादातर समय फूलों की देखभाल में ही लगे रहते थे और यही छोटी सी ज़िंदगी, इनकी दुनिया थी| नमी कॉलेज की पढ़ाई अपने घर से ही, व्यक्तिगत तौर पर कर रही थी| नमी को बचपन से ही, जीव जन्तुओं से लगाव था इसलिए, वह जीव वैज्ञानिक बनना चाह रही थी| एक दिन नमी फूलों के खेत में बैठकर पढ़ाई कर रही थी अचानक, एक कार खेत के पास आकर रुक गई| कार से जैसे ही नमी ने एक लड़के को उतरते देखा, उसकी नज़र थम गई| लड़का भी नमी को काफ़ी देर तक देखता रहा, कुछ ही देर में नमी के पिता जी भी वहाँ पहुँच गए| वह कुछ देख पाते, उससे पहले ही लड़का, अपनी कार में बैठकर वहाँ से निकल गया| अगले दिन नमी फिर से खेत में उसी लड़के के इंतज़ार में पहुँच जाती है|
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काफ़ी देर तक नमी की आंखें उसके इंतज़ार में चारों तरफ़ घूम रही थी और इसी बीच, कार की दोबारा एंट्री होती है लेकिन, इस बार वह लड़का अपने हाथों में फूलों का गुलदस्ता लिए हुए, नमी की तरफ़ बढ़ता है| नमी लड़के को अपनी तरफ़ आते देख कांपने लगती है| नमी के लिए किसी लड़के से, मुलाक़ात का पहला अनुभव था| लड़का नमी से मिलते ही, अपना नाम सूरज बताता है और उसे फूलों का गुलदस्ता सौंप देता है| नमी कांपती हुई आवाज़ में, लड़के से कहती है कि, आप यहाँ से चले जाओ| मेरे पिताजी ने देख लिया तो, तुम्हें परेशानी हो जाएगी लेकिन, सूरज निडर था, उसने नमी से कहा, “मैं तुमसे शादी करना चाहता हूँ| पहली नज़र में तुमने मेरा दिल चुरा लिया है| मेरे पास शहर में ख़ुद का घर और एक अच्छी नौकरी भी है| तुम्हारे पिता को तुम्हारी शादी, मुझसे करवाने में, भला क्या परेशानी होगी? दोनों की बातें चल ही रही होती है कि, इसी बीच नमी के पिता जी फूलों के खेत में पहुँच जाते हैं| वह नमी के पास लड़के को देखते ही, क्रोधित हो जाते हैं और तुरंत, ऊँची आवाज़ में नमी को अपने पास बुलाते हैं| नमी अपने पिता को देखते ही, डर से कांपने लगती है लेकिन, सूरज नमी को समझाता है, “तुम्हें डरने की कोई ज़रूरत नहीं, मैं कुछ ग़लत करने थोड़ी आया था| मैं तो बस तुम्हारे पिता से अपनी शादी की बात करने आया हूँ| सूरज के इतना कहते ही, “नमी की हिम्मत बढ़ जाती है| वह अपने पिताजी से सीधे शब्दों में, सूरज से शादी करने की इच्छा रखती है| नमी के पिता बहुत बुद्धिमान इंसान थे| उन्होंने सूरत से कहा, “मैं अपनी बेटी की अच्छी जिंदगी (Acchi Jindagi) चाहता हूँ| क्या तुम वादा करते हो कि, उसे हमेशा ख़ुश रखोगे? सूरज जोश में, नमी के पिता को यक़ीन दिलाता है लेकिन, वह सूरत से इस बात का सबूत मांगते हुए कहते हैं, “तुम्हारे पास ऐसा क्या है जिससे, तुम मेरी बेटी को हमेशा ख़ुश रख सकोगे| पूरे आत्मविश्वास से सूरज ने जवाब देते हुए कहा कि, “मेरे पास एक अच्छी नौकरी और शहर में दो BHK का बेहतरीन फ़्लैट है और कुछ ही दिनों में, मेरी कंपनी में मेरा प्रमोशन होने जा रहा है| अब बताइए, इसके अलावा और क्या सबूत चाहिए| नमी के पिता सूरत को देखकर मुस्कराने लगते हैं| उन्हें मुस्कुराता देख सूरज के चेहरे का रंग बदल जाता है| वह कहते हैं, “आपको मेरी सफलता मज़ाक लग रही है|” तभी नमी के पिता कहते हैं कि, “तुम अपने से ऊपर की नौकरी वाले या, अपने से अच्छे फ़्लैट में रहने वाले, एक भी ऐसे परिवार से मिला दो जिसमें, पति पत्नी इन चीज़ों की वजह से, बहुत ख़ुश हैं तो मैं, नमी की शादी तुमसे करने के लिए तैयार हूँ| सूरज उनकी बात सुनते ही, तुरंत अपने बॉस को फ़ोन लगाता है और कहता है, “बॉस क्या आप अपने ज़िंदगी से ख़ुश हैं|” सूरज के बॉस तुरंत जवाब देते हैं, “हाँ यार, मैं तो बहुत ख़ुश हूँ| इतनी बढ़िया सैलरी है| बस थोड़ा व्यस्त रहने की वजह से, पत्नी से झगड़ा ज़रूर होता रहता है| बाक़ी सब मस्त है|” अपने बॉस की बात सुनते ही, सूरज का मुँह उतर जाता है| वह तुरंत अपनी गाड़ी में बैठकर, शहर लौट आता है|
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शहर आकर वह कई लोगों से, यही बात पूछता है लेकिन, उसे इतने बड़े शहर में, एक भी ऐसा व्यक्ति नहीं मिलता जो, पूरी तरह संतुष्ट और आनंदित जीवन जी रहा हो| सूरज परेशान हो चुका था हालाँकि, सूरज को हारना पसंद नहीं था लेकिन, यहाँ उसे समझ में ही नहीं आ रहा था कि, वह नमी के पिता से ऐसा क्या कहे कि, वह शादी के लिए मान जाए| अगले ही दिन, वह फिर से नमी के घर पहुँचता है और उसके पिता जी से कहता है, “मुझे तो एक भी इंसान ऐसा नहीं मिला लेकिन, क्या आप अपनी बेटी के लिए ऐसा इंसान ढूँढ सकेंगे?” तभी नमी के पिताजी ने जवाब देते हुए कहा, “किसी भी इंसान की ख़ुशी, उसके कर्मों पर आधारित होती है, न कि किसी विषयवस्तु पर| तुम जिन चीज़ों को भी, अपनी ख़ुशी समझ रहे हो, उनके मिलते ही, उनका महत्व ख़त्म हो जाएगा| फिर उसके बाद, तुम्हारे रिश्ते में कोई भी ऐसी मूलभूत बात नहीं होगी, जिसके आधार पर, जीवन का आनंद हमेशा बना रहे इसलिए, शादी के लिए तुमने जो आधार तय किए हैं, वह बिलकुल ग़लत है|” सूरज को नमी की पिता की बातें समझ में नहीं आती| वह ग़ुस्से से वहाँ से निकल जाता है| कुछ ही महीनों के अंदर सूरज शादी करके सेटल हो जाता है| वहीं नमी विलुप्त तितलियों को बचाने की खोज में लग जाती है| नमी एक जीव वैज्ञानिक की हैसियत से, जंगलों में जाकर ऐसे ऐसे फूलों के नमूने इकट्ठे करती है, जिनके माध्यम से विलुप्त तितलियों को वापस अस्तित्व में लाया जा सके| इसी सिलसिले में एक दिन, नमी को एक कंपनी में मुख्य अतिथि के तौर पर आमंत्रित किया जाता है|
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नमी के मंच पर पहुँचते ही उस पर, दर्शक दीर्घा में बैठे हुए, सूरज की नज़र पड़ती है| सूरज तुरंत नमी को देखते ही, अपनी जगह में खड़ा हो जाता है| दरअसल, सूरज ने कल्पना भी नहीं की थी कि, उसके बिना नमी इतने ऊँचे मुक़ाम पर पहुँच सकेगी| नमी को पहले से पहचानने के बावजूद, सूरज की हिम्मत, उसके पास जानें की नहीं हो रही थी लेकिन, प्रोग्राम ख़त्म होते ही, सूरज नमी से मिलने उसके पास पहुँच जाता है| तभी नमी के सुरक्षाकर्मी, उसे पास आने रोक देते है लेकिन, इसी बीच नमी, सूरज को पहचान लेती है और वह, सुरक्षाकर्मियों को इशारा करती है| नमी के पास पहुँचते ही, सूरज आश्चर्यचकित होकर पूछता है, “तुम यहाँ तक कैसे पहुँची| नमी ने मुस्कुराते हुए कहा, “मेरी ख़ुशियाँ तो हमेशा से तितलियाँ ही रही है और उनकी समस्याएँ सुलझाने की चाहत ने, मुझे वैज्ञानिक बना दिया| नमी की बात सुनकर सूरज को ज़िंदगी के कुछ मूलभूत सिद्धांत समझ में आ चुके थे और इसी के साथ यह कहानी ख़त्म हो जाती है|