अपना कल (Apna Kal)- जिंदगी से जुड़ी कहानी Student story for students in hindi:
जिंदगी से जुड़ी कहानी– इस दुनिया में हर इंसान अपना कल(Apna Kal) बेहतर देखना चाहता है और अपने कल के अनुसार, लोग अपना कर्म सिद्धांत चुनते हैं| यह शिक्षा प्रद कहानी सिद्धार्थ की है जो, विद्यार्थियों को, अपना कल बेहतर करने के लिए ज्ञान प्रदान करेगी| सिद्धार्थ गाँव के एक ग़रीब ब्राह्मण का बेटा था| सिद्धार्थ के पिता गाँव के ही छोटे से मंदिर में पूजा पाठ करते थे और भक्तों से मिलने वाले अनुदान से अपना घर चलाते थे| सिद्धार्थ कॉलेज पहुँच चुका था| उसे अपने कल की चिंता बनी रहती थी| उसे आगे पढ़ाई करना व्यर्थ लग रहा था| वह अक्सर अपने पिता से कोई व्यापार शुरू करने की बात कहता लेकिन, उसके पिता बहुत बुद्धिमान थे उन्होंने सिद्धार्थ को कहा, “तुम्हें यदि विद्या का ज्ञान चाहिए तो, मैं तुम्हें दे सकता हूँ लेकिन, अविद्या यानी विज्ञान संबंधित ज्ञान के लिए, तुम्हें शहर के किसी अच्छे कॉलेज में दाख़िला लेना ही होगा, तभी तुम अपने आने वाले कल को सँवार सकोगे| सिद्धार्थ अपने पिता की बात का सम्मान रखते हुए, शहर के एक अच्छे कॉलेज में, अपना पंजीयन करवाता है| यहाँ पहुँचते ही उसे तरह तरह के रास्तों का पता चलता है लेकिन, कोई भी रास्ता ऐसा नहीं था जिससे, वह जान सकें कि, “उसके लिए क्या करना बेहतर होगा?” सिद्धार्थ कॉलेज पहुँचते ही, अपने जीवन के प्रति जागरूक होने लगा था|
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वह धीरे धीरे अपने लक्ष्य की ओर बढ़ रहा था| एक दिन सभी बच्चे क्लास में बैठे थे| तभी एक शिक्षक ने सभी से पूछा कि, आप लोग बड़े होकर क्या बनना चाहते हो तो, सभी बच्चों ने कई तरह के, रंग बिरंगे उत्तर दिए लेकिन, सिद्धार्थ का उत्तर शिक्षक को सोच में डाल गया| सिद्धार्थ ने उत्तर देते हुए कहा कि, “मैं कॉलेज में कुछ बनने नहीं आया हूँ बल्कि, शिक्षा ग्रहण करने आया हूँ| अभी मैं अपने जीवन का चुनाव करने में सक्षम नहीं हूँ|” शिक्षक बड़े ग़ौर से सिद्धार्थ की बात सुन रहे थे और उन्होंने सिद्धार्थ को रोकते हुए कहा, “क्या तुम यह भी नहीं जानते कि, तुम्हें किस दिशा में आगे बढ़ना हैं?” सिद्धार्थ थोड़ा देर तक चुप रहा| फिर अचानक उसने अपने शिक्षक से सवाल पूछा, “क्या आप हिमालय की जानकारी और अपने मक़सद को, जाने बिना केवल हिमालय का नाम जानकार, उसकी ओर जाने का फ़ैसला कर सकते हैं?” सिद्धार्थ की बात सुनते ही, सभी विद्यार्थी शिक्षक के जवाब का इंतज़ार करने लगे लेकिन, शिक्षक के पास सिद्धार्थ की बात का कोई जवाब ना था| वह सीधे क्लास छोड़कर बाहर निकल गए| शिक्षक समझ चुके थे कि, “कही न कही सिद्धार्थ की बात में सच्चाई है” लेकिन, किया भी किया जा सकता है| कई वर्षों से चल रही शिक्षा प्रणाली की अपनी कुछ सीमाएं हैं जिससे आगे जाना, विज्ञान के बस की बात नहीं| “विज्ञान हथियार बनाना सिखा सकता है लेकिन, उसे बनाना किसके लिए है, यह सिखाने का कार्य तो, आध्यात्म ही करेगा|” सिद्धार्थ कही न कही यह बात जानता था और उसे पूरा यक़ीन था कि, देर सवेर ही सही उसे अपना रास्ता नज़र आने लगेगा और हुआ भी ऐसा ही, जब उसने अपने सीनियर छात्रों की नौकरियों का विश्लेषण किया तो, उसे पता चला कि, किसी को उसकी पढ़ाई के अनुसार, नौकरियां नहीं मिली| इंजीनियरिंग करने वाले छात्र, बैंक में पॉलिसी बेच रहे थे और बैंकिंग की पढ़ाई करने वाले छात्र, कॉल सेंटर में बैठकर कस्टमर केयर सर्विस देख रहे हैं| सिद्धार्थ ने तय किया कि, वह छात्रों को उनकी योग्यता के अनुसार, नौकरियां ढूंढने में, उनकी मदद करेगा लेकिन, उसके पास कोई ऐसा तरीक़ा नहीं था जिससे, वह साबित कर सकें कि, वह विद्यार्थियों को बेहतर नौकरी दिलवा पाएगा इसलिए, उसने इंटरनेट के माध्यम से रिसर्च करना शुरू किया|
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जिसमें उसे पता चला कि, वह वेबसाइट के माध्यम से, कंपनियों से सीधे, विद्यार्थियों तक, रोज़गार की जानकारी पहुँचा सकता है| उसने अपने कुछ दोस्तों से पैसे मिलाकर, एक वेबसाइट की शुरूआत कर दी| बेरोज़गारी के इस युग में, सिद्धार्थ ने अपनी अकलमंदी से, कंपनियों तक योग्य छात्रों के आवेदन पहुँचाने की, प्रक्रिया का निर्माण कर दिया था जिससे, छात्र अपनी इच्छा के अनुसार, नौकरियां चुनने का माध्यम प्राप्त कर चुके थे| छात्रों की समस्या सुलझाने के भाव से, प्रारंभ की कई सिद्धार्थ की कंपनी, आज करोड़ों डॉलर की इंडस्ट्री बन चुकी है| सिद्धार्थ को उसका कल नज़र आने लगा था और इसी के साथ कहानी खत्म हो जाती है|