आज का एकलव्य- Eklavya ki kahani

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आज का एकलव्य- मोटिवेशनल कहानी छोटी सी (Eklavya ki kahani Hindi main):

मोटिवेशनल कहानी छोटी सी– आज तक के इतिहास में, कोई भी एकलव्य की तरह, अपने गुरु का शिष्य नहीं बन पाया जिसने, बिना गुरु से शिक्षा ग्रहण किए, गुरु दक्षिणा में, अपना अँगूठा दे दिया हो| इसी कथा से प्रेरित होकर, आज का एकलव्य एक ज़बरदस्त, विद्यार्थियों को प्रेरणा देने वाली कहानी सिद्ध होगी| शहर में एक बहुत बड़ा इंजीनियरिंग कॉलेज था| उसी कॉलेज में, महेंद्र नाम का एक लड़का, अपने अंतिम सत्र की परीक्षाओं की तैयारी में जुटा हुआ था| दरअसल महेंद्र ने, अपनी पढ़ाई के लिए बैंक ऋण लिया था, जिसके लिए, वह काफ़ी परेशान रहता था| महेंद्र के परिवार की, आर्थिक स्थिति कमज़ोर थी| उसके पिता, एक किराना दुकान चलाते थे जिससे, वह सिर्फ़ अपना दैनिक जीवन ही, चला पाने में सक्षम थे लेकिन, फिर भी, उन्होंने अपने इकलौते बेटे महेंद्र को, पढ़ाने के लिए, अपनी गारंटी पर लोन दिलवाया था| हालाँकि महेंद्र को, अपने भविष्य की ज़्यादा चिंता नहीं थी क्योंकि, वह पढ़ाई में बहुत होशियार था| उसे पूरा यक़ीन था कि, कॉलेज की पढ़ाई ख़त्म होते ही, उसे किसी न किसी कंपनी में, प्लेसमेंट ज़रूर मिलेगा| महेंद्र अपने कॉलेज का होनहार छात्र था इसलिए, उससे कई छात्र ईर्ष्या करते थे| महेंद्र कॉलेज के छात्रावास(होस्टल) में रहता था| वह सारा दिन अपने कमरे में ही अकेले पढ़ता रहता| महेंद्र अपने विषय के अलावा भी, बहुत सी किताबें पढ़ने में रुचि रखता था| जिससे उसका सामान्य ज्ञान भी, ज़बरदस्त हो चुका थ एक दिन महेंद्र, अपने कमरे में अकेले पढ़ाई कर रहा था| उसी वक़्त उसके कुछ दोस्त, उसे बाहर जाकर पार्टी करने की ज़िद करते हैं| छात्रावास का नियम था कि, कोई रात को बाहर नहीं जा सकता इसलिए, महेंद्र उन्हें बाहर जाने के लिए मना करता है लेकिन, कॉलेज के लड़के, उसे अपनी दोस्ती का वास्ता देकर, बाहर जाने के लिए, मजबूर कर लेते हैं और सभी दोस्त, रात होते ही, हॉस्टल की दीवार कूदकर, पार्टी करने चले जाते हैं| सभी एक डांसिंग क्लब पहुँचते हैं|

आज का एकलव्य
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जहाँ कुछ लड़के, मदिरापान कर लेते हैं जिससे वह, अस्थाई तौर पर, अपना मानसिक संतुलन खो बैठते हैं और क्लब के लोगों से, झगड़ा करने लगते हैं| क्लब का मालिक, रात में हंगामा होते देख, पुलिस को ख़बर कर देता है| पुलिस आते ही, उत्पात मचा रहे सभी लोगों को, गिरफ़्तार करके, थाने ले जाती है| सभी के साथ महेंद्र को भी, थाने लाकर बैठाया जाता है| पुलिस अधिकारी को, जैसे ही पता चलता है कि, इनमें से कुछ लड़के, एक अच्छे कॉलेज से हैं तो, वह छात्रों को बिना केस दर्ज किए, छोड़ने का विचार बनाते हैं लेकिन, इससे पहले, उनकी यह शर्त होती है कि, सभी को, अपने अभिभावकों को, बुलाना होगा| महेंद्र अपने पिता को, इस घटना की जानकारी नहीं दे सकता था क्योंकि, उसे पता था कि, उसके पिता ने, उस पर बहुत भरोसा करके, उसे शहर भेजा है और यदि, उन्हें उसकी, इस हरकत का पता चला तो, उन्हें बहुत दुख होगा| महेंद्र, पुलिस अधिकारी के हाथ पैर जोड़ने लगता है और कहता है कि, “आप चाहें तो, मेरे शिक्षकों को बुला लीजिए लेकिन, मुझे पिता को, फ़ोन करने के लिए मत कहिए, वर्ना मेरी पढ़ाई बर्बाद हो जाएगी और मुझे सब कुछ छोड़कर, वापस जाना होगा|” महेंद्र ने, किसी भी तरह का एल्कोहल नहीं लिया था इसलिए, पुलिस अधिकारी को, महेंद्र की बातों में सच्चाई लगती है| वह तय करते हैं कि, इस बार वह केवल कॉलेज के शिक्षकों को ही बुला रहे हैं लेकिन, यदि अगली बार ऐसी कोई हरकत हुई तो, उनके माता पिता को, ज़रूर सूचित किया जाएगा| कॉलेज के शिक्षकों को, सभी लड़कों की जानकारी दी जाती है| कॉलेज पहले से ही, ऐसे मामलों के लिए, बहुत अनुशासित था तो, भला इतनी बड़ी घटना के लिए, छात्रों को कैसे माफ़ करता? कॉलेज ने, पार्टी में शामिल सभी लड़कों को, अंतिम परीक्षा होने तक, कॉलेज आने में पाबंदी लगा दी| इस बात से, महेंद्र को, सबसे ज़्यादा तक़लीफ़ हुई है क्योंकि, वह अपनी पढ़ाई को लेकर, बहुत अनुशासित था और अब, उसे कॉलेज के बिना ही, पढ़ना पड़ेगा और सबसे बड़ी बात, उसके चरित्र पर यह दाग़, भविष्य में असर करने वाला था| महेंद्र फ़ैसला करता है कि, “वह अब कॉलेज के छात्रावास में भी नहीं रहेगा” और वह, अगली ही रात अपना सामान लेकर, हॉस्टल से चला जाता है| कुछ ही महीनों में, अंतिम वर्ष की परीक्षाएं होने वाली थी| जिसके लिए, सभी छात्र जीतोड़ मेहनत कर रहे थे| करते भी क्यों ना, अंतिम वर्ष के रिज़ल्ट के अनुसार, सभी को नौकरियां जो मिलने वाली थी| वहीं महेंद्र के जीवन में, नई नई मुसीबतों ने प्रवेश कर लिया था| उसे मजबूरी में, एक ऐसी जगह जाकर रहना पड़ा, जहाँ बहुत शोर होता था| जिससे उसे, पढ़ाई करने में परेशानी होती थी लेकिन, महेंद्र का ध्यान, एकलव्य से कम नहीं था|

Eklavya ki kahani
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महेंद्र ने इंटरनेट के माध्यम से, स्वयं शिक्षा ग्रहण करके, कुछ ही समय में, अपने सभी विषयों में महारत हासिल कर लिया| एक दिन महेंद्र इंटरनेट पर, अपने विषय से संबंधित जानकारियां इकट्ठी कर रहा था| उसी वक़्त उसे, एक विदेशी सॉफ़्टवेयर कंपनी के द्वारा, प्रतियोगिता आयोजित करने हेतु, विज्ञापन दिखाई दिया| विज्ञापन देखते ही, महेंद्र की आँखों में चमक आ गई क्योंकि, महेंद्र को अंतरराष्ट्रीय शैक्षणिक प्रतियोगिताओं में, अपना पराक्रम दिखाने का, एक मौक़ा जो मिला था| वह इतने बड़े अवसर को छोड़ना नहीं चाहता था| महेंद्र ने बिना देरी किए, प्रतियोगिता का ऑनलाइन फ़ॉर्म भर कर, अपना रजिस्ट्रेशन कर लिया| यह प्रतियोगिता, एक बड़ी कंपनी के द्वारा आयोजित की जा रही थी इसलिए, शहर के सभी इंजीनियरिंग कॉलेज के लड़कों ने, इसमें हिस्सा लिया था| शहर के सभी कॉलेजों में, इस प्रतियोगिता को लेकर, चर्चा हो रही थी| सभी को पता था कि, इस प्रतियोगिता में, जिसका प्रदर्शन बेहतर होगा| उसे नौकरी मिलने में, कोई समस्या नहीं जाएगी| एक हफ़्ते गुज़रते ही, प्रतियोगिता का समय आ चुका था| इंटरनेट पर सभी प्रतिभागी, परीक्षा देने के लिए बैठ चुके थे| सभी ने तयशुदा वक़्त के अनुसार, अपनी सूझ-बूझ से, प्रतियोगिता के सभी प्रश्नों का उत्तर, बारी बारी से दिया था लेकिन, महेंद्र अपने उत्तरों से संतुष्ट नहीं था| उसे लग रहा था कि, शायद उससे कुछ गलतियां हुई है, जिसकी वजह से वह, प्रतियोगिता में सफल नहीं हो सकेगा| महेंद्र इस प्रतियोगिता से निराश हो चुका था| उसे अब, अपने अंतिम वर्ष के परीक्षाओं के लिए डर लगने लगा था| दरअसल इस परीक्षा के प्रश्नों की कठिनाई की वजह से, उसने अपना आत्मविश्वास खो दिया था हालाँकि, महेंद्र हार मानने वालों में से नहीं था इसलिए वह, अपनी मेहनत को दो गुना बढ़ा देता है और अपने अंतिम वर्ष की, परीक्षा की तैयारी में लग जाता है| महेंद्र को सबसे ज़्यादा चिंता, अपने ऊपर चढ़े हुए, बैंक ऋण की थी क्योंकि, यदि वह अंतिम वर्ष परीक्षा में, अच्छे अंकों से उत्तीर्ण नहीं हुआ तो, उसे रोज़गार मिलने में समस्या होगी और फिर शायद, ऋण का बोझ उसके पिता पर आ जाएगा| कॉलेज से महेंद्र को निकाले जाने पर, बहुत से विद्यार्थी अंदर ही अंदर प्रसन्न थे क्योंकि, उनके मन में हमेशा, महेंद्र को लेकर, सबसे ज़्यादा जलन की भावना थी| कुछ दिनों के बाद, महेंद्र को कुछ छात्रों के माध्यम से सूचना मिलती है कि, कॉलेज में सभी छात्रों को, प्रवेश पत्र प्राप्त करने हेतु जाना होगा और उसी दिन, महेंद्र अपने कॉलेज पहुँच जाता है| लेकिन, वहाँ पहुँचते ही, उसकी दुनिया ही बदल जाती है| जैसे ही उसे पता चलता है कि, विदेशी सॉफ़्टवेयर कम्पनी की प्रतियोगिता में, उसने प्रथम स्थान प्राप्त किया है| कॉलेज के नोटिस बोर्ड में, महेंद्र का फ़ोटो लगाया गया था क्योंकि, इस कम्पनी की प्रतियोगिता में सफल होने का मतलब था कि, एक बहुत बड़ी नौकरी, जिसका सपना, शहर के बड़े से बड़े कॉलेज के लड़के देखा करते थे| कंपनी की तरफ़ से, प्रतियोगिता में प्रथम स्थान प्राप्त करने पर, महेंद्र को पुरस्कार के रूप में, एक बहुत बड़ी धनराशि और उसी कंपनी में, सॉफ़्टवेयर इंजीनियर की नौकरी का, अवसर दिया जाता है जिसका, पता चलते ही, ख़ुशी से, महेंद्र की आँखों में आँसू आ जाते हैं| महेंद्र कॉलेज में सिर्फ़ प्रवेश पत्र लेने आया था लेकिन, उसे यहाँ, अपने जीवन की प्राथमिक समस्याओं का समाधान मिल चुका था| महेंद्र की इतनी बड़ी सफलता प्राप्त के लिए, कंपनी की तरफ़ से एक बहुत बड़ा सम्मेलन किया जाता है| जिसमें उसे, सभी छात्रों के सामने, इनाम की राशि का चेक और सॉफ़्टवेयर इंजीनियर की नौकरी का अनुबंध पत्र, दिया जाता है| महेंद्र को, अपने बारे में, कुछ ख़ास बातें बताने को कहा जाता है| महेंद्र इस सफलता के लिए, अपने सभी शिक्षकों को ज़िम्मेदार बताता है| यह बात सुनते ही, कॉलेज के शिक्षक शर्मिंदा हो जाते हैं क्योंकि, उन्होंने तो उसे, कई महीनों पहले ही, पढ़ाना छोड़ दिया था और उन्हें, अच्छे से पता था कि, महेंद्र ने जो भी कारनामा किया था, उसमें उसकी ही मेहनत है लेकिन, महेंद्र आज का एकलव्य था तो, भला अपना फ़र्ज़ कैसे भूलता? उसने अपनी ज़िंदगी की सबसे बड़ी सफलता को, अपने शिक्षकों के चरणों में, समर्पित कर दिया जिससे, सभी शिक्षक महेंद्र के लिए तालियां बजाने लगे और सभी ने, उसे कॉलेज का एकलव्य बना मान लिया|

सर्कस – SHER AUR CHUHA KI KAHANI

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