कल्लू (Kallu)- Short stories for students

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कल्लू (Kallu)- शिक्षाप्रद प्रेरक प्रसंग कहानी (Short stories for students in hindi):

कल्लू (Kallu) का शाब्दिक अर्थ काला होता है और ये कहानी एक कल्लू की है जिसे, अपने काले रंग की वजह से, कई तरह के कॉमेंट सुनने पड़ते थे| फिर भी उसने, सभी बातों को पीछे छोड़ते हुए, कुछ ऐसा कर दिखाया जिससे, लोगों के मुँह में ताले लग गए| एक गाँव में एक दर्ज़ी रहता था जिसके घर में, एक बच्चा पैदा हुआ लेकिन, बच्चा हद से हद काला था| दर्जी अपने बेटे को देखते ही, मन ही मन दुखी हुआ लेकिन, हर पिता को अपना बेटा सुंदर तो लगता ही है| दर्जी ने भी, अपने बेटे को प्यार से गोद में उठा लिया और झूला झुलाने लगा| दर्ज़ी ने अपने बेटे के पैदा होने की ख़ुशी में, छोटा सा आयोजन किया जिसमें, उसके सभी रिश्तेदार शामिल हुए लेकिन, किसी ने भी उसके बच्चे को गोद तक नहीं लिया| दर्ज़ी यह सब देख रहा था| उसे भी एहसास होने लगा कि, उसका बेटा वाक़ई बदसूरत है इसलिए, उसके रिश्तेदार ऐसा बर्ताव कर रहे हैं| दर्ज़ी ने चिल्लाते हुए, अपनी पत्नी से कहा कि, “इसे पैदा करने से पहले ही, कोयला खा लिया था क्या?” दर्जी की पत्नी को अपने पति की बात सुनकर, इतना दुख हुआ कि, उसने अपने बेटे का नाम कल्लु रख दिया और सभी मेहमानों सामने, ऐलान करते हुए कहा|

कल्लू - Short stories for students
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“इसे पैदा करने से पहले ही, कोयला खा लिया था क्या?” दर्जी की पत्नी को अपने पति की बात सुनकर, इतना दुख हुआ कि, उसने अपने बेटे का नाम कल्लु रख दिया और सभी मेहमानों सामने, ऐलान करते हुए कहा कि, “सुंदरता तो हमारी नज़रों में होनी चाहिए| फिर सामने कोई भी हो, हम कौन होते हैं, दुनिया के किसी भी रंग को, अच्छा या बुरा कहने वाले| दुनिया में हर रंग के, जीव-जन्तु, पशु-पक्षी, पेड़-पौधे और इंसान हैं लेकिन, किसी रंग के जीव को, महत्व देने वाले लोगों की, संख्या ज़्यादा होने से, वह प्राणी महान नहीं हो जाता| बल्कि, स्वयं की गुणवत्ता ही, उसकी सही पहचान है|” आयोजन में आए हुए मेहमानों ने, दर्ज़ी की पत्नी की बात सुनते ही, खुसुर-पुसुर शुरू कर दी| मेहमानों को लगने लगा कि, “वह उनका अपमान कर रही है|” सभी मेहमान, एक एक करके आयोजन छोड़कर वापस चले गए लेकिन, इसके बाद दर्जी, अपने बेटे को नफ़रत की नज़र से देखने लगा| उसे ऐसा लग रहा था कि, उसका काला बेटा, अगर सुंदर होता तो, उसे अधिक सम्मान मिलता| धीरे धीरे कल्लू बड़ा होने लगा| कल्लू ने भी अपने पिता की तरह ही, कपड़े सिलने के काम में दिलचस्पी लेना शुरू कर दिया| कल्लु के पिता हमेशा उसे दुकान में डांटते रहते लेकिन, वह मुस्कुराते हुए अपने काम में लगा रहता| कल्लू अपने काम के साथ साथ, पढ़ाई में भी रुचि रखता था| धीरे धीरे कल्लू की नज़र खुली और उसने, अपने पिता से, व्यवसाय को आगे बढ़ाने के लिए, फ़ैशन डिजाइनिंग का कोर्स करने की इच्छा ज़ाहिर की| लेकिन, पिता को अपने बच्चे की किसी भी बात पर विश्वास नहीं था| वह पहले से ही उससे नफ़रत करते थे| उन्होंने कल्लू को, सीधी सादी ज़िंदगी बिताने की सलाह दी| लेकिन, कल्लू कहाँ रुकने वाला था| कल्लू ने इंटरनेट के ज़रिए, तरह तरह के डिज़ाइन बनाना शुरू कर दिया और कुछ ही महीनों में, कल्लू का धंधा चल निकला| कल्लू अपने शहर का सबसे बेहतरीन कपड़े सिलने वाला दर्ज़ी बन चुका था| कल्लू के पिता यह देखकर ख़ुश होने लगे| उन्हें लगने लगा कि, “अब उनका बेटा ज़िम्मेदार हो रहा है| क्यों न, इसकी शादी कर दी जाए?” उन्होंने अपने कई रिश्तेदारों को, कल्लू की शादी के लिए, लड़की ढूंढने को कहा लेकिन, कल्लू के काले रंग की वजह से, ज़्यादातर रिश्तेदारों ने लड़की देने से मना कर दिया| कल्लू के माता पिता भी बहुत दुखी थे लेकिन, कल्लू को इस बात से कोई फ़र्क नहीं पड़ता था| उसने अपने माँ से, मुस्कुराते हुए कहता है कि, “माँ इंसान की ख़ूबसूरती उसके काम में होती है न कि, उसके रंग में| आपने समझाया था न माँ?” तभी कल्लू की माँ उसे गले लगा लेती है हालाँकि, कल्लू अब बहुत मशहूर कपड़ों का कारीगर माना जाने लगा था| कल्लू के सिले हुए कपड़े, बड़ी बड़ी हस्तियों को आकर्षित कर रहे थे| देखते ही देखते कल्लू के आत्मविश्वास ने उसे, फ़िल्मी दुनिया का सबसे मशहूर, फ़ैशन डिज़ाइनर बनवा दिया| कल्लू ने अपनी शादी, एक विदेशी अभिनेत्री से करने का फ़ैसला किया|

Kallu - Short stories for students
Image by Betti Cohen-Kowalski from Pixabay

अपनी शादी के दिन कल्लू ने, अपने सभी रिश्तेदारों को आमंत्रित किया| शादी में आए हुए रिश्तेदारों को यक़ीन ही नहीं हुआ कि, भला इतनी ख़ूबसूरत लड़की, कल्लू से कैसे शादी कर रही है| उसके बाद किसी ने भी, कल्लू को बदसूरत नहीं समझा| कल्लू ने अपने ज्ञान को सही दिशा देते हुए, अपनी असली ख़ूबसूरती को पहचाना और अपना जीवन बदल लिया| अगर वह अपने रिश्तेदारों की बातों से, दुखी होकर हीन भावना में प्रवेश कर जाता तो, शायद आज कल्लू की ज़िंदगी, दुख के सागर में डूबती नज़र आ रही होती है|

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