चायवाला (Chai wala)- एक गरीब बच्चे की कहानी
(Bedtime story in hindi for students):
एक गरीब बच्चे की कहानी– चाय का व्यवसाय आज भी सामान्य माना जाता है क्योंकि, कुछ लोग चायवालों को छोटे स्तर का दर्जा देते हैं जबकि, यह सिर्फ़ लोगों का भ्रम है| इस तथ्य को समझने के लिए, आइए चलते हैं एक मनोरंजक कहानी की ओर| एक कॉलेज के बाहर छोटी सी चाय की दुकान थी| गुडडू उसी कॉलेज में पढ़ने के साथ साथ, अपने पिता की चाय की दुकान में काम करता था| कॉलेज के सभी लड़के गुड्डू को, चायवाला (Chai wala) कहकर बुलाते थे| गुड्डू का इस बात पर कई लड़कों से झगड़ा भी हुआ करता था लेकिन, यह तो रोज़ का सिलसिला बन चुका था| वह कॉलेज में आए दिन अपमानित होता रहता| उसे ऐसा लगने लगा था कि, जैसे चाय की दुकान चलाना, कोई बुरी बात है| गुड्डू ने कई बार अपने पिता जी से, चाय बेचने के अलावा, कोई और व्यवसाय शुरू करने की बात कही लेकिन, गुड्डू के पिता अपने पुश्तैनी काम को बंद नहीं करना चाहते थे| उन्होंने गुड्डू को समझाते हुए कहा कि, “बेटा जब तक मैं ज़िंदा हूँ, तब तक मैं अपने पिता का सौंपा हुआ काम, नहीं छोड़ सकता और इसके अलावा, मैं कुछ और करना, जानता भी नहीं और मेरी सलाह मानो तो, इस महँगाई के दौर में तुम्हें भी इसी व्यवसाय में ध्यान देना चाहिए| चाय बेचना कोई छोटा काम नहीं है” लेकिन गुड्डू ने अपने पिता की एक ना सुनी| उसने तय कर लिया था कि, “अब वह आज के ज़माने का बिज़नस करेगा|” कॉलेज की पढ़ाई पूरी होते ही, गुड्डू अपना एक ऑनलाइन काम शुरू करता है जिसमें, वह लोगों की तरफ़ से, शेयर मार्केट में निवेश किया करता था|
धीरे धीरे गुड्डू को, अपने काम में मज़ा आने लगा| शेयर मार्केट के काम में गुड्डू ने, कुछ ही महीनों में चाय की दुकान से कई गुना ज़्यादा पैसा हासिल कर लिया| गुड्डू अब रुकने का नाम नहीं ले रहा था| उसने जल्दी पैसा कमाने के चक्कर में, बड़ी बड़ी कंपनियों से कर्ज़ लेकर निवेश करना प्रारंभ कर दिया लेकिन, एक दिन बाज़ार की ज़बरदस्त गिरावट के कारण, बहुत सी कंपनियों के शेयर, एक ही दिन में आधे हो गए| इस झटके में बहुत से निवेशकों को, दिवालिया होना पड़ा| गुड्डू ने भी आज तक का कमाया हुआ, सारा पैसा गंवा दिया| उसने जितनी तेज़ी से धन अर्जित किया था, उससे भी कहीं ज़्यादा तेज़ी से, कंगाल हुआ था| गुड्डू के अंदर, इतने बड़े झटके को झेल पाने की क्षमता नहीं थी| वह पूरी तरह से टूट चुका था| गुडडू का व्यापार चौपट हो चुका था और अब वह, कुछ और करने के हालात में नहीं था| गुड्डू अपने गाँव लौट आया| इतने बड़े नुक़सान के बाद वह, अपने पिता से नज़रें नहीं मिला पा रहा था| एक दिन वह अपने कमरे में उदास बैठा था| उसके पिता, उसे इस हालत में देखकर दुखी हो जाते हैं|
वह उसे समझाते हुए कहते हैं, “बेटा व्यापार जब भी सिर्फ़ पैसा कमाने के उद्देश्य से किया जाता है, वह आगे चलकर धोखा ज़रूर देता है इसलिए, तुम्हें अपनी क्षमता के अनुसार, किसी काम को प्राथमिकता देनी चाहिए और जब तुम उस काम से प्यार करते हो तो, व्यापार अपने आप बढ़ने लगता है| फिर पैसा तो अपने आप चलकर पीछे आता है|” गुड्डू अपने पिता की बात ग़ौर से सुन रहा था| उसे अपने पिता की बात असर करने लगी और उसने अपने पिता से कहा कि, “मैं चाय की दुकान को और आगे ले जाऊँगा| फिर क्या था, बाप बेटे ने मिलकर चाय का ऐसा काम किया कि, कुछ ही सालों में उनकी चाय की दुकान, एक बड़े ब्रांड में तब्दील हो चुकी थी और बड़े बड़े शहरों में, गुड्डू की चाय की फ्रेंचाइज़ी हो चुकी थीं और गुड्डू को चाय वाला (Chai wala) कहलाने में, गौरवपूर्ण अनुभव होने लगा था| इस कहानी ने गुड्डू को नज़र बदलने से, नजरिया बदलना सिखा दिया था|