बहादुर चींटी, चींटी की कहानी

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बहादुर चींटी, (छोटी कहानी शिक्षा देने वाली) चींटी की कहानी हिंदी में:

छोटी कहानी शिक्षा देने वाली– चींटियों के बहादुरी के क़िस्से तो, आपने सुने ही होंगे| यह ऐसी ही, एक बहादुर चींटी की कहानी है जो, आपको चीटियों के जीवन के, संघर्षों को प्रदर्शित करेगी| खेत में चींटियों का समूह रहता था| चींटियाँ वर्षों से, ज़मीन के अंदर ही घर बनाकर रहने में माहिर है| इन चींटियों ने भी, ऐसे ही ज़मीन के अंदर, सुरंग नुमा घर बनाया था जिसमें, सभी चींटियाँ, एक साथ रहती थी| उन्हीं के बीच में, एक बहादुर चींटी थी जो, आकार में थोड़ा बड़ी थी और बाक़ी चींटियों की तुलना में, अधिक बुद्धिमान थी| इस घर को बनाने के लिए, बहादुर चींटी के नेतृत्व में, सभी चींटियों ने मिलकर कार्य किया था लेकिन, उन्हें क्या पता कि, यह तो सिर्फ़, उनके संघर्ष की शुरुआत थी| असली समस्या तो, अभी आनी बाक़ी थी| एक दिन सभी चींटियाँ, खेत के चारों तरफ़ घूम कर, अपने लिए खाना इकट्ठा कर रही थी| खेतों की फ़सल कट चुकी थी इसलिए, यहाँ इंसानों का आना जाना कम था| सभी चींटियां, पूरी मस्ती से बारिश के दिनों के लिए, खाने का भंडार करने में जुटी हुई थी| यहाँ किसान, अपने खेतों में पराली जलाने की शुरुआत करने वाले थे जिसके लिए, कुछ लोग, खेत के किनारे आकर, आग लगा देते हैं| इसी दौरान, बहादुर चींटी देखती है कि, “कुछ लोग खेत के दूसरी तरफ़ से, आग जला चुके हैं|” वह घबरा जाती है क्योंकि, इसी खेत के अंदर, इन चींटियों ने अपना विशाल घर बनाया हुआ था और यदि, इस खेत को जला दिया गया तो, इनका बचना नामुमकिन था लेकिन, ख़तरा तो आ चुका था|

बहादुर चींटी
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तभी बहादुर चींटी, फ़ैसला करती है कि, वह अपने घरों के नीचे से, दूसरी तरफ़ के खेत में, एक सुरंग बनाएगी ताकि, सभी चीटिया, इस क्षेत्र में आग लगने से पहले, दूसरे खेत जा सकें| बहादुर चींटी, अपने घर के अंदर पहुंचकर, सभी चींटियों को ख़तरे के लिए, आगाह करती है| खेत में आग लगने की बात सुनते ही, सभी चींटियों में, भगदड़ मच जाती है लेकिन, बहादुर चींटी, उन्हें समझाते हुए हौसला देती है जिससे, सभी चींटियां, उसका साथ देने के लिए, तैयार हो जाती है| बहादुर चींटी, सभी चींटियों को, दूसरे खेत जाने का, नक़्शा बताती है और उसी के अनुसार, सभी चींटियाँ मिट्टी की खुदाई करने में लग जाती है और बाहर, बहादुर चींटी बढ़ती हुई आग को देखकर, दहशत के सागर में डूबती जा रही थी लेकिन, उसे ऐसे ही, बहादुर चींटी का ख़िताब नहीं मिला था| वह सभी चींटियों की अपेक्षा, अलग ही हौसलों की मालकिन थी| दूसरे खेत तक जाने के लिए, चींटियों को समय लग रहा था| उसी दौरान, आग आधे खेत तक पहुँच चुकी थी| बहादुर चींटी समझ चुकी थी कि, यदि ये चींटियाँ, अंदर से, दूसरे खेत तक, नहीं निकल पाई तो, सभी की सभी, इसी गड्ढे के अंदर, घुटन से मर जाएँगी| अचानक, बहादुर चींटी को, बहुत से कीड़े भागते हुए दिखाई देते हैं| उन्हें भागता देख, बहादुर चींटी ने उनसे कहा कि, “तुम लोग भागकर कहाँ तक जाओगे| आग तुम्हारा पीछा कर ही रही है लेकिन, यदि तुम लोग बचना चाहते हो तो, तुम्हें हमारा साथ देना होगा| हम तुम्हें अपने घर में जगह दे सकते हैं लेकिन, इसके लिए तुम्हें, खेत के दूसरी तरफ़ से, गड्ढा खोदने में हमारी मदद करनी होगी| सभी कीड़ों को, बहादुर चींटी का यह प्रस्ताव अच्छा लगता है| कीड़े , खेत के दूसरी ओर से, एक और गड्ढा खोदने में लग जाते हैं और देखते ही देखते, सभी कीड़े मिलकर, चींटियों की सुरंग तक पहुँच जाते हैं| सभी चींटियों को बचने की उम्मीद नज़र आ चुकी थी|

चींटी की कहानी
Image by Martin Hetto from Pixabay

तभी बहादुर चींटी को दिखाई देता है कि, आग उनके क़रीब आ चुकी है और कुछ ही पलों में, धुँआ उनके घरों में प्रवेश करने लगेगा| वह तुरंत सभी को, दूसरे खेत की ओर निकलने का आदेश देती है| सभी एक एक करके, जल्दी जल्दी बढ़ने लगती हैं| खेत में पराली जलाने से, उत्पन्न हुए प्रदूषण के कारण, मिट्टी के अंदर के सभी जीव जन्तु, घुटन महसूस करने लगे थे| सभी का दम घुट रहा था लेकिन, चीटियों के हौसले की वजह से, सभी को एक नया जीवनदान मिल चुका था| खेत को आग ने, अपनी चपेट में पूरी तरह से ले लिया था लेकिन, बहादुर चींटी की समझदारी से, सभी चींटियों ने अपने लिए, दूसरे खेत में नए घर का निर्माण कर लिया था जिसमें, सभी सुरक्षित पहुँच चुके थे| सभी कीड़े मकोड़े और चींटियों ने, बहादुर चींटी को, उसके साहस भरे कार्य के लिए, सम्मानित किया| बहादुर चींटी ने, अपने मज़बूत हौसले की वजह से, संघर्ष की नई परिभाषा रच दी थी और अब, वह तैयार थी, अगली जंग के लिए|

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