बड़ा आदमी (Bada Aadmi)- acchi acchi kahaniyan

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बड़ा आदमी (Bada Aadmi)- (बच्चों की कहानी मजेदार) acchi acchi kahaniyan in hindi:

बच्चों की कहानी मजेदार– इस दुनिया में रहने वाले लोगों के लिए, बड़ा आदमी कहलाना गर्व की बात होती है| कई बार लोग अपने आदर्शों को ताक पर रखकर, बड़ा आदमी बनना चाहते हैं लेकिन, सच्ची कामयाबी किसे कहा जाता है और असली बड़ा आदमी (Bada Aadmi) कौन है, इस तथ्य से आज भी लोग वंचित है| यह कहानी पाठकों को बड़े आदमी को, पहचानने में सहयोग प्रदान करेगी| एक बहुत ही गरीब गाँव था| जहाँ कुछ पिछड़े वर्ग के लोग, छोटे छोटे मिट्टी के घरों में रहा करते थे| इन्हीं घरों में एक घर, चंदन का भी था| चंदन को उसके गाँव के लोग, चंदू कहकर बुलाया करते थे| चंदू के पिता का देहांत बचपन में ही हो गया था| पिता के गुज़रने के बाद, घर की आर्थिक स्थिति कमज़ोर हो चुकी थी लेकिन, चंदू अभी बहुत छोटा था इसलिए, चंदू की माँ पर घर की पूरी ज़िम्मेदारी आ चुकी थी| गाँव में महिलाओं के लिए कोई ख़ास रोज़गार के अवसर नहीं थे इसलिए, उसकी माँ शहर जाकर, सब्ज़ी बेचा करती थी| चंदू बचपन से ही एक एक पैसे के लिए तरस रहा था| उसे और उसकी माँ को, कई बार ग़रीबी की वजह से अपमानित होना पड़ता था| यह सब देखते हुए चंदू अंदर ही अंदर दुखी रहता लेकिन, वह अपनी माँ से हमेशा कहता कि, “माँ देखना मैं एक दिन ज़रूर, बड़ा आदमी बनकर दिखाऊँगा” हालाँकि, चंदू पढ़ाई में बहुत होशियार था और अपने स्कूल में सबसे योग्य छात्र भी कहलाता था लेकिन, पिता के जाने के बाद, वह अपनी पढ़ाई में थोड़ा लापरवाह हो चुका था| दरअसल उसे अपनी आर्थिक स्थिति सुधारने के लिए, माँ के साथ मदद के लिए जाना पड़ता था और ख़ाली समय मिलते ही, वह थोड़ा बहुत पढ़ लिया करता था लेकिन, जैसे जैसे वह बड़ा हुआ, उसकी माँ को उसकी चिंता होने लगी थी| वह चाहतीं थीं कि, “उनका बेटा पढ़ लिखकर किसी न किसी नौकरी में लग जाए|” एक दिन चंदू अपनी माँ के साथ, सब्ज़ी की दुकान पर बैठा था| उसी समय कुछ पुलिसवाले रोड के किनारे लगी दुकानों को, हटवाने लगते हैं| रोड के किनारे ज़्यादातर व्यवसाय, अतिक्रमण के नाम पर बनाए जाते हैं जिन्हें, समय समय पर सरकारी कार्यवाही द्वारा हटाया जाता है और इसी प्रक्रिया के तहत, चंदू की दुकान भी हटवा दी जाती है| अतिक्रमण हटाने की कार्यवाही के दौरान, पुलिस वाले कई दुकानों का सामान उठाकर सड़क पर फेंक देते हैं|

बड़ा आदमी (Bada Aadmi)
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चंदू की माँ, पुलिस वालों को रोकने की बहुत कोशिश करती है लेकिन, वह किसी की नहीं सुनते| सारी सब्ज़ी फैलते ही, वह सड़क पर बैठकर रोने लगती है| अपनी माँ को रोता देख चंदू, उन्हें चुप करवाने लगता है लेकिन, उसकी माँ रोते हुए उससे कहती है, “देख अगर तू नहीं पढ़ेगा तो, हमारे साथ इसी तरह का बर्ताव होता रहेगा|” चंदू अब बड़ा हो चुका था और उसे दुनियादारी की अच्छी समझ भी आ चुकी थी| उसे कहीं न कहीं लग रहा था कि, “उसकी माँ ठीक कह रही है| वह कब तक छोटे मोटे कामों में अपना जीवन बर्बाद करेगा|” इस घटना के बाद चंदू ने फ़ैसला कर लिया था कि, “अब से वह केवल पढ़ाई पर ही ध्यान लगाएगा” और उस दिन से चंदू ने रात दिन पढ़ना शुरू कर दिया| चंदू की माँ सब्ज़ी के व्यवसाय के साथ साथ, अपने बेटे की पढ़ाई में भी बराबर ध्यान देने लगी| चंदू को, जब भी पैसों की ज़रूरत होती, उसकी माँ उसके बोलने से पहले दे देती| दरअसल, वह नहीं चाहती थी कि, “पैसों की तंगी की वजह से, चंदू की पढ़ाई में कोई बुरा असर पडे| हालाँकि, चंदू अपनी माँ से बेवजह पैसे नहीं लेता था| वह सिर्फ़ अपने पढ़ाई के खर्चों के लिए ही, पैसे माँगा करता| कुछ ही सालों की कड़ी मेहनत के बाद, चंदू ने अपनी माँ का सपना पूरा कर दिखाया| वह अपने बेटे की कामयाबी से फूले नहीं समा रही थी| उनका संघर्ष रंग ला चुका था क्योंकि, अब उनका बेटा चंदू एक IPS ऑफ़िसर बन चुका था| चंदू IPS ऑफ़िसर बनते ही, अपनी माँ को सब्ज़ी बेचने से मना कर देता है| चंदू को नौकरी के साथ एक बड़ा सा सरकारी बंगला दिया जाता है| जिसमें वह अपनी माँ को लेकर, रहने पहुँच जाता है| बंगला देखकर चंदू की माँ कहती है, “बेटा तू सच में बड़ा आदमी बन गया” लेकिन चंदू अब कहाँ रुकने वाला था| उसने ठान लिया था कि, “अब वह एक बहुत बड़ी दौलत का मालिक बनेगा|” उसने अपने ग़रीबी का हवाला देते हुए अपनी माँ से कहा, “माँ अभी तो सिर्फ़ शुरुआत है| अभी मुझे और बड़ा आदमी बनना है” और बस फिर क्या था, चंदू रात दिन पैसों के पीछे भागने लगा| आए दिन उसे, ग़ैर क़ानूनी तरीक़ों से लाखों रुपया कमाने के अवसर मिलते, जिन्हें वह ख़ुशी ख़ुशी लपक लेता| दरअसल, चंदू बड़ा आदमी बनने की लालच में, इतना अंधा हो चुका था कि, उसे अच्छाई और बुराई में फ़र्क ही नज़र नहीं आ रहा था| कुछ ही सालों के अंदर चंदू, अपने शहर का सबसे अमीर आदमी बन चुका था| उसने रिश्वत के पैसों से, कई एकड़ ज़मीन ख़रीद कर, अपनी माँ के नाम कर दी थी| चंदू के गाँव में उसका मान सम्मान बढ़ता जा रहा था| वह अपने गाँव के कई लोगों की मदद, पैसे देकर किया करता था जिससे, लोग उसे अपना देवता समझने लगे थे| इतना सब कुछ हासिल करने के बावजूद, चंदू की भूख शांत होने का नाम ही नहीं ले रही थी चंदू लालच में अंधा होकर, देखते ही देखते प्रदेश का सबसे भ्रष्टाचारी अधिकारी बन गया| कई बड़े बड़े सरकारी घोटालों में, उस पर आरोप लगने लगे लेकिन, वह हर बार अपने पैसे के दम पर बच जाता| एक दिन उसकी क़िस्मत ख़राब थी| चंदू अपने दफ़्तर में बैठा हुआ था| तभी उसे पता चला कि, “शहर में स्थित पुलिस बिल्डिंग गिरने से, कई पुलिसवालों के परिवार के लोग मलबे में दबकर मारे गए हैं|

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इस पुलिस बिल्डिंग को कुछ ही महीनों पहले, चंदू के कार्यकाल में ही बनवाया गया था जिसमें, सरकार के करोड़ों रुपया ख़र्च हुए थे लेकिन, उस पैसे का बहुत सा हिस्सा चंदू के खाते में भी, रिश्वतख़ोरी के तौर पर आया था| यह हादसा बहुत बड़ा था| कई बेगुनाहों की, बिल्डिंग के मलबे में दबने की वजह से, मृत्यु हो चुकी थी| शहर में अफ़रातफ़री का माहौल था| घटना बहुत बड़ी थी| जाँच करने के लिए, केंद्र सरकार का सीधा दबाव आ चुका था| इस बिल्डिंग को बनवाने का पूरा ज़िम्मा, चंदू को ही सौंपा गया था| सरकार को IPS अधिकारी की लापरवाही साफ़ समझ में आ रही थी इसलिए, चंदू को सस्पेंड कर दिया जाता है और उसके ख़िलाफ़, सेंट्रल ब्यूरो ऑफ़ इनवेस्टिगेशन डिपार्टमेंट, केस दर्ज कर जाँच पड़ताल शुरू कर देता है| CBI को अपनी इन्वेस्टिगेशन के दौरान, कुछ गवाह मिलते हैं जिनसे, उन्हें पता चलता है कि, “चंदू ने पुलिस बिल्डिंग निर्माण के दौरान, करोड़ों रुपये की घूस खाई है|” गवाहों के बयान के आधार पर, चंदू को निलंबित कर दिया जाता है| चंदू के सस्पेंड होते ही, उसकी माँ अंदर से टूट जाती है क्योंकि, वह अपने बेटे को ऐसा बड़ा आदमी नहीं बनाना चाहती थी| आज पूरा शहर चंदू पर थू थू कर रहा था| उसके गाँव के अपने लोग उसे, रिश्वतख़ोर कहने लगे थे| चंदू के बड़ा आदमी बनने की लालच ने, उसका मार्ग दूषित कर दिया था जिसका, अंजाम तो बुरा ही होना था| अदालत में चंदू का जुर्म साबित हो चुका था और बिल्डिंग के क्षतिग्रस्त होने का आरोपी, चंदू को ही समझा जाता है क्योंकि, उसकी रिश्वतख़ोरी की वजह से, बिल्डिंग निर्माण में ख़राब सामग्री का इस्तेमाल किया गया था, जिस वजह से बिल्डिंग चार महीनों के अंदर ही धराशायी हो गई| चंदू को अपनी नौकरी से हमेशा हमेशा के लिए, हाथ धोना पड़ता है| चंदू अपनी नौकरी खोने से टूट चुका था और इसी के साथ कहानी ख़त्म हो जाती है|

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