भालू (Bhalu ki Kahani)- बच्चों की अच्छी अच्छी कहानियां jungali janwar stories:
बच्चों की अच्छी अच्छी कहानियां– एक जंगल में बहुत से जानवर रहते थे और उसी जंगल में, एक भालू अपने बच्चे के साथ पत्थर की गुफा के अंदर रहता था| भालू की पत्नी, बच्चे को जन्म देते ही, दुनिया छोड़कर जा चुकी थी और तब से, भालू (Bhalu) अकेले ही, अपने बच्चे को पाल रहा था| एक दिन भालू के बच्चे को ताज़ा शहद खाने की इच्छा होती है और वह अपने पिता से कहता है| भालू अपने बच्चे से बहुत प्यार करता था| वह अपने बच्चे के साथ, जंगल में शहद ढूँढने निकल पड़ता है| शहद के चक्कर में सुबह से शाम हो जाती है, लेकिन भालू के हाथ शहद नहीं लगता| वह शहद की तलाश में काफ़ी दूर तक निकल आता है| भालू शहद खोजने में इतना मसरूफ़ हो चुका था कि, उसे अपने बच्चे का ख्याल ही नहीं था| जैसे ही भालू कुछ दूर के बाद, पीछे मुड़कर देखता है तो, वह विचलित हो जाता है, क्योंकि उसका बच्चा उसकी नज़रों से ओझल हो चुका था| भालू अपने बच्चे को ढूंढने के लिए, जंगल के सभी जानवरों के पास जाता है, लेकिन किसी को भालू के बच्चे की कोई सूचना नहीं होती| भालू को अपने बच्चे को ढूंढते हुए कई दिन बीत चुके थे| भालू हताश हो चुका था और वह अंदर ही अंदर अपने बच्चे की याद में दुखी रहने लगा| वह ज़्यादातर समय, किसी भी जगह पर जाकर भूखा प्यासा सारा दिन बैठा रहता था| दरअसल वह अंदर से इतना टूट चुका था कि, उसे अपने खाने पीने तक का होश नहीं रहता था| एक दिन भालू जंगल के किनारे, एक आबादी वाले गाँव के नज़दीक पहुँच जाता है| वहाँ कुछ बच्चे फ़ुटबॉल खेल रहे होते हैं| भालू मैदान से थोड़ा दूर, एक पेड़ के पीछे छुप कर बैठ जाता है और बच्चों को देखने लगता है| बच्चों को खेलते देख, उसे बहुत दिनों के बाद, ख़ुशी मिली थी और भालू को यह एहसास, रोज़ाना इन बच्चों तक खींचने लगा| भालू इन पलों को खोना नहीं चाहता था| वह रोज़ रोज़ बच्चों को देखने पहुँचने लगा| दरअसल बच्चों को खेलते देख, वह अपने बच्चे की याद किया करता था| जिससे उसे सुकून मिलता था| एक दिन, बच्चे मैदान में फ़ुटबॉल खेल रहे होते हैं|

अचानक फ़ुटबॉल भालू के नज़दीक, एक पेड़ के पास आ जाती है| भालू पेड़ के पीछे बैठा, अपने बच्चे की यादों में खोया हुआ था| तभी एक लड़का, फ़ुटबॉल लेने के लिए पेड़ के पास पहुँचता है और जैसे ही, वह फ़ुटबॉल उठाता है| उसकी नज़र भालू पर पड़ती है और वह भालू को देखते ही, चिल्लाने लगता है| लड़के की चीख सुनकर, भालू तुरंत वहाँ से भाग जाता है| भालू को भागता देख, सभी बच्चे खेल के मैदान से, अपने घरों की तरफ़ दौड़ लगा देते हैं| जैसे ही, गाँव में सभी को भालू की बात पता चलती है| वह बच्चों को खेल के मैदान में जाने से मना कर देते हैं| खेल में पाबंदी लगने से, बच्चे उदास रहने लगते हैं| बच्चों को मैदान में खेलने से ख़ुशी मिलती थी, लेकिन अब वह छिन चुकी थी और यहाँ दूसरी तरफ़, भालू (Bhalu) को भी बच्चों को खेलते देख, जो एहसास मिल रहा था, वह ख़त्म हो गया था| प्रकृति ने दोनों के साथ मज़ाक किया था, लेकिन कहानी तो अब शुरू होने वाली थी| बहुत दिनों से गाँव में भालू की चर्चा जोरों पर थी| तभी एक शिकारी गाँव में आता है| बच्चे उसे घेरकर खड़े हो जाते हैं और उससे जंगली जानवरों के बारे में बताने को कहते हैं| दरअसल बच्चों को यह शिकारी अक्सर, जानवरों की आपबीती घटनाएँ सुनाया करता था| सभी बच्चे उस भालू के बारे में शिकारी से पूछने लगते हैं| वह शिकारी बच्चों को बताता है कि, “वह भालू अपने बच्चे के साथ जंगल में रहता था, लेकिन कुछ दिनों पहले, उसके बच्चे को जीव वैज्ञानिक, रिसर्च करने के लिए, पकड़कर ले गए हैं और पता नहीं, वह अभी कहाँ है”| बच्चों को जैसे ही, यह बात पता चलती है तो, उनके मन में भालू के प्रति दया भाव उत्पन्न होने लगते हैं| बच्चे इंसान का सबसे निर्मल रूप होते हैं, इसलिए उनके हृदय में पवित्रता होती है| बच्चे यह तय करते हैं कि, वह भालू से उसके बेटे को मिलाकर रहेंगे, लेकिन यह एक चुनौतीपूर्ण कार्य था| बच्चे शिकारी से पूछते हैं कि “भालू के बच्चे को वैज्ञानिकों ने कहाँ रखा होगा”| तभी शिकारी जवाब देते हुए बताता है कि, “इस शहर में, एक ही जीववैज्ञानिक अनुसंधान केंद्र है| हमें वहाँ चलकर पता करना चाहिए| शायद कोई जानकारी मिल सकती है”| शिकारी बच्चों को अनुसंधान केंद्र तक ले जाता है, लेकिन अनुसंधान केन्द्र के अंदर जाने की अनुमति लेना, शिकारी के बस की बात नहीं थी| बच्चे अनुसंधान केन्द्र में जाकर, ज़ोर ज़ोर से कहने लगते हैं, “भालू के बच्चे को छोड़ो”| अनुसंधान केन्द्र के सुरक्षाकर्मी, बच्चों को वहाँ से जाने को कहते हैं, लेकिन बच्चे वहीं बैठ जाते हैं और रोने लगते हैं| वैज्ञानिकों ने ऐसा दृश्य पहली बार देखा था| उन्हें ताज्जुब हो रहा था कि, बच्चे भालू के लिए इतने भावुक क्यों हो रहे हैं| वैज्ञानिक बच्चों को प्यार से समझाते हैं और कहते हैं, “बेटा ये सब मानव जाति के लिए ही किया जा रहा है| भालू के शरीर में कुछ ऐसे तत्व पाए जाते हैं, जिनसे दवाइयां बनायी जाएंगी और उन्हीं की शोध करने के लिए, हम उस भालू के बच्चे को लेकर आए हैं| तुम लोग यहाँ से चले जाओ और हमारे काम में रुकावट मत बनो, नहीं तो तुम्हारे माता पिता को परेशानी हो सकती है और वैसे भी, वह भालू का बच्चा, दो दिन बाद विदेश भेजा जाएगा और उसके बाद वह, हमेशा के लिए वहीं रहेगा”| बच्चों को जैसे ही यह बात पता चलती है तो, वह मन ही मन दुखी हो जाते हैं| सभी बच्चों को वहाँ से ज़बरदस्ती भगा दिया जाता है| बच्चे शिकारी के साथ गाँव वापस आ जाते हैं| बच्चों को कुछ समझ में नहीं आ रहा था कि, भालू के बच्चे को विदेश जाने से कैसे रोकें| बच्चों ने ठान लिया था कि, कुछ भी हो जाए लेकिन, अब भालू के बच्चे को जंगल वापस लाकर रहेंगे| तभी एक लड़के को विचार आता है कि, “हमें भालू का वीडियो शेयर करना होगा, जिसमें हम लोगों से फरियाद करेंगे की, भालू के बच्चे को इस देश से बाहर न जाने दिया जाए”| सभी को उसकी तरकीब पसंद आती है| सभी बच्चे ख़ुश हो जाते हैं, लेकिन उनमें से किसी के पास, मोबाइल फ़ोन नहीं था और उस गाँव में भी, इतनी ग़रीबी थी कि, लोग साधारण फ़ोन का इस्तेमाल ही कर पा रहे थे| बच्चे मोबाइल के जुगाड़ के लिए, गाँव में कई लोगों के पास जाकर पता करते हैं| तभी उन्हें पता चलता है कि, कुछ दिनों पहले ही, उस जंगल के शिकारी ने, जानवरों की फ़ोटो खींचने के लिए, एक छोटा सा फ़ोन ख़रीदा था| बच्चे तुरंत उसी शिकारी के घर पहुँच जाते हैं और जैसे ही वह, भालू के बच्चे को आज़ाद करने का तरीक़ा शिकारी को बताते हैं तो, वह भी उनका साथ देने के लिए, तैयार हो जाता है| शिकारी बच्चों के साथ जंगल में पहुँच जाता है और बच्चों को जंगल के बाहर ही, रुकने को कहता है| वह जंगल के अंदर घुसकर, भालू (Bhalu) की तलाश करने लगता है| बहुत मशक़्क़त के बाद, शिकारी को भालू एक चट्टान के ऊपर बैठा हुआ दिखाई देता है|

शिकारी छुपकर, उसका वीडियो बना लेता है और जंगल से बाहर आकर, बच्चों को वीडियो दिखाता है| बच्चे भालू का वीडियो तुरंत, सोशल मीडिया में शेयर कर देते हैं और साथ ही, भालू के बच्चे से संबंधित, सभी जानकारी वीडियो में आकर बता देते हैं| बच्चों का वीडियो बहुत ही भावनात्मक था, जिस वजह से कुछ ही घंटों में, विडियो वायरल हो जाता है और जैसे ही, शहर में भालू और उसके बच्चे के बिछड़ने की बात, शहरवासियों को पता चलती है तो, बड़ी तादाद में लोग, वैज्ञानिक अनुसंधान केन्द्र पहुंचकर, भालू के बच्चे को छोड़ने के नारे लगाने लगते हैं| जीव वैज्ञानिकों पर जनता का दबाव बढ़ता जा रहा था| मजबूरन सरकार को, उस भालू के बच्चे को आज़ाद करने का आदेश देना पड़ता है और जैसे ही, यह बात बच्चों को पता चलती है कि, उनका तरीक़ा काम कर गया है और भालू के बच्चे को आज़ाद किया जा रहा है| सभी बच्चे ख़ुशी से उछल पड़ते हैं और जंगल के किनारे, भालू को देखने पहुँच जाते हैं| भालू के बच्चे को, जंगल में एक पिंजड़े के अंदर रखकर, उसके पिता का इंतज़ार किया जाता है| सभी टकटकी लगाकर, पिंजरे की तरफ़ देख रहे थे और अचानक, एक विशाल भालू पिंजड़े के पास आकर खड़ा हो जाता है और ज़ोर ज़ोर से, सीने में हाथ अपने मारकर चीखने लगता है| भालू की ललकार सुनकर, वहाँ उपस्थित सभी लोग, दहशत में आ जाते हैं| वैज्ञानिक तुरंत रिमोट कंट्रोल की सहायता से, पिंजरे का दरवाज़ा खोल देते हैं और अगले ही पल, भालू अपने बच्चे को गले से लगाकर चूमने लगता है| लोगों की भीड़, खड़े होकर यह, मनोरम दृश्य देख रही थी| भालू (Bhalu) को अपने बेटे से मिलता देख, सारे बच्चे ज़ोर ज़ोर से तालियाँ बजाने लगते हैं| अचानक भालू तालियों की आवाज़ सुनकर, उन्हीं लड़कों की तरफ़ शुक्रियादा भरे अंदाज़ में देखता है और वहाँ से, अपने बच्चे को लेकर चला जाता है| बच्चों ने अपनी सूझ-बूझ और समझदारी से, भालू को उसके बेटे से मिला दिया था| अख़बारों के मुखपृष्ठ पर, बच्चों की तस्वीर के साथ, भालू की अपने बच्चे से बिछड़ कर, मिलने की दास्तान छपी होती है| बच्चों की इंसानियत भरी मिसाल से, सारा शहर उन्हें प्रोत्साहित करता है और इसी के साथ, जंगल की यह किताब बंद हो जाती है|
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