Kids Story in Hindi:
ये कहानी (Kids Story in Hindi) छोटे बच्चे की है। जिसका नाम पिंटू था। पिंटू बहुत ही सीधा बच्चा था। पिंटू के माँ बाप उससे बहुत प्यार करते थे। पिंटू अक्सर अकेले ही रहना पसंद करता था। उसके ज़्यादा दोस्त नहीं थे। एक बार की बात है। गाँव में एक मदारी आता है। गाँव के सभी बच्चे मदारी का खेल देखने के लिए उत्साहित हो जाते हैं। मदारी बीच मैं अपनी डमरू के साथ खेल दिखाने को तैयार है और गाँव के लोग चारों तरफ़ से घेरा बनाकर उसके खेल का लुत्फ़ उठा रहे हैं। मदारी अपने थैले में से खुफिया तरीक़े से कुछ निकालता है। लोग बड़ी आश्चर्य भरी निगाहों से उसके तमाशे को देख रहे थे। तभी लोगों ने देखा। अरे ये क्या ? ये तो मदारी की डमरू है। सभी को लगा कि मदारी के पास तो बंदर है, ही नहीं अब ये भला डमरू बजाकर किसे नचाएगा। तभी मदारी धीरे धीरे डमरू बजाना शुरू करता है और वहाँ खड़े सारे बच्चे उस डमरू की धुन सुनकर हँसी ख़ुशी से उछलने लगते हैं। अचानक गाँव वालों की नज़र गाँव के चारों तरफ़ पड़ती है और वो देखते हैं कि घरों की छत में कई बंदर बैठे हैं।

जैसे जैसे मदारी अपनी डमरू का स्वर तेज़ करता जाता, बंदरों की संख्या बढ़ती जाती। गाँव वाले इतने सारे बंदरों को देखकर ताज्जुब में होते हैं। भला डमरू के स्वर से इतने सारे बंदर कैसे आ गए। थोड़ी देर बाद मदारी अपनी डमरू नीचे रखकर नृत्य कला दिखाने लगता है। जैसी हरकत मदारी करता। वैसे बंदर भी करने लगते। बच्चे यह सब देखकर बहुत ख़ुश थे। लेकिन गाँव के बड़े बुजुर्गों को यह सब बहुत अजीब लग रहा था। पिंटू भी यह सब देखकर उत्साहित हो रहा था। लेकिन उसकी नज़र तो सिर्फ़ डमरू पर थी। सभी मदारी और बंदरों का तालमेल देखकर तालियां बजा रहे थे। किसी ने ये नज़ारा आज से पहले कभी नहीं देखा था। कुछ ही देर में सारे बंदर 1 एक करके भागने लगते हैं। लेकिन मदारी अपने नृत्य मैं मसरूफ़ रहता है और देखते ही देखते सारे बंदर गाँव से ग़ायब हो जाते हैं। गाँव वाले मदारी को आवाज़ लगाते हैं, “अरे भाई सारे बंदर कहाँ गए। तुम अकेले ही नाचे जा रहे हो” तभी मदारी यह देखकर तुरंत अपनी डमरू बजाने के लिए पोटली मैं हाथ डालता है। लेकिन वह देखता है कि पोटली में तो डमरू है, ही नहीं। मदारी ज़ोर से चिल्लाता है, “अरे मेरी डमरू कहाँ चली गई”। मदारी परेशान हो जाता है। चारों तरफ़ पागलों की तरह अपनी डमरू ढूंढने लगता है। गाँव वाले भी उसका साथ देते हैं। उन्ही में से एक बच्चा ग़ायब होता है और जैसे ही सभी को पता चलता है, कि वह बच्चा कोई और नहीं बल्कि पिंटू है। सभी मदारी को लेकर भागते हुए उसके घर पहुँचते हैं। लेकिन पिंटू घर में भी नहीं मिलता। मदारी कहता है। वह डमरू बहुत मूल्यवान है। वह मेरे गुरु जी ने दी थी, कहीं वह बच्चा उसे खो ना दे। गाँव के बुजुर्ग मदारी को दिलासा देते हुए कहते हैं,अरे नहीं वह तो बहुत सीधा सादा बच्चा है। यहीं कहीं बैठा होगा डमरू लेकर। कुछ घंटे गुज़ारने के बाद सभी लोग नदी तक पहुँचते हैं और सब नदी का नज़ारा देखकर और भी ज़्यादा हैरान हो जाते हैं, क्योंकि नदी में हज़ारों बंदरों के बीच में पिंटू भी खेल रहा होता है।

सभी को लगता है। इतना सीधा बच्चा भला इतने बंदरों से क्यों नहीं डर रहा और मज़े से पानी मैं उनके साथ खेल रहा है। तभी मदारी ज़ोर की आवाज़ में चिल्लाता है, “अरे वो देखो मेरी डमरू” जो कि नदी के किनारे घाट पर ही रखी हुई थी। वह दौड़ता हुआ अपनी डमरू को उठा लेता है और बच्चे को ग़ुस्सा दिखाते हुए चिल्लाता है। लेकिन पिंटू तो अपनी ही धुन में बंदरों के साथ खेलने में लगा रहता है। जो लोग अभी तक मदारी की डमरू का आनंद ले रहे थे, अब वह पिंटू को बंदरों के साथ नहाते हुए देखकर ख़ुश हो रहे थे। मदारी के मन में यह सब देख करके ईर्ष्या भाव पैदा होता है। उसे लगता है। यह चमत्कार तो मेरी डमरू का है। लेकिन लोग बच्चे का खेल देख रहे हैं। मदारी सोचता है कि यह डमरू यहाँ से दूर ले जाता हूँ, तो बंदर भी मेरे पीछे पीछे आ जाएंगे। फिर सभी सिर्फ़ मेरा तमाशा ही देखेंगे और मदारी वहाँ से निकल जाता है, लेकिन ये क्या, अभी भी सारे बंदर पिंटू के आस पास ही खेल रहे होते हैं। मदारी काफ़ी दूर तक निकलने के बाद डमरू बजाता है तब भी सारे बंदर नदी से कहीं नहीं जाते। मदारी को ताज्जुब होता है, क्योंकि आज से पहले ऐसा कभी नहीं हुआ, कि उसकी डमरू बजने में बंदर ना आए हों। लेकिन आज क्या था। जो सारे बंदर उस बच्चे के साथ खेल रहे हैं। मदारी निराश होकर के गाँव से चला जाता है और लोग अभी भी नदी के किनारे पिंटू के खेल को देखकर मनोरंजन कर रहे होते हैं। कुछ देर के बाद पिंटू पानी से बाहर आता है और सारे बंदर पिंटू के पीछे पीछे चलने लगते हैं। गाँव के सभी लोग यह तमाशा देख ही रहे होते हैं तभी पिंटू अपने गले से एक लॉकेट निकालता है और पानी में फेंक देता है।

लॉकेट फेंकते ही सारे बंदर अचानक यहाँ वहाँ कूद कूद करके भागने लगते हैं और देखते ही देखते सारे बंदर वहाँ से ग़ायब हो जाते हैं। दरअसल यह वही लॉकेट था, जो डमरू में बँधा हुआ था और उसी की वजह से सारे बंदर आकर्षित हो रहे थे। लेकिन पिंटू ने उन बंदरों को डमरू के सम्मोहन से आज़ाद कर दिया था और अब सभी बंदर अपनी मर्ज़ी से आज़ाद हो चुके थे। गाँव के सभी लोगों को यह बात एक पहेली की तरह लग रही थी। लेकिन पिंटू मुस्कुराता हुआ अपने घर आ चुका था। ऐसा लगता था मानो पिंटू तो सब कुछ जानता था और पिंटू मुस्कुराते हुए, अपनी माँ के गले लगकर सौ जाता है।