मेरा परिवार (Mera parivar) – मोटिवेशनल स्टोरी इन हिंदी (best story in hindi for kids in short):
मोटिवेशनल स्टोरी इन हिंदी– दुनिया में इंसान हो या जानवर सभी, अपने परिवार को प्राथमिकता देते हैं लेकिन, क्या वास्तव में जिसे, हम अपना परिवार समझते हैं, वही अपना परिवार है या इससे हटकर, हमें अपना नज़रिया बदलने की ज़रूरत है| ऐसी ही कहानी “मेरा परिवार” (Mera parivar) छोटे से गाँव राघवपुर की है| जहाँ भुवन नाम का एक लड़का रहता था| कुछ ही महीनों बाद, भुवन की शादी होने वाली थी जिससे, वह बहुत ख़ुश था| भुवन अपने परिवार को सबसे ज़्यादा महत्व देता था| वह अभी कॉलेज में पढ़ रहा था लेकिन, उसकी सोच किसी गृहस्थ दम्पति की तरह ही थी| भुवन ने अपनी छोटी सी उम्र में ही, घर गृहस्थी की चीज़ें जोड़ना शुरू कर दिया था| भुवन अपने स्कूल के साथ साथ, अपने पिता की फ़र्नीचर की दुकान में भी हाथ बँटाता था| एक दिन भुवन, अपने कॉलेज से भागते हुए घर आया और अपने पिता से, एक बड़ा सा लकड़ी का घर, बनाने की ज़िद करने लगा लेकिन, वह अपने पिता के कई बार पूछने पर भी, घर बनाने का कारण नहीं बताता| भुवन के पिता, अपने बेटे की फ़िज़ूल फरमाईश से, नाराज़ हो जाते हैं और उसे डांटते हुए कहते हैं, “तुम अपनी पढ़ाई में ध्यान दो| कभी किसी को देखा है, लकड़ी के घर में रहते हुए और अभी तुम्हारी, शादी में भी काफ़ी समय है फिर, तुम्हें अलग से घर बनाने की क्या ज़रूरत है, अपने घर में तुम्हें क्या परेशानी है?” भुवन अपने पिता के समझाने पर भी, उनकी बात नहीं सुनता और लकड़ी का सामान लेकर, गाँव के बीचों-बीच घर बनाना शुरू कर देता है|
गाँव के सभी लोग, भुवन को घर बनाते देख, उसका मज़ाक उड़ाने लगते हैं क्योंकि, वह बिना नींव खोदे ही, घर का निर्माण कर रहा था| सभी सोच रहे थे कि, भुवन शादी की ख़ुशी में पागल हो गया है लेकिन, भुवन को किसी से कोई मतलब नहीं था| उसने धीरे धीरे लकड़ी का बड़ा सा घर बनाना शुरू कर दिया| भुवन से उसके पिता बहुत नाराज़ हो चुके थे क्योंकि, भुवन को इस काम की कोई मज़दूरी नहीं मिल रही थी| फिर भी वह, पागलों की तरह घर बनाने में मेहनत कर रहा था| कुछ ही दिनों में भुवन ने अपनी कठोर मेहनत से, एक बेहतरीन घर तैयार कर लिया| उसकी कारीगरी को देखकर, गाँव वाले भी उसकी तारीफ़ करने लगे| भुवन का घर आख़री मुक़ाम पर था लेकिन, तभी बारिश शुरू हो जाती है और गाँव के लोग, अपने अपने घरों की तरफ़, भागने लगते हैं लेकिन, भुवन मूसलाधार वर्षा होने पर भी, अपना काम नहीं रोक रहा था| गाँव के लोगों ने उसे काम बंद करने को कहा लेकिन, भुवन किसी की नहीं सुनता| सभी को वह पागल लगने लगा था| भुवन के पिता ने भी, उसे समझाने की बहुत कोशिश की| लेकिन, वह लकड़ी का घर बनाने में इतना केंद्रित था कि, वह अपना खाना पीना भी भूल चुका था तो, बारिश क्या चीज़ है| कुछ दिनों लगातार बारिश होने की वजह से, गाँव में पानी का स्तर बढ़ने लगा| नदियां उफान मारने लगती हैं| खेतों में पानी भरते ही, गाँव के लोगों के बीच दहशत का माहौल छा जाता है|
दरअसल, यह गाँव चारों तरफ़ से, नदियों से घिरा हुआ है और अधिक बारिश होने की वजह से, यहाँ बाढ़ की स्थिति बन चुकी थी| लगातार पानी गिरने से, गांवों में बने मिट्टी के घर, एक एक करके धराशायी होने लगते हैं| गाँव के लोग अपनी जान बचाने के लिए, पेड़ों पर चढ़कर रहने पर मजबूर हो चुके थे लेकिन, इसी बीच भुवन ने गाँव के सभी लोगों को, अपने बनाए हुए लकड़ी के घर में आने का आमंत्रण दिया| लोगों को समझ ही नहीं आ रहा था कि, जब उनके घर पानी में डूब जाएंगे, तो फिर यह घर, उन्हें कैसे बचाएगा| तभी भुवन के पिता, ग़ुस्से में अपने बेटे से कहते हैं कि, “तुम क्यों अपने साथ साथ, गाँव वालों की भी जान के दुश्मन बने हुए हो| तुम भी हमारे साथ पेड़ के ऊपर आ जाओ| नहीं तो, पानी तुम्हारे घर के साथ साथ, तुम्हें भी डुबो देगा” लेकिन, भुवन अपने घर के ऊपर, छतरी के नीचे मजे से बैठ गया और जैसे ही, पानी का सैलाब तेज हुआ, भुवन का घर ज़मीन से ऊपर उठ गया और तैरने लगा| भुवन बड़े मज़े से, अपने घर की छत पर बैठे हुए, बरसात का मज़ा ले रहा था| उसे देखकर, गाँव वालों के अंदर बाढ़ से बचने की उम्मीद जाग गई| भुवन पेड़ के नज़दीक जाकर, सभी को एक एक करके, अपने घर में बैठाता जा रहा था| भुवन का घर एक बड़ी नाव में बदल चुका था जिसमें, इंसानों के साथ साथ, जानवरों को भी जगह मिल चुकी थी|
भुवन सभी को सुरक्षित बचाकर के, गाँव की दूसरी तरफ़ ले आता है| सभी उसकी बहादुरी भरे कार्य के लिए, तालियाँ बजाने लगे| इस कारनामे की वजह से, भुवन गाँव का रक्षक बन चुका था और सभी की नज़रों में, उसका सम्मान बढ़ चुका था और हो भी क्यों न? उसने अपनी मेहनत और लगन से, अपने असली परिवार को जो बचा लिया था| दरअसल, जिस दिन भुवन अपने पिता के पास, घर बनाने की माँग करने आया था उसी दिन, उसे अपने कॉलेज के एक गेस्ट लेक्चरर से, पता चला था कि, एक महीने के अंदर, बहुत तेज़ बारिश होने वाली है जिससे, आस पास के सभी गाँव, बाढ़ में डूब जाएंगे और यह बात सुनते ही, भुवन घबरा जाता है क्योंकि, उसका मानना था कि, “परिवार केवल वह नहीं जिससे, हमारे सामाजिक रिश्ते हो बल्कि, पूरी मानवता के साथ साथ, जीव जन्तु और पशु पक्षी भी, मेरा परिवार (Mera parivar) ही हैं क्योंकि, यदि सभी का अस्तित्व मिट गया तो, हम कैसे बचेंगे?” जैसे ही भुवन के पिता को सारी कहानी पता चलती है, वह अपने बेटे को, गले लगा लेते हैं जिससे, भुवन की आँखों में आँसू आ जाते हैं| वह समझ चुके थे कि, भुवन इतनी मेहनत, गाँव के लोगों की रक्षा करने के लिए, कर रहा था| सभी भुवन को, अपना रक्षक मानकर उसके सम्मान में, तालियाँ बजाने लगते हैं और कहानी ख़त्म हो जाती है|