मैं कौन हूं (Who am I) – Know youself

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मैं कौन हूं (who am I) – सफलता की कहानी इन हिंदी (Kids Moral Story):

सफलता की कहानी इन हिंदी– एक छोटा सा शहर था, जहाँ रोशन नाम का एक लड़का, अपने मम्मी पापा के साथ रहता था| रोशन की आयु सात वर्ष की थी| रोशन बहुत ही जिज्ञासु लड़का था| वह छोटी से छोटी बात को लेकर सभी से प्रश्न पूछने लगता था, लेकिन उसे अधिकतर प्रश्नों के जवाब नहीं मिलते थे| एक दिन रोशन अपने स्कूल जा रहा था, अचानक उसे साधारण वेशभूषा में, एक व्यक्ति सड़क के किनारे बैठा हुआ दिखाई देता है| वह उसके पास जाकर उसके हालातों के बारे में प्रश्न पूछने लगता है, लेकिन वह व्यक्ति रोशन की किसी भी बात का जवाब नहीं देता| वह केवल मुस्कुराते हुए रोशन को देख रहा होता है| कुछ देर बाद, जब रोशन को उसके प्रश्नों का उत्तर नहीं मिलता तो, वह आगे जाने लगता है| तभी वह आदमी पीछे से रोशन को आवाज़ लगाते हुए कहता है, कि “तुम कौन हो”? रोशन तुरंत पलटकर उस व्यक्ति के पास पहुँचता है और कहता है, “मेरा नाम रोशन है और मैं स्कूल में पढ़ाई करता हूँ| आपको ऐसी हालत में देखा, तो जानने की इच्छा हुई|” तभी उस व्यक्ति ने फिर से रोशन से वही प्रश्न पूछा, “तुम कौन हो” अब रोशन की जिज्ञासा बढ़ने लगी थी, क्योंकि रोशन ने अपना नाम तो बता ही दिया था, फिर भी वह व्यक्ति उसे दोबारा वही प्रश्न क्यों पूछ रहा है| तभी रोशन उस व्यक्ति से कहता है, “आप पागल तो नहीं, मैंने आपको अपना नाम बताया है| फिर भी आप मुझसे पूछ रहे हैं, कि मैं कौन हूं”| उस व्यक्ति ने जवाब देते हुए कहा, “मैंने तुम्हारा नाम नहीं पूछा था, बल्कि तुम कौन हो? यह पूछा है| अगर इसका उत्तर जानते हो, तो बताओ वरना, आगे बढ़ो| उस व्यक्ति की तेज आवाज सुनकर रोशन मायूस होकर अपने स्कूल की तरफ चल देता है|

मैं कौन हूं
Image by ambermb from Pixabay

रौशन उस व्यक्ति के सवाल से चिंतित हो चुका था| वह स्कूल पहुंचकर अपनी कक्षा में जाकर शांत बैठ जाता है और जैसे ही शिक्षक कक्षा में आते हैं| वह उनसे सर्वप्रथम यही सवाल करता है, कि मुझे बताइए “मैं कौन हूं”? शिक्षक मुस्कुराते हुए कहते हैं, “तुम इस स्कूल के विद्यार्थी हो”| रौशन जवाब पाकर ख़ुश हो जाता है| स्कूल की छुट्टी होने के बाद रौशन घर पहुँचता है और अपने पिताजी से, वही सवाल फिर से पूछता है, लेकिन रोशन के पिता उसे जवाब देते हुए कहते हैं कि “तुम मेरे बेटे हो और क्या” अब रोशन का दिमाग़ घूमने लगता है, क्योंकि शिक्षक और पिताजी दोनों के उत्तर अलग अलग थे| रोशन अगले दिन सुबह सुबह स्कूल के लिए निकलता है| रास्ते भर रोशन की निगाहें उसी व्यक्ति को खोज रही होती है, जिसने उससे प्रश्न पूछा था, लेकिन वह रोशन को कहीं दिखाई नहीं देता| रोशन मायूस होकर अपने स्कूल पहुँच जाता है| रोशन का कक्षा में मन नहीं लग रहा होता| उसे बस एक ही सवाल खाऐ जा रहा था, कि वह कौन हैं? सभी लोगों ने अलग अलग उत्तर जो दिए थे| स्कूल की छुट्टी होते ही, सभी बच्चे बाहर निकलते हैं| तभी रोशन की नज़र उसी व्यक्ति पर पड़ती है| वह छोटे बच्चों के खिलौने बेंच रहा था|

तुम कौन हो
Image by Swastik Arora from Pixabay

रोशन दौड़कर उसके पास पहुँच जाता है और उसे कहता है, “मुझे बताओ मैं कौन हूं? क्योंकि मैंने जिन लोगों से भी पूछा, सभी ने मुझे अलग अलग उत्तर दिए हैं|” वह व्यक्ति रोशन को ग़ौर से देखता है और कहता है, “तुम्हारा प्रश्न ही तुम्हारा उत्तर है| यह बात हमेशा याद रखना, जो भी कुछ तुम्हें दुनिया के लोग बनाएँ, जैसे कोई दोस्त कहेगा, कोई भाई कहेगा, कोई पुत्र कहेगा, कोई सेवक कहेगा, और तो और कोई मालिक भी कहेगा| बस तुम यह समझना की तुम ये सब नहीं हो और इसे ही ध्यान कहते हैं| हमेशा ध्यान में रहना| दुनिया के किसी भी बंधन को अपने ऊपर हावी मत होने देना, क्योंकि तुम एक पूर्ण चेतना हो, जिसे कुछ भी होने की ज़रूरत नहीं है| इससे ज़्यादा मैं कुछ नहीं कह सकता|” रोशन की आयु बहुत कम थी, इसलिए शायद वह इन सब बातों को समझ नहीं पा रहा था, लेकिन उसने इस बात को मंत्र की तरह रट लिया था, कि वह हमेशा अपने आप से यह पूछता रहेगा कि वह कौन है?

Kids Moral Story | संगत (Sangat)

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