रिश्ता (rishta) हिंदी में एक कहानी- रिश्तों की कहानी (पारिवारिक शिक्षाप्रद कहानियां):
लोगों के परस्पर सामाजिक व्यवहार को रिश्ता कहते हैं| यह रिश्ते किसी भी आधार पर बन सकते हैं| किसी से रिश्ता (Rishta) बनाना तो आसान होता है लेकिन, उसे निभाने के लिए अपने विचारो में स्वच्छता होना अनिवार्य है| अन्यथा रिश्तों के टूटने में देर नहीं लगती| सभी समाजों ने लोगों को, तरह तरह के रिश्ते निभाने की नियमावली सौंपी है जिसके आधार पर, रिश्तों की बुनियाद रखी जाती है| रिश्ता कोई भी हो, चाहे एक भाई का अपने बहन से, एक पिता का अपनी पुत्री से या फिर एक पति का अपनी पत्नी से, सभी के लिए, कुछ मूलभूत सिद्धांत बनाए गए हैं लेकिन, जब रिश्तों के बीच, प्रेम न हो तो, कोई भी नियम क़ानून, रिश्तों को निभाने के लिए, बाध्य नहीं कर सकता| ऐसी ही एक कहानी बब्लू की है| बब्लू का परिवार बहुत बड़ा था लेकिन, पुश्तैनी संपत्ति के क़ानूनी बँटवारे की वजह से, रिश्तों में खटास आ चुकी थी| बब्लू की एक छोटी बहन है| जिसका नाम रिंकी है| बब्लू अपनी बहन से बहुत प्यार करता है| रिंकी की शादी तय हो चुकी है इसलिए, परिवार में सभी, उसकी शादी की तैयारियों में, जुटे हुए हैं लेकिन, रिंकी अपनी शादी से ख़ुश नहीं थी क्योंकि, उसके सभी रिश्तेदार, अलग अलग बिखर चुके थे| रिंकी चाहती थी कि, उसकी शादी के समय सभी लोग, उपस्थित हों| बब्लू अपनी बहन का दुख समझता था इसलिए, उसने सोचा वह सभी रिश्तेदारों को जाकर, शादी के लिए आमंत्रित करेगा और अगले ही दिन, वह शादी के कार्ड लेकर, अपनी मोटरसाइकिल से निकल गया|

बब्लू अपने सभी रिश्तेदारों को हाथ जोड़कर आमंत्रित करता जा रहा था लेकिन, कोई उसे पानी तक के लिए, नहीं पूछ रहा था| बब्बू को पहले से पता था कि, उसकी बहन की शादी में एक भी रिश्तेदार नहीं आएगा इसलिए, उसने शादी के कार्ड के पीछे, नंबर के साथ एक चिट चिपकायी थी जिसमें, लिखा था कि, शादी में उपस्थित होने वाले भाग्यशाली विजेताओं को, लकी ड्रा में सोने के आकर्षक उपहार दिए जाएंगें| फिर क्या था, शादी के दिन रिश्तेदारों की भीड़ लगने लगी| रिश्तेदारों का जमावड़ा देख, रिंकी के माँ बाप ख़ुशी से फूले नहीं समा रहे थे| उन्हें ऐसा लग रहा था कि, पहली बार उनकी खुशियों की कमी पूरी हुई है लेकिन, उन्हें क्या पता कि, रिश्तेदार ईनाम की लालच में यहाँ तक, खिंचे चले आए थे| धीरे धीरे शादी के दौरान, रिश्तेदारों में फुसफुसाहट शुरू हुई और देखते ही देखते, रिश्तेदारों ने अपने लालची रूप का प्रदर्शन शुरू कर दिया और कुछ रिश्तेदार, रिंकी के पिता से उपहार की बात करने लगे लेकिन, उन्हें इसकी कोई जानकारी नहीं थी क्योंकि, यह कारस्तानी तो, बब्लू की थी| कुछ ही समय में बब्लू के नाटक का पर्दा उठ गया, जब उसने सबके सामने आकर, ज़ोर ज़ोर से हँसते हुए, रिश्तेदारों को लालची कहा| शादी में आये हुए रिश्तेदार, बब्लू की बात सुनकर नाराज़ हो चुके थे| तभी बब्लू के पिता ने, बब्लू को डांटते हुए पूछा, “तुमने रिश्तेदारों के साथ, उपहार वाला मज़ाक क्यों किया?” तभी बब्लू जवाब देते हुए, अपने पिता से कहता है कि, “मैं आपको यही दिखाना चाहता था कि, जिन रिश्तेदारों के लिए, आप अपना प्रेम दिखाते हो, वह आपकी बेटी की शादी में नहीं बल्कि, किसी और लालच से आए हैं|

अगर उन्हें हमारे यहाँ आने से कोई लाभ न होता तो, वह हमारी ग़रीबी की वजह से, इतनी दूर शादी में कभी नहीं आते|” बब्लू के पिता अपने बच्चे की बात समझ चुके थे लेकिन, फिर भी उन्होने रिश्तेदारों के सामने, हाथ जोड़कर माफ़ी माँगते हुए, सभी को खाने के लिए, आमंत्रित किया| लालची रिश्तेदार भला, खाना कैसे छोड़ते| उनके कहते ही, सभी गिद्धों की तरह, खाने पर टूट पड़े हालाँकि, रिंकी अपनी शादी से बहुत ख़ुश थी| दरअसल, उसने इतने रिश्तेदारों की कल्पना भी नहीं की थी| उसे अपने भाई की अक़लमंदी पर गर्व हो रहा था| बब्लू ने अपनी बहन की इच्छा पूरी करके, अपना रिश्ता (rishta) निभाया लेकिन, इस घटना के बाद उन्होंने, सभी मतलबी रिश्तेदारों से, रिश्ता ख़त्म कर लिया था और नए रिश्तों की खोज के साथ, यह कहानी ख़त्म हो जाती है|