विकलांग (Viklang)- Connect to रियल लाइफ स्टोरी इन हिंदी ankahi kahaniya (stories for kids) in hindi:
रियल लाइफ स्टोरी इन हिंदी– शारीरिक रूप से कमियों को, विकलांगता का दर्जा दिया जाता है लेकिन, क्या वास्तविक तौर पर, केवल शरीर की कमियों से विकलांगता साबित हो सकती है| आइए, इस तथ्य को समझने के लिए, चलते हैं एक ज़बर्दस्त कहानी की ओर| रोहित अपने पिता का इकलौता लड़का था लेकिन, पोषक तत्वों की कमी के कारण, रोहित का शरीर बचपन से ही कमज़ोरी का शिकार हो चुका था जिससे, उसके हाथ पैरों ने काम करना बंद कर दिया था| रोहित के पिता ने, अपनी सीमित आय होने के बावजूद, उसे ठीक करने के लिए, बड़े से बड़े अस्पताल में, उसका इलाज करवाया लेकिन, हर जगह से उन्हें निराशा ही हाथ लगी| रोहित की बढ़ती हुई उम्र के साथ साथ, उसकी लाचारी भी बड़ी हो रही थी| रोहित अब 10 साल का हो चुका था| वह अपनी पढ़ाई, ऑनलाइन माध्यम से, घर रह कर ही करता था| एक दिन रोहित, अपने कमरे में पानी लेने की कोशिश करता है लेकिन, वह अपने बिस्तर से नीचे गिर जाता है| नीचे गिरते ही, रोहित अपने पिता को आवाज़ लगाता है| उसके पिता, बाहर वाले कमरे में बैठकर, अख़बार पढ़ रहे थे| रोहित की आवाज़ सुनकर, वह भागते हुए कमरे में पहुँचते हैं| वह अपने बेटे को ज़मीन में पड़ा हुआ देख, डर जाते हैं| वह उसे, तुरंत उठाकर बिस्तर में लिटाते हैं| रोहित ज़मीन में गिरने की वजह से, घबरा जाता है जिससे, उसकी धड़कनें बढ़ जाती है लेकिन, रोहित के पिता, उसे प्यार से सहलाते हुए सुला देते हैं| उन्हें, अपने बेटे की हालत पर तरस आ रहा था लेकिन, वह उसे शारीरिक विकलांगता से बाहर, नहीं निकाल पा रहे थे| एक दिन रोहित के पिता, उसे घुमाने के लिए, शहर के सबसे बड़े गार्डन ले जाते हैं| रोहित वील चेयर में बैठकर, अपने पिता के साथ गार्डन में घूम रहा था| उसी वक़्त, वहाँ एक इंसान अपने व्यक्तिगत सुरक्षा दल के साथ, दाख़िल होता है| जिसे देखते ही, रोहित के पिता आश्चर्यचकित हो जाते हैं क्योंकि, वह व्यक्ति भी, रोहित की तरह हाथ पैर दोनों से ही, विकलांग (Viklang) था लेकिन, उसे देखकर ऐसा लग रहा था जैसे, उसे अपनी विकलांगता पर गर्व है| वह वील चेयर पर बैठकर, बड़े मज़े से हँसते हुए घूम रहा था|

रोहित के पिता को, पहली बार कोई विकलांग (Viklang) व्यक्ति, इतना ख़ुश नज़र आया था| वह अपने बेटे को लेकर, उसके पास पहुँच जाते हैं लेकिन, उस व्यक्ति के सुरक्षाकर्मी, रोहित के पिता को, उनके क़रीब आने से रोक लेते हैं| दरअसल, वह व्यक्ति अंतरिक्ष वैज्ञानिक था जिसने, इतनी कम उम्र में, इतनी कामयाबी हासिल की थी जो, आम इंसान के सोच से परे थी| रोहित के पिता की ज़िद करने के बाद भी, सुरक्षा कर्मी उन्हें, वैज्ञानिक से मिलने से रोक देते हैं| रोहित के पिता को, ऐसा लगने लगा था कि, “यही व्यक्ति उनके बेटे का पथप्रदर्शक बन सकता है|” वह घर वापस आते ही, वैज्ञानिक के बारे में, इंटरनेट पर जानकारी जुटाते हैं| तभी उन्हें पता चलता है कि, “वह यहाँ सिर्फ़ कुछ ही दिनों के लिए आए हैं और इसके बाद, वह वापस विदेश लौट जाएंगे| रोहित के पिता, एक बार दोबारा उसी वैज्ञानिक से मिलने की कोशिश में, उनके बंगले पहुँच जाते हैं लेकिन, वहाँ भी उनके साथ वही होता है| वैज्ञानिकों की सुरक्षा कारणों की वजह से, उन्हें वहाँ से भी ख़ाली हाथ लौटना पड़ता है| दोनों बार नाकाम होने के बाद, उन्होंने तय किया कि, वैज्ञानिक से मिलने के लिए, वह किसी पहचान का सहारा लेंगे लेकिन, उस वैज्ञानिक तक पहुँच पाना, इतना आसान नहीं था| क़िस्मत ने, एक बार फिर रोहित के पिता को, मिलने का मौक़ा दिया| वह अख़बार पढ़ रहे थे| उसी वक़्त, उन्हें एक लेख के ज़रिए पता चला कि, आज रात वैज्ञानिक विदेश के लिए निकल रहे हैं और इसके बाद वह, एक साल बाद ही वापस आएंगे| रोहित के पिता के पास, यह आख़िरी मौक़ा था| उन्होंने तय किया कि, “चाहे कुछ भी हो जाए, इस बार वह उनसे मिलकर ही रहेंगे|” उन्होंने उनसे मिलने के लिए अपना फिक्स डिपॉज़िट तोड़कर, उसी हवाई जहाज़ का टिकट ले लिया जिसमें, वह वैज्ञानिक जाने वाले थे| रात होते ही वह, अपने बेटे को लेकर, एयरपोर्ट पहुँच गए| पूरी जांच प्रक्रियाओं से गुज़रने के बाद, जैसे ही वह हवाई जहाज़ के अंदर पहुँचे तो, उन्हें पता चला कि, वैज्ञानिक इस प्लेन में आये ही नहीं क्योंकि, उनके प्रोग्राम में देरी होने की वजह से, इस फ़्लाइट में उनकी हवाई यात्रा रद्द हो चुकी थी और अब, वह अगली फ़्लाइट से जाएंगे|” यह सुनते ही, रोहित के पिता घबरा जाते हैं क्योंकि, उन्होंने सिर्फ़ एक मुलाक़ात के लिए, अपना सारा जमा धन बर्बाद कर दिया था और अब, उनके सभी रास्ते बंद हो चुके थे| हड़बड़ाहट में, वह अपने बेटे के साथ, हवाई जहाज़ से बाहर आ जाते हैं लेकिन, अचानक गेट पर वही वैज्ञानिक, आते दिखाई देते हैं| वैज्ञानिक को देखते ही, रोहित के पिता की आँखों में, उम्मीद की किरण चमकने लगती है| वह भागते हुए, उनकी ओर बढ़ते हैं लेकिन, हवाई अड्डे में मौजूद सुरक्षाकर्मी, वैज्ञानिक की तरफ़ बढ़ता देख उन्हें, दबोच लेते हैं| वैज्ञानिक उनके साथ, उनके अपाहिज बेटे को देखकर, सुरक्षाकर्मियों को उन्हें, छोड़ने को कहते हैं और उन्हें, अपने पास बुलाते हैं| रोहित के पिता, अपने बेटे के साथ, उनके पास जाकर रोने लगते हैं और उनके सामने हाथ जोड़कर कहते हैं, “मेरे बेटे की ज़िंदगी, आपके हाथ में है| मैं आपसे जानना चाहता हूँ, अपनी लाचारी को आपने, अपनी ताक़त कैसे बनाया|” वैज्ञानिक ने बड़े ग़ौर से रोहित की तरफ़ देखा और कहा, “मुझे तो ये लड़का विकलांग नहीं दिख रहा| आपको क्यों दिख रहा है?” रोहित के पिता ने कहा कि, “आप मज़ाक कर रहे हैं क्या? आपको दिखाई नहीं देता, वील चेयर पर मेरे बेटे की लाचारी, साफ़ झलक रही है|” वैज्ञानिक ने उन्हें समझाते हुए कहा कि, “शरीर सिर्फ़ एक माध्यम है|

असली ताक़त तो ज्ञान में है और अगर, सही दिशा में प्रयास किया जाए तो, यही ज्ञान शारीरिक विकलांगता पर भारी पड़ता है| आपको समझना होगा कि, आज की दुनिया में, शरीर से किए जाने वाले कामों की, कोई क़ीमत नहीं है| यदि इंसान, अपने दिमाग़ की क़ीमत समझें तो, वह पूर्ण शरीर के बिना भी, अकल्पनीय कार्य कर सकता है|” रोहित के पिता, बड़े ध्यान से वैज्ञानिक की बातें समझने की कोशिश कर रहे थे लेकिन, कुछ बातें ऐसी होती हैं, जिन्हें समझने के लिए, आध्यात्मिक ज्ञान की ही आवश्यकता होती है| वैज्ञानिक ने, अपनी सफलता की वजह, दुनिया भर की महान किताबें पढ़ना बताया| जिनके माध्यम से वैज्ञानिक को, वैज्ञानिक बनने की प्रेरणा मिली थी| रोहित के पिता को, उनका जवाब मिल चुका था और अब वह तैयार थे, अपने बेटे की विकलांगता ज्ञान से दूर करने के लिए|