विद्यालय (Vidyalaya)- teacher and student story

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विद्यालय (Vidyalaya)- सफलता की प्रेरणादायक कहानियां (आलसी विद्यार्थी की कहानी) (School ki kahani):

प्रशासनिक दृष्टिकोण से विद्यालय (Vidyalaya) की बृहद परिभाषा है लेकिन, यदि साधारण अर्थों में समझें तो, प्राथमिक शिक्षा देने वाली किसी भी संस्था को, विद्यालय या स्कूल का दर्जा दिया जा सकता है लेकिन, क्या किसी भी स्कूल को क़ामयाब बनाने के लिए, केवल शैक्षणिक अनुभव ही आवश्यक है या, इससे बढ़कर हमें विचार करने की आवश्यकता है? इसे समझने के लिए, आइए चलते हैं एक बेहतरीन कहानी की ओर| मुकेश अपनी कॉलेज की शिक्षा ख़त्म होते ही, नौकरी ढूंढने में लग गया| कई साल नौकरियों की तलाश करने के बाद, जब वह हताश हो गया तो, वह अपने दोस्त के बड़े भाई के पास सलाह लेने पहुँचा| वह कॉलेज में प्रोफ़ेसर थे उन्होंने, मुकेश को छोटे बच्चों को पढ़ाने की सलाह दी| मुकेश को अपने दोस्त के, भाई की सलाह अच्छी लगी इसलिए, वह फ़िलहाल बच्चों को ट्यूशन के लिए तैयार हो गया| घर आते ही मुकेश ने एक कमरे में, एक छोटी सी कोचिंग शुरू की| धीरे धीरे मुकेश को बच्चों को पढ़ाने से अच्छे पैसे मिलने लगे और उसे पढ़ाने में मज़ा आने लगा| ट्यूशन में बच्चों की बढ़ती संख्या देखकर, उसने सोचा क्यों न एक स्कूल ही खोला जाए जिससे और अच्छी आमदनी हो, बस फिर क्या था, मुकेश ने बैंक से ऋण लेकर, एक छोटे सा स्कूल खोला|

विद्यालय (Vidyalaya)- teacher and student story with moral
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स्कूल की फ़ीस कम होने की वजह से, छात्र तेज़ी से बढ़ने लगे| बहुत ही कम समय में, मुकेश कामयाबी की सीढ़ियाँ चढ़ता जा रहा था| मुकेश ने स्कूल में अच्छे अच्छे शिक्षक भर्ती कर लिए| जिससे चार पाँच साल तक तो, मुकेश को स्कूल चलाने में कोई समस्या नहीं हुई लेकिन, एक सरकारी आदेश ने उसकी दुनिया हिला दी| डाक द्वारा प्राप्त हुए पत्र से, उसे पता चला कि, राज्य के पाँच वर्ष पुराने सभी विद्यालयों में, ऑडिट किया जाएगा जिसमें, बच्चों की योग्यता देखकर ही, स्कूलों की मान्यता बढ़ायी जाएगी और जिन स्कूलों में, शिक्षा का स्तर गिरा हुआ है तत्काल, उनकी मान्यता रद्द हो जाएगी| बस फिर क्या था नए नए स्कूलों में खलबली मच गई| सभी अपने अपने स्तर से, अपने स्कूल को अच्छा दिखाने में लग गए| मुकेश ने अपने स्कूल के शिक्षकों की मीटिंग बुलायी और उसमें, बच्चों की पढ़ाई के बारे में जानकारी ली| शिक्षकों के गोलमोल जवाब सुनकर, मुकेश को एहसास हुआ कि, उसे ख़ुद जाकर बच्चों की जाँच करनी चाहिए तभी, उसे अपने स्कूल की स्थिति का पता चलेगा| मुकेश सभी बच्चों की कक्षाओं में, एक एक करके पहुँचा और उनके विषय से सम्बंधित, प्रश्न पूछने लगा लेकिन, एक भी बच्चा सही तरीक़े से, मुकेश के प्रश्नों का उत्तर न दे सका| इस बात से, मुकेश को बहुत ग़ुस्सा आया| उसने सभी शिक्षकों को फटकार लगाते हुए कहा, “मैं तो आप लोगों को योग्य शिक्षक समझ कर लाया था लेकिन, आप लोग तो शिक्षक होने का फ़र्ज़ ही भूल गए हैं| आप लोगों को बच्चों पर विशेष ध्यान देना चाहिए था लेकिन, आज एक भी बच्चा प्रश्नों का उत्तर देने में सक्षम नहीं है और यह आप लोगों की नाकामी साबित करता है|” मुकेश की बातें सुनकर, सभी शिक्षक अपनी बगलें झांकने लगे| मुकेश को कोई रास्ता नज़र नहीं आ रहा था कि, इतने कम समय में वह, अपने स्कूल के बच्चों का प्रदर्शन, अच्छा कैसे करें तभी, वह अपने उसी पुराने दोस्त के बड़े भाई से मिलने, निकल पड़ा लेकिन, रास्ते में एक विशाल जनसमूह ने, उसके रास्ते में बाधा खड़ी कर दी| देखते ही देखते बहुत से लोग, हाथों में झंडे लेकर सड़क पर बड़ी संख्या में इकट्ठे हो गए हैं|

विद्यालय (Vidyalaya)- teacher and student story in hindi with moral
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मुकेश सभी को ग़ौर से देख रहा था| जब उसे आगे बढ़ाने का रास्ता नहीं मिला तो, वह रैली के अंदर शामिल हो गया और रैली के बारे में पूछने लगा| लोगों की जानकारियों से उसे पता चला कि, “किसी व्यक्ति ने इन लोगों की धार्मिक भावनाओं को आहत किया है इसलिए, सभी उसके विरोध के लिए इकट्ठे हो रहे हैं| मुकेश विज्ञान के ज़माने की सोच रखने वाला व्यक्ति था| उसे यक़ीन ही नहीं हुआ कि, आज भी लोग धर्म के नाम पर इकट्ठे हो जाते हैं| धार्मिक एकता देखकर, मुकेश का माथा ठनका| उसे लगा, “यदि धर्म के नाम पर इतने सारे लोगों को इकट्ठा किया जा सकता है तो, क्या किसी एक मक़सद के लिए, स्कूल के सभी बच्चों को एक जुट करके, शिक्षा की ओर नहीं बढ़ाया जा सकता?” उसने स्कूल पहुंचकर, सभी शिक्षकों को एकत्रित किया और उनसे कहने लगा कि, “बच्चों की एकता बढ़ाने के लिए, हमें कुछ करना होगा तभी, बच्चे आने वाली परीक्षाओं में, अच्छा प्रदर्शन कर सकेंगे अन्यथा, हमारे स्कूल की मान्यता रद्द हो जाएगी| मुकेश ने योजना के अनुसार, सभी बच्चों को अगले दिन, स्कूल से दूर शहर में स्थित एक खेल के मैदान में पहुँचने को कहा| बच्चों को बताया गया कि, “मैदान में एक प्रोग्राम का आयोजन किया गया है जहाँ, बच्चों को प्रोत्साहित किया जाएगा|” अगले दिन, बच्चे ख़ुशी ख़ुशी खेल के मैदान पहुँचे| मंच में विशेष अतिथि के तौर पर, कुछ प्रशासनिक अधिकारियों को बुलाया गया था जैसे ही, मुकेश को सभी के सामने बोलने का मौक़ा दिया गया| उसने अपने स्कूल के बच्चों की तारीफ़ के पुल बाँधने शुरू कर दिए| छात्र छात्राएँ स्कूल के प्राचार्य के मुँह से, अपनी तारीफ़ सुनकर बहुत ख़ुश हुए| इसी बीच दूसरे स्कूल से आए हुए एक शिक्षक ने, मंच पर आकर मुकेश को ज़लील करना शुरू कर दिया और भाषण देते हुए कहने लगा कि, “तुम्हारे स्कूल के सभी बच्चे एक दम गधे हैं|

विद्यालय (Vidyalaya)- teacher and student story in hindi with learning:
प्रेरणादायक हिंदी कहानी

उन्हें तो केवल मस्ती करने में मज़ा आता है भला, ये कैसे परीक्षाओं में उत्तीर्ण होंगे?” अपने स्कूल की बुराई सुनते ही, मुकेश के साथ साथ सभी बच्चों को बहुत बुरा लगा| बच्चों के लिए सबसे ज़्यादा तक़लीफ़ की बात तो यह थी कि, उनकी वजह से उनके प्राचार्य का सिर झुक गया जिससे, उन्हें अपमानित महसूस होने लगा| शिक्षक की बात से नाराज़ होकर, कई बच्चे ज़ोर ज़ोर से चिल्लाने लगते हैं लेकिन, तभी मुकेश मंच में आकर, अपने स्कूल के बच्चों को शांत करते हुए कहता है, “यदि इनकी बात का जवाब देना चाहते हो तो, अपने मुँह से नहीं, अपने परीक्षा परिणाम से देकर दिखाओ| इन्हें भी पता चलना चाहिए कि, इनके स्कूल के बच्चों को हम लोग भी टक्कर दे सकते हैं|” बस फिर क्या था, सभी विद्यार्थियों ने मुकेश की बेइज़्ज़ती का बदला लेने का इरादा मज़बूत कर लिया और पढ़ाई में जुट गए, लगातार अभ्यास की वजह से, बच्चों के अंदर पढ़ने की लगन बढ़ गई| स्कूल के साथ साथ, घर पहुँचकर भी बच्चों का ध्यान किताबों में लगा रहता| कुछ महीने गुज़रते ही, परीक्षा की घड़ी आ चुकी थी लेकिन, यह परीक्षा केवल बच्चों की ही नहीं बल्कि, मुकेश के अपमान की भी थी| जैसे ही परीक्षाएं प्रारम्भ हुई, बच्चों ने अपनी प्रतिभा का प्रदर्शन करना शुरू कर दिया| सभी बच्चों ने आत्मविश्वास से लबालब होकर, अपनी परीक्षाएं दी और जैसे ही परीक्षा के परिणाम घोषित हुए, पूरे राज्य में मुकेश के स्कूल ने जीत का परचम लहरा दिया|

विद्यालय (Vidyalaya)- teacher and student story in hindi with lession:
प्रेरणादायक हिंदी कहानी

दरअसल, इस बार की परीक्षा में, मुकेश का स्कूल राज्य में, सभी बच्चों को अच्छे अंकों से उत्तीर्ण करवाने वाला, प्रथम स्कूल बन गया| अपने स्कूल का अद्भुत प्रदर्शन देखकर, बच्चे दंग रह गए| उन्हें यक़ीन ही नहीं हुआ कि, उन्होंने साबित कर दिखाया कि, मेहनत और एकाग्रता से सब कुछ हासिल किया जा सकता है| अच्छे अंकों से उत्तीर्ण होने वाले विद्यार्थियों को सम्मानित करने के लिए, स्कूल में एक प्रोग्राम आयोजित किया जाता है जिसमें, सभी बच्चे उपस्थित थे लेकिन, जब विद्यार्थियों ने मुकेश के साथ, उसी शिक्षक को खड़े देखा जिसने, मुकेश की बेइज़्ज़ती की थी तो, उन्हें बहुत ग़ुस्सा आया है| दरअसल, बच्चे अपनी कामयाबी से उसे जवाब देना चाहते थे लेकिन, उन्हें समझ में ही नहीं आ रहा था कि, उनके प्राचार्य मुकेश, उस शिक्षक के गले में हाथ डालकर क्यों घूम रहे हैं| बच्चों के मन में जिज्ञासा उत्पन्न हुई तो, बच्चे समूह बनाकर मुकेश के पास पहुँच गए और हिचकते हुए पूछने लगे, “यह तो आपके विरोधी हैं फिर भी, आप इनके साथ मित्र की तरह घूम रहे हैं|” मुकेश ने मुस्कुराते हुए कहा कि, “बच्चों तुम्हें ग़लतफ़हमी हो रही है| ये मेरे दोस्त हैं और इन्होंने ही, तुम लोगों को कामयाबी तक पहुँचाने के लिए, मेरी योजना में मेरा साथ दिया| जैसे ही, बच्चों को पता चला कि, मुकेश ने उन्हें एक लक्ष्य देने के लिए, सार्वजनिक मंच पर, अपने अपमान का झूठा नाटक रचा था, वह सभी हैरान रह गए| वहाँ मौजूद, सभी बच्चों ने मुकेश की बुद्धिमानी भरी योजना के लिए, ज़ोरदार तालियों से अभिवादन किया| मुकेश ने अपनी अकलमंदी से, सभी बच्चों को दिशा देते हुए, पढ़ाई के लिए समर्पित कर दिया और यही था, अपने अपमान का असली बदला| जिसके लिए बच्चों ने, अपनी सीमाओं को तोड़ते हुए, इतिहास रच दिया और इसी के साथ कहानी ख़त्म हो जाती है|

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