विवेक (Vivek)- जीवन आधारित मोटिवेशनल कहानी (Moral story in hindi):
जीवन आधारित मोटिवेशनल कहानी– आज के युवाओं में बुद्धि विवेक की कोई कमी नहीं, लेकिन फिर भी वह अपने लक्ष्य पर टिक नहीं पाते| विद्यार्थियों की इस समस्या के समाधान के लिए, कुछ घटनाओं से प्रेरित होकर, एक अद्भुत कहानी “विवेक” (Vivek) प्रस्तुत है जो, आपको अपने लक्ष्य तय करने में सहायक होगी| यह कहानी अर्जुन की है| अर्जुन एक इंजीनियरिंग कॉलेज का विद्यार्थी था| बचपन से ही वह गणित और विज्ञान में बहुत रुचि रखता था| वह हमेशा अपने स्कूल में अच्छे अंकों से उत्तीर्ण होता आया था और अर्जुन की इसी ख़ूबी के कारण, उसका चयन IIT के सर्वप्रथम संस्थान में हुआ था| अर्जुन अपने लक्ष्य को लेकर, हमेशा सजग रहता था| अर्जुन कॉलेज में सभी अध्यापकों का चहेता बन चुका था| अर्जुन के जीवन में सभी चीज़ें तो व्यवस्थित थीं| फिर भी वह अपने जीवन में कुछ न कुछ कमी महसूस कर रहा था| दरअसल वह एक सार्थक लक्ष्य की तलाश कर रहा था| उसका विवेक(मन) उससे हमेशा पूछता था कि, वह पढ़ने के बाद क्या करेगा? क्योंकि वह सबकी तरह सामान्य जीवन नहीं जीना चाहता था| अभी तक उसने जो भी लक्ष्य बनाए थे, वह लगभग सभी प्राप्त करता आया था, लेकिन फिर भी उसे अपने जीवन में आनंद नहीं मिल रहा था| ऐसा भी नहीं था कि, उसे दोस्तों के साथ घूमने में मज़ा आता था| अर्जुन को ज़्यादातर ख़ुशी अपनी शिक्षा में ही मिलती थी| उसे अधिक से अधिक पढ़ना पसंद था| वह अपने विषय के साथ बड़े बड़े लेखकों की जीवनियाँ भी पढ़ा करता था, जिससे उसे प्रेरणा मिलती थी, लेकिन वह अपने जीवन को किसी बड़े उद्देश्य की ओर नहीं लगा पा रहा था, हालाँकि वह जानता था कि, अभी उसके पढ़ने का समय हैं और उसे केवल पढ़ाई में ध्यान देना चाहिए| भविष्य की बात अभी से नहीं सोचना चाहिए, लेकिन उसके मन में भविष्य को लेकर बहुत से प्रश्न थे| एक दिन वह परेशान होकर, अकेले ही अपने कॉलेज से बाहर घूमने निकल जाता है| अर्जुन शहर के बाहर एकांत खोजते हुए, एक पहाड़ी पर पहुँच जाता है|
अर्जुन शहर के बाहर एकांत खोजते हुए, एक पहाड़ी पर पहुँच जाता है| अर्जुन अपने ही ख़्यालों में डूबा हुआ काफ़ी देर तक, उस पहाड़ की चोटी पर बैठकर नीचे हरे हरे पेड़ों को देख रहा होता है, अचानक उसकी नज़र एक व्यक्ति पर पड़ती है जो, पेड़ो के किनारे मिट्टी खोद रहा था| अर्जुन के मन में जिज्ञासा उत्पन्न होती है कि, इस वीरान जगह पर यह व्यक्ति कौन है| अर्जुन हिम्मत जुटाते हुए, उसे पहाड़ के ऊपर से ही आवाज़ लगाता है| अर्जुन की आवाज़ सुनकर वह व्यक्ति हाथ हिलाते हुए इशारा करता है| अर्जुन को उस व्यक्ति का बर्ताव मित्रतापूर्ण लगता है, इसलिए वह पहाड़ से नीचे उतरकर, उसके पास पहुँच जाता है और उससे पूछता है, “आप कौन हैं और इस जंगल में अकेले क्या कर रहे हैं?” उस व्यक्ति ने अपना परिचय देते हुए कहा, “मैं एक रिटायर्ड IAS ऑफ़िसर हूँ| नौकरी से रिटायर होने के बाद, घर में मेरा मन नहीं लगता, इसलिए अपना समय काटने के लिए, जंगल घूमने आता हूँ और इसी बहाने पेड़ पौधों की थोड़ा सफ़ाई कर देता हूँ|” अर्जुन उनकी बातों से काफ़ी प्रभावित होता है| उसे ऐसा लगता है मानो, उसे उसका मार्गदर्शक मिल गया हो| वह तुरंत उनसे अपने जीवन के बारे में, चर्चा करने लगता है| अर्जुन हिचकते हुए कहता है कि, “आप इतने बड़े अधिकारी थे, फिर भी आप अपनी ज़िंदगी से ख़ुश नहीं हुए और आज आपको रिटायर होने के बाद, ये काम करना ज़रूरी क्यों लग रहा है?” कृपया मुझे समझाइए। रिटायर्ड अधिकारी अर्जुन की बात का जवाब देते हुए कहते हैं कि, “मुझे एक प्रशासनिक अधिकारी बनना था और मैं अपनी मेहनत से वहाँ तक पहुँच गया, लेकिन उस मुक़ाम को हासिल करने के बाद, मुझे जीवन में कुछ नया करने को नहीं मिला| कुछ सृजनात्मक, जिससे मुझे, आनंद की अनुभूति होती और इसी वजह से, मेरा पूरा जीवन, एक प्रक्रिया में फँसा रह गया| मैं अपनी ज़िंदगी उस अंदाज़ में जी नहीं पाया, जिस तरह के सपने मैंने देखे थे, इसीलिए आज अपने जीवन को अधूरा महसूस कर रहा हूँ|” अर्जुन बड़े ग़ौर से उनकी बात सुन रहा था| अर्जुन को ऐसा लग रहा था, जैसे उसे उसके भविष्य का आईना दिखाया जा रहा हो| अर्जुन उन्हें रोकते हुए, उनके सामने अपने ही ज़िंदगी का सबसे बड़ा सवाल रख देता है कि, वह जीवन में कौन सा लक्ष्य बनाएँ कि, उसकी पूरी ज़िंदगी रोमांचक हो जाए, क्योंकि वह जीवन कुछ सार्थक करना चाहता है| अर्जुन कहता है कि, “आपकी बातें सुनकर लगता है कि आपके जीवन के अनुभवों से मुझे सही दिशा मिल सकती है| मेरा लक्ष्य तय करने में क्या, आप मेरी मदद करेंगे?” रिटायर्ड अधिकारी, अर्जुन को देखकर मुस्कुराने लगते हैं और कहते हैं, “तुम्हें देखकर मुझे एहसास हो रहा है कि, काश़ तुम्हारी उम्र में मुझे भी यह जिज्ञासा होती तो, शायद मैं भी एक सही लक्ष्य का चुनाव कर पाता|
” रिटायर्ड अधिकारी ने कहा, “तुम जब भी इस दुनिया में किसी भी विषय वस्तु को अपना लक्ष्य बनाओगे, वह ज़्यादा दिनों तक तुम्हें ख़ुश नहीं रख पाएगी, क्योंकि प्रकृति में मौजूद हर विषय वस्तु बदलती रहती है और हम अपने अतीत या वर्तमान से प्रभावित होकर ही, अपने भविष्य का लक्ष्य तय करते हैं, जोकि वक़्त के साथ हल्का हो जाता है, क्योंकि इंसान की सोच, उसकी इन्द्रियों से उत्पन्न होती है और हमारी इन्द्रियाँ, हमेशा कई दिशाओं में भटकती है, इसलिए हमें कोई ऐसा लक्ष्य चुनना चाहिए, जो अनंत हो और हम मरते दम तक, उस पर ही केंद्रित रह सकें|” अर्जुन उनकी बात सुनकर असमंजस में पड़ जाता है| वह उन्हें उदाहरण के साथ समझाने को कहता है| तभी रिटायर्ड अधिकारी अर्जुन को अपनी ही ज़िंदगी से समझाते हुए कहते हैं कि, “यदि मैंने IAS ऑफ़िसर की वजह, समाजसेवा को अपना लक्ष्य बनाया होता तो, मैं IAS से रिटायर होने के बाद भी, अपना कार्य कर पाता है, लेकिन मैंने एक पद को लक्ष्य बनाया, जिसे प्राप्त करने के कुछ ही सालों बाद, मेरे मन का उत्साह ख़त्म हो गया| फिर मुझे मेरी नौकरी बोझ लगने लगी और आज तक अपनी ज़िंदगी को ढो रहा हूँ| अर्जुन को उसका जवाब मिल चुका था| उसने तुरंत उस व्यक्ति के पैर छुए और कहा, “आप मेरे सच्चे मार्गदर्शक हैं| आपने मुझे मेरा रास्ता खोजने के लिए प्रकाश दिया है| मैं आपका दिल से धन्यवाद करता हूँ| मुझे आशीर्वाद दीजिए है कि, मैं कुछ ऐसा लक्ष्य बनाऊँ, जिससे मेरे जीवन का सच्चा उद्देश्य पूरा हो|