सुरक्षा (Suraksha)- बेडटाइम स्टोरी फॉर किड्स इन हिंदी

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सुरक्षा (Suraksha)- (प्रेरक कहानी संग्रह) बेडटाइम स्टोरी फॉर किड्स इन हिंदी for kids:

सुरक्षा (Suraksha) एक ढाल है| जिसे उठाने का साहस, बहुत कम लोगों में होता है| भक्षण तो पशुओं का काम है लेकिन, सुरक्षा करने वाला हमेशा महान होता है और सच्चे अर्थों में, मनुष्य कहलाने लायक होता है| ऐसी ही एक कहानी, कीर्तिपुरम शहर की है| जहाँ एक साइंस कॉलेज था| यहाँ बहुत से बच्चे शिक्षा ग्रहण करने, दूर दूर से आए थे| इसी कॉलेज में एक गाँव से आए लड़के गोपाल ने भी, प्रथम वर्षीय प्रवेश लिया था| गोपाल विज्ञान के पीछे दीवाना था| बचपन से ही उसने कई तरह के, छोटे मोटे एक्सपेरिमेंट कर रखे थे लेकिन, अब वह शहर आ चुका था जहाँ, उसे अलग अलग प्रदेशों से, आए हुए छात्रों के साथ, सीखने को मिल रहा था| गोपाल की प्रतिभा से, कुछ विद्यार्थी चिढ़ने लगे थे| एक दिन गोपाल, अपने कॉलेज की प्रयोगशाला में, परीक्षण कर रहा था| उसी वक़्त, कुछ विद्यार्थी आकर उसका चश्मा उतारकर, ज़मीन पर पटक देते हैं| गोपाल को समझ में नहीं आता कि, अचानक ये लड़के, ऐसा बर्ताव क्यों कर रहे हैं| गोपाल तुरंत अपने प्राचार्य के पास जाकर, लड़कों की शिकायत करता है लेकिन, लड़कों के रसूख़ की वजह से, प्राचार्य भी उन्हें कुछ नहीं कहते| कई दिनों तक लड़कों के बुरे बर्ताव से परेशान होकर, गोपाल ने उन्हें सबक़ सिखाने की सोची| गोपाल ने अपने प्रयोगशाला में जाकर, एक ऐसा फ़ॉर्मूला तैयार किया जिसे, किसी भी इंसान के ऊपर स्प्रे करने से, उसे खुजली होने लगेगी| गोपाल लडकों के कॉलेज आने का इंतज़ार ही कर रहा था| अचानक, उसे दिखाई दिया कि, कॉलेज के गेट के बाहर, उन्हीं लड़कों को कोई मार रहा है| गोपाल भागते हुए, कॉलेज के गेट के पास पहुँचा और लडकों को बचाने के लिए, अपनी जेब से खुजली वाले कैमिकल की बोतल निकाल कर, बाहरी लड़कों के ऊपर, स्प्रे करने लगा| गोपाल को स्प्रे करते देख, बाहरी लड़के हँसते हुए कहते हैं, “ये बच्चों की पिचकारी से क्या होगा?” लेकिन, स्प्रे ने कुछ ही पलों में असर दिखाना शुरू कर दिया|

सुरक्षा (Suraksha)- बेडटाइम स्टोरी फॉर किड्स
Image by Amber Clay from Pixabay

जिनके ऊपर स्प्रे किया गया था वे लोग, अपने शरीर में खुजली करने लगे| जिससे, बाक़ी लोग गोपाल से डरकर पीछे हट गए| इसी बीच, गोपाल अपने कॉलेज के लड़कों को उठाकर, गेट के अंदर ले आता है| बाहरी लड़के धमकी दे रहे होते हैं कि, एक घंटे के अंदर तुम लोगों को, कॉलेज के अंदर घुसकर मारेंगे और इतना कहते ही, वह कॉलेज से चले जाते हैं| जैसे ही, गुंडों की धमकी की बात, कॉलेज में फैली सभी छात्रों के साथ, अध्यापक भी दहशत में आ चुके थे लेकिन, गोपाल ने सभी को हिम्मत देते हुए कहा कि, “हम सब विज्ञान के छात्र हैं और विज्ञान ने ही दुनिया में, कितने हथियारों की खोज की है| तो क्या, हम अपनी रक्षा के लिए, विज्ञान का इस्तेमाल नहीं कर सकते?” बस फिर क्या था| सभी ने गोपाल का साथ देने का फ़ैसला किया और गोपाल के प्लान के अनुसार, कॉलेज को छावनी में तब्दील कर दिया गया| गोपाल अपनी प्रयोगशाला में कई तरह के रसायन मिलाकर, कांच की बॉटल भरने लगा| लडकों को समझ में नहीं आ रहा था कि, भला गोपाल गुंडों के आतंक से, उनकी रक्षा कैसे करेगा| एक घंटे गुज़रते ही, कॉलेज के गेट के सामने, सौ से भी ज़्यादा गाड़ियां आकर खड़ी हो गई| सभी लोगों के हाथ में हॉकी, बेल्ट, लोहे के सरिए जैसे, घातक हथियार थे जैसे ही, एक गुंडे ने कॉलेज के गेट को टच किया, एक ज़ोरदार करंट के झटके से, दूर जा गिरा| उसके गिरते ही, कॉलेज के अंदर मौजूद छात्र, ज़ोर ज़ोर से चिल्लाने लगे| ऐसा लग रहा था जैसे, एक आर्मी दुश्मनों पर, विजय पताका लहरा रही हो| गुंडों को समझ में आने लगा कि, छात्रों ने कॉलेज के गेट में करेंट बिछा रखा है इसलिए, वह दीवार के माध्यम से अंदर आने की कोशिश करने लगे लेकिन, गोपाल ने सभी छात्रों को, आँसू गैस की बोतल पहले से दे रखी थी| गुंडों के अंदर आते ही, कॉलेज के लड़कों ने बोतलें फेंकना शुरू कर दिया| देखते ही देखते, सारे गुंडे धुएं की वजह से, अपनी आंखें मलने लगे और इसी का फ़ायदा उठाकर, कॉलेज के सभी छात्र, गुंडों पर टूट पड़े और कुछ ही समय के अंदर, सभी गुंडो के हाथ पैर बाँध कर, कॉलेज के गेट के सामने बैठा दिया गया| हंगामा बहुत बढ़ चुका था इसलिए, मौक़े पर पुलिस पहुँच जाती है|

सुरक्षा (Suraksha)- बेडटाइम स्टोरी फॉर किड्स इन हिंदी
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पुलिस को जैसे ही पता चलता है कि, यह सारे गुंडे राजनीतिक दलों से संबंधित है| पुलिस अधिकारियों ने मामले को दबाने के लिए, कॉलेज प्राचार्य से कहा, “ये शहर के बड़े लोग हैं इसलिए, बिना पूरी छानबीन किए, उन पर कोई आरोप नहीं लगाया जा सकता| हो सकता है, गलती आपके कॉलेज के लड़कों की हो, जिससे कॉलेज की बदनामी हो सकती है| बेहतर होगा, आप अपनी शिकायत वापस ले लें” लेकिन इसी बीच, गोपाल पुलिस से क़ानूनी दलील देते हुए कहता है कि, “चाहे कोई भी हो| कॉलेज जैसे संस्थानों में, गुंडागर्दी करने का अधिकार, किसी को नहीं है और अगर आप, हमारी शिकायत दर्ज नहीं करेंगे तो, छात्रों का आंदोलन झेलना पड़ेगा| पुलिस अधिकारी स्थिति को भाँपते हुए, कुछ गुंडा के ख़िलाफ़ मामला दर्ज कर लेते हैं और सभी को गिरफ़्तार करके, थाने ले जाते हैं| मौक़े पर कुछ मीडिया के लोग भी आ चुके थे जिन्होंने, घटना का पता चलते ही, गोपाल की बहादुरी का गुणगान करना शुरू कर दिया| गोपाल अपनी बहादुरी और बुद्धिमान सोच से, कॉलेज का रक्षक बन चुका था| मीडिया कवरेज की वजह से, मामला मुख्यमंत्री तक पहुँच गया| उन्होंने एक्शन लेते हुए, अपने राजनीतिक दल से संबंधित, सभी कार्यकर्ताओं को, निलंबित कर दिया है और कॉलेज पहुंचकर, गोपाल को शाबाशी देते हुए, उसकी बहादुरी के लिए, पुरस्कृत किया| गोपाल युवाओं को रोल मॉडल बन चुका था और इस कहानी के अंत के साथ, गोपाल की एक रक्षक के तौर पर ज़िम्मेदारी शुरू होती है|

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