सपने (Sapne) बेस्ट मोटिवेशनल स्टोरी इन हिंदी – सोच बदलने वाली कहानी हिंदी में:
सपने (Sapne) कल्पना की आधार पर निर्मित होते हैं लेकिन, कई बार यह वास्तविकता का एहसास दिलाते हैं| ऐसी ही एक सपनों की कहानी अंश की है| अंश एक सॉफ़्टवेयर इंजीनियर था| उसने अभी अभी नौकरी शुरू की ही थी लेकिन, वह शुरुआती दिनों में ही, अपने काम में पूरी तरह डूब चुका था| अंश की मेहनत को देखते हुए, कंपनी मैनेजमेंट के सार्वजनिक निर्णय से, उसे टीम लीडर बना दिया गया था| दरअसल यह कम्पनी अंतरिक्ष के लिए, उच्चतम दूरसंचार तकनीक स्थापित करना चाहती थी और इसी दिशा में, ज़्यादातर देशों की कंपनियां भी काम कर रही थी| अंश की कंपनी चाहती थी कि, वह जल्दी से जल्दी सॉफ़्टवेयर का निर्माण कर लें ताकि, कोई और कंपनी आगे न निकल सके| धीरे धीरे अंश के ऊपर काम का दबाव बढ़ता जा रहा था|
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एक दिन अंश ऑफ़िस देर से पहुँचता है और वहाँ पहुँचते ही, उसे ऐसा लगता है कि, वह पहले भी इसी तरह से ऑफ़िस आया है| जैसे जैसे वह आगे बढ़ता जा रहा था उसे, उसी के अनुसार लोग दिखाई देते जा रहे थे| कुछ लोगों से बात करने से पहले ही, अंश को उनका जवाब पता होता| अंश को समझ में नहीं आ रहा था कि, “वह इतना कुछ पहले से कैसे जानता है?” अगले दिन, फिर वही सिलसिला दोबारा होता है जिससे, वह भौंचक्का हो जाता है क्योंकि, उसकी ज़िंदगी उसके सामने, रिपीट टेलिकास्ट की तरह दिखाई दे रही थी| कुछ समय पहले, जिन घटनाओं को वह देख चुका होता, वह दोबारा उसके सामने, हुबहू होने लगती| एक दिन वह अपने ऑफ़िस के एक कर्मचारी का, एक्सीडेंट देखता है और सच्चाई का पता लगाने के लिए, वह अगले दिन ऑफ़िस पहुँच कर, उसी सिग्नल के पास खड़ा हो जाता है जहाँ, वह एक्सीडेंट हुआ था| काफ़ी देर तक इंतज़ार करने के बाद जैसे ही, उसका ध्यान भटकता है अचानक, वही एक्सीडेंट दोबारा होता है जिसे, देखते ही अंश घबरा जाता है| अंश को यक़ीन हो जाता है कि, “ज़रूर उसके साथ कुछ न कुछ अजीब हो रहा है जिससे, वह पहले से ही चीज़ों को देख पा रहा है| उसने तय किया था कि, वह अपना मानसिक परीक्षण करवाएगा और इसी सिलसिले में, वह एक मनोरोग विशेषज्ञ के पास पहुँचा| मनोरोग विशेषज्ञ बहुत अनुभवी था| उसने कुछ देर की बातचीत से ही, अंश की समस्या का पता लगा लिया और जैसे ही, उसने अंश को बताना शुरू किया, उसके पैरों तले ज़मीन खिसक गई क्योंकि, वह कई दिनों से दोहरी ज़िंदगी जी रहा था| एक पहर उसकी आँखें खुली होती और दूसरे पहर, वह सपनों में होता लेकिन, दोनों में अंतर कर पाना बहुत मुश्किल था|
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उसके सपनों में निरंतरता बनी रहती थी| जो काम वह दिन में जागते हुए, अधूरा छोड़ता सपनों में जाते ही, उसे पूरा करने लगता और इसलिए, उसे कई दिनों से ऑफ़िस में काम के विषय में भी, भ्रम हो रहा था| अंश को यह समझ नहीं आ रहा था कि, अगले दिन का काम, वह सपनों में ही, एक दिन पहले, कैसे पूरा कर सकता है और वह भी, पूरी शुद्धता के साथ? तभी उसे मनोरोग विशेषज्ञ बताते हैं, “सपने हो या हक़ीक़त, इन्सान अपनी आंतरिक वृत्तियों के अनुसार ही, अपने कार्य करता है| उदाहरण के तौर पर, यदि आपका स्वभाव ग़ुस्से वाला है तो, ज़्यादातर कामों में आप, बेवजह ही ग़ुस्सा दिखाएंगे और यदि आप, हंसमुख स्वभाव के हैं तो, काम बिगड़ने पर भी आप, साधारण बर्ताव करेंगे|” अंश चिकित्सक की बात बड़ी गंभीरता से सुन रहा था फिर भी, उसके प्रश्न ख़त्म नहीं होते| वह चिकित्सक से कहता है, “क्या आप कहना चाहते हैं कि, हमारा स्वभाव पूर्व अनुमानित होता है?” चिकित्सक अंश की बात में हामी भरते हुए कहते हैं, “आप बिलकुल सही समझ रहे हो| दरअसल, आपके बचपन की शिक्षा और अनुभव ही, आपके शरीर को संचालित करते हैं इसलिए, जब आप सपने में होते हो तो, ऐसा लगता है कि, हक़ीक़त में ऐसा ही हो रहा है जबकि, वह आपके दिमाग़ की कल्पना मात्र थी जोकि, न्यूरॉन्स की करामात है| तभी अंश ने अपनी समस्या का इलाज जानना चाहा|
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चिकित्सक ने बताया कि, “आप अपने किसी भी काम से पूरी तरह संपर्क स्थापित कर रहे हैं इसलिए, आपके सपने भी आपकी असली ज़िंदगी से, कनेक्टेड हैं| यदि आप इन्हें रोकना चाहते हैं तो, कुछ दिनों तक आपको, अपने विचारों से अलग होना होगा और आपको यह समझना होगा कि, आपका शरीर दो लोगों का संयोग होता है| एक आपका मन जो, आपके जन्म के बाद की याददाश्त का, परिणाम है और दूसरा, जिससे आप परिचित नहीं है लेकिन, वह हमेशा आपके साथ होता है| आपको, उसी दूसरे पर नियंत्रण हासिल करना होगा तभी, आप अपनी व्रतियों से हटकर निर्णय ले सकेंगे और आपके सपने भी, आप को भ्रमित नहीं कर सकेंगे लेकिन, उसे प्राप्त करने के लिए, आपको अपने दिमाग़ को विचारों से शून्य करना होगा है और यह केवल, ध्यान की क्रियाओं से ही संभव है| बस फिर क्या था, अंश ने मनोरोग विशेषज्ञ के मार्गदर्शन पर चलना शुरू कर दिया जिससे, वह अपने सपनों से बाहर आ सका|
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अंश समझ चुका था कि, “यदि ज़िंदगी में नियंत्रण रखना है तो, पशुओं की तरह शारीरिक तल से नहीं बल्कि, पूर्ण चेतना के साथ मानवीय संभावनाओं के विशाल रूप को, देखते हुए जीवन जीना होगा और इसी के साथ यह कहानी ख़त्म हो जाती है|