एक नंबर (Ek Number)- (हिंदी कहानी मजेदार) बच्चों की नई कहानियां (हिंदी कहानी):
हिंदी कहानी मजेदार– नंबर वन होना तो, अपने आप में ही एक गर्व की बात होती है लेकिन, क्या वास्तव में हमेशा एक नंबर (Ek Number) पर आना ही आपकी योग्यता का प्रमाण हो सकता है| आइए इस तथ्य को समझने के लिए चलते हैं, अरुण की शिक्षा प्रद कहानी की ओर| अरुण एक छोटे से शहर में रहने वाला होनहार लड़का था| अरुण को बचपन से ही गाना गाने में रुचि थी| वह अपने घर में सारा दिन कोई न कोई गीत गुनगुनाता रहता| जिसे सुनकर अरुण के माता पिता ख़ुश हो जाते हैं| अरुण एक गायक बनना चाहता था| उसके माता पिता को भी अपनी बेटे की क़ाबिलीयत पर पूरा विश्वास था| हालाँकि, अरुण के परिवार की आर्थिक स्थिति कोई ख़ास अच्छी नहीं थी लेकिन, फिर भी अरुण के सपनों के लिए, उसके माता पिता का सहयोग बना रहता था| अरुण के सारे दोस्त उसे रॉक स्टार कहकर बुलाते थे| अरुण बचपन से ही अपने स्कूल के दिनों में, गाना गाने की सभी प्रतियोगिताओं में, एक नंबर था जिस वजह से, अरुण को उसके स्कूल के सभी छात्र छात्राएँ, पसंद करते थे लेकिन, अब अरुण कॉलेज पहुँच चुका था और यहाँ उसकी प्रतियोगिता का स्तर भी बढ़ चुका था| अरुण को शहर आते ही पता चला कि, एक बहुत बड़े TV चैनल द्वारा गाने का प्रोग्राम शुरू होने वाला है जिसके लिए, गाने में रुचि रखने वाले, कॉलेज के छात्रों को आमंत्रित किया गया है और इस प्रतियोगिता में, विजेता बनने वाले छात्र को, 10 लाख रुपये की इनाम राशि के साथ, एक म्यूज़िक एलबम का कॉन्ट्रेक्ट भी दिया जाना था| प्रतियोगिता के लिए कई कॉलेजों के छात्रों ने आवेदन दिया| इसी होड़ में अरुण भी हाथ आज़माने पहुँचा|
पहले राउंड में शहर से केवल 10 प्रतियोगियों का चयन किया जाना था जिसमें, अरुण का भी नंबर लग चुका था| टॉप टेन प्रतियोगियों में चयन होते ही अरुण, अपने माता पिता को इसकी जानकारी देता है और साथ ही यह बताता है कि, उसे अगले हफ़्ते फ़ाइनल राउंड के लिए, दूसरे शहर जाना होगा जिसके लिए, उसे कुछ पैसों की ज़रूरत है| अरुण के पिता ने, उसे दिलासा देते हुए कहा, “तुम अपनी प्रतियोगिता की तैयारी करो| मैं पैसे भेज दूँगा|” अरुण अपने गाने के अभ्यास में जुट गया| अरुण के कॉलेज से केवल अरुण का ही चयन हुआ था जिससे, अरुण का आत्मविश्वास बढ़ चुका था| उसे ऐसा लग रहा था कि, वही नंबर वन आएगा| कुछ दिन बीतते ही, अरुण अपने कपड़े लेकर दूसरे शहर प्रतियोगिता के लिए निकल जाता है| यहाँ पहुँचते ही, अरुण को एक से एक गायक नज़र आते हैं जिन्हें देखकर, उसका मनोबल टूटने लगता है| अरुण गाँव का सीधा साधा लड़का था| उसे ऐसे माहौल की आदत नहीं थी| जैसे ही अरुण को मंच पर गाने का अवसर दिया गया, उसके हाथ कांपने लगे| बहुत कोशिश करने पर भी, उसके मुँह से गाने के शब्द ही नहीं निकले| अरुण को प्रतियोगिता से बाहर कर दिया गया| उसे समझ में ही नहीं आ रहा था कि, अचानक उसे क्या हो गया? वह अपनी असफलता से निराश हो चुका था| उसने अपने पिता को फ़ोन करके, अपनी प्रतियोगिता के परिणाम के बारे में बता दिया लेकिन, उसके पिता ने उसे समझाते हुए कहा कि, “क्या हुआ अगर तुम नंबर वन (Ek Number) नहीं आये तो, तुम अपने गाने का और अभ्यास करो| तुम्हें सफलता ज़रूर मिलेगी” और फिर क्या था| अपने पिता की बात से अरुण के अंदर, फिर से विश्वास की बिजली चमकने लगी| अरुण ने अपने कॉलेज से लौटते ही, गाना गाने को अपना कर्म मान लिया| ज़्यादातर समय वह अपना गिटार लेकर, सड़कों पर गाने निकल जाता| ताज्जुब की बात तो यह थी कि, गाना गाते वक़्त अरुण इतना मसरूफ़ हो जाता कि, उसे पता ही नहीं चलता कि, चारों तरफ़ दर्शकों की भीड़ लग चुकी है| कई महीनों तक, यह सिलसिला चलता रहा| एक दिन अरुण अपने कॉलेज में सीनियर छात्रों के विदाई समारोह के लिए, मंच पर गाना गा रहा था|
उसी बीच कुछ लोग, कॉलेज के प्राचार्य के पास पहुंचकर, अरुण के बारे में पूछते हैं| प्राचार्य को जैसे ही पता चलता है कि, यह किसी बड़े म्यूज़िक कंपनी से आए हैं| वह मंच पर पहुँच जाते हैं और अरुण को गले लगा लेते हैं| दरअसल, अरुण के गाने के कई वीडियो कुछ समय से, सोशल मीडिया पर वायरल होने लगे थे| जिसका पता अरुण को भी नहीं था लेकिन, जैसे ही अरुण का गाना, लोगों को पसंद आने लगा तो, वह रातों रात स्टार बन गया| म्यूज़िक कंपनी ने, अरुण को गाना गाने के लिए लाखों रुपये का ऑफ़र दिया| अरुण के गाने की लगन ने, उसकी ज़िंदगी बदल दी थी| कुछ सालों बाद, अरुण को उसी TV शो का जज बनने का मौक़ा मिला जिसमें, वह पहले रिजेक्ट हुआ था| अरुण बिना एक नम्बर आये आज क़ामयाब हो चुका था|