रोज़गार की खोज- युवाओं के लिए प्रेरणादायक कहानी ( नौकरी की कहानी हिंदी में उपलब्ध):
रोज़गार यानी जॉब (Job) युवाओं के बीच बहुत बड़ी समस्या बनी हुई है अपने लिए एक सही रोज़गार ढूँढना तो, हर किसी का उद्देश्य होता ही है लेकिन, रोज़गार मिलने के बाद व्यक्ति उसमें सुकून महसूस करें, यह ज़रूरी नहीं| इसकी वजह समझने के लिए, आइए चलते हैं, एक ख़ूबसूरत कहानी की ओर| जिसका नाम है, रोजगार की खोज| शहर में एक कॉलेज था जहाँ, एक से बढ़कर एक होशियार लड़के पढ़ते थे| उन्हीं लड़कों में करण भी था जो, गाँव में रहने वाले, एक साधारण किसान का लड़का था| उसने अपनी मेहनत और लगन से, यहाँ तक का सफ़र तय किया था और अब वह, अपने पिता के सपने पूरे करने के लिए, एक अच्छे रोज़गार की तलाश कर रहा था| वह एक योग्य छात्र था इसलिए, उसे कई जगहों से रोज़गार के अवसर आ चुके थे लेकिन, वह रोज़गार चुनने का ऐसा कोई पैमाना नहीं जानता था जिससे, लंबे समय तक अपने काम में आनंदित रहा जा सके| सभी की तरह उसने भी, पैसों को महत्व देते हुए, सबसे अच्छी तनख़ाह वाली नौकरी का चयन कर लिया और उसी कंपनी में, अपनी सेवाएँ देने लगा| शुरू शुरू में तो करण को अपने काम में पैसे अधिक मिलने से, अच्छा लग रहा था लेकिन, जैसे जैसे समय निकलता गया, पैसों की चमक ने, अपना असर खोना शुरू कर दिया और करण, अपने काम से निराश रहने लगा| करण ने कुछ ही सालों में अपने घर के हालातों को बेहतर बना दिया था लेकिन, फिर भी वह अपने काम में मन नहीं लगा पा रहा था| रोज़ सुबह ऑफ़िस जाना और शाम को घर आना, यही उसकी ज़िंदगी का आधार था| करण के पास बहुत से रोज़गार के अवसर थे लेकिन, किसी भी जगह उसे पैसों के अलावा और कोई मोटिवेशन नज़र नहीं आ रहा था| एक दिन करण, अपने ऑफ़िस से अचानक, अपनी कार लेकर अकेले ही घूमने निकल जाता है|
कुछ घंटों के सफ़र के बाद, वह एक गाँव के पास रुकता है जहाँ उसे, ख़ूबसूरत फलों का बाग़ान दिखाई देता है| वह बाग़ान के अंदर घुस जाता है| अंदर उसे एक व्यक्ति, पेड़ों में पानी डालते हुए दिखाई देता है| वह उसके पास पहुंचकर उससे पूछता है कि, “आप अकेले इस सुनसान इलाक़े में कैसे रह लेते हैं?” वह व्यक्ति बुज़ुर्ग था| उसने मुस्कुराते हुए कहा कि, “तुम्हें लगता है, मैं यहाँ अकेला हूँ तो, तुम्हारी गलतफ़हमी है| ज़रा नज़र उठाकर देखो चारों तरफ़, तुम्हें पक्षियों के मधुर गीत सुनाई देंगे| उड़ती हुई तितलियाँ, ख़ूबसूरती बिखेरती नज़र आएंगी और बंदरों की शरारत, तुम्हें हँसने पर मजबूर कर देगी और यही मेरी दुनिया है जहाँ, मैं कभी अकेला महसूस नहीं करता| करण को लगा कि, शायद इस व्यक्ति को कोई रोज़गार नहीं मिला होगा इसलिए, मजबूरी में आकर यहाँ खेती कर रहा है इसलिए, उसने पूछा कि, “आप कहाँ तक पढ़े हैं?” लेकिन, जैसे ही उस व्यक्ति ने अपनी शिक्षा का परिचय देना शुरू किया, करण की बोलती बंद हो गई| दरअसल, वह व्यक्ति विश्व के सबसे बड़े कॉलेज से शिक्षित था और दुनिया की सबसे बड़ी कंपनी में, कई सालों कार्य के अनुभव के बाद, यहाँ पहुँचा था| करण को उस व्यक्ति की क़ाबिलीयत देखकर, यक़ीन ही नहीं हुआ| उसने जिज्ञासा भरी निगाहों से, उनकी तरफ़ देखते हुए कहा, “आपको नहीं लगता कि, आपने अपनी पढ़ाई को, खेती में लगाकर बर्बाद कर दिया|” करण उनसे बात कर ही रहा होता है कि, उसी दौरान सरकारी विभाग से कुछ कर्मचारी भी, यहाँ पहुँच जाते हैं और वह किसानों के कार्यक्रम के लिए, विशेष अतिथि के तौर पर, इस व्यक्ति को आमंत्रित करने आए होते हैं| करण को ताज्जुब होता है कि, “एक मामूली से किसान को, विशेष अतिथि के तौर पर क्यों बुलाया जा रहा है|” यह व्यक्ति करण के लिए पहेली बनता जा रहा था| सरकारी कर्मचारियों के जाते ही, करण ने उससे हाथ जोड़कर कहा कि, “आप बताइए आप कौन हैं? मुझे तो आप एक साधारण किसान की तरह दिख रहे हैं लेकिन, आपकी शिक्षा कुछ और कुछ कह रही है और ये सब जो, मैं देख रहा हूँ ये तो, मेरी सोच से परे हैं|” करण को परेशान देखकर, उस व्यक्ति ने अपना परिचय देते हुए कहा कि, “मैं एक अंतरराष्ट्रीय कम्पनी का मालिक हूँ|
मेरी कंपनी हर साल करोड़ों डॉलर्स के फल का उत्पादन करती है जिसे, विदेशी बाज़ारों में अच्छे दामों पर बेचा जाता है और अपने व्यापार से कमाए हुए धन को, मैं वीरान पड़े पहाड़ी क्षेत्रों में, फलों के पेड़ लगाने पर, ख़र्च करता हूँ जिससे, मुझे सरकार के समर्थन के साथ साथ, जीव जन्तुओं के परोपकार का भी आनंद प्राप्त होता है और यही, मेरी कामयाबी की चाबी है| करण को एहसास होने लगा था कि, “पैसे कमाना ही सब कुछ नहीं होता बल्कि, इससे हट कर कुछ और भी है जो, हमारी असली ख़ुशी का आधार हो सकता है|” बस फिर क्या था, वह अपनी नौकरी को रिजाइन कर देता है और वह भी इन्हीं की तरह, पहाड़ों में फलों की खेती करवाने लगता है| कुछ ही महीनों में, करण की मेहनत रंग लाती है और पहाड़, फलों के पेड़ों से, भर जाते हैं जिससे, विलुप्त हो चुके पक्षी, वापस पर्यावरण में दिखाई देने लगते हैं लेकिन, एक दिन वह व्यक्ति, रहस्यमयी तरीक़े से, करण को कंपनी का मालिक बना कर, ग़ायब हो जाता है| करण ने उनके जाने के बाद, उन्हें खोजने की बहुत कोशिश की लेकिन, आज तक उनका कोई पता नहीं चला| करण आज भी पूरी ज़िम्मेदारी से, वही कंपनी संभाल रहा है| करण को अपने जीवन का उद्देश्य पता चल चुका था और इसी के साथ कहानी समाप्त हो जाती है|